बिहार में नीट परीक्षा घोटाला में 19 गिरफ्तार, केंद्र सरकार कह रही सबूत नहीं

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 पटना। मीडिया एवं सोशल मीडिया पर नीट परीक्षा घोटाला को लेकर लगातार बातें हो रही हैं। बिहार के तीन जिलों से 19 लोगों की गिरफ्तारी भी हो चुकी है। सोशल मीडिया पर नीट परीक्षा घोटाला लगातार ट्रेंड कर रहा है। हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में सुनवाई चल रही है। इसके बावजूद शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान इसे घोटाला नहीं मान रहे हैं।

देश भर में चर्चित हो रहे नीट घोटाला में बिहार में हुई कार्रवाई कुछ अलग ही कहानी बयां करती नजर आ रही है। बिहार पुलिस ने 19 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें से राजधानी पटना से 14, पूर्णिया से 4 और और गोपालगंज से एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है। सभी आरोपी अन्य परीक्षार्थियों की जगह परीक्षा दे रहे थे। सबसे दिलचस्प है कि इस मामले में एक आरोपी ने अपने आरोप को कबूल भी किया है। 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गिरफ्तार हुए आयुष ने पुलिस के सामने इस बात को कबूला है कि परीक्षा के दौरान सभी प्रश्न हू-ब-हू मिले थे। साथ ही उसके साथ 20-25 अन्य परीक्षार्थी भी मौजूद थे, जिन्हें प्रश्न पत्र उत्तर सहित दिया गया था और रटाया गया था। आयुष के मुताबिक इससे पहले बिहार पुलिस को जले हुए प्रश्न पत्र भी मिले थे। हालांकि जले हुए प्रश्न-पत्र मिलने पर बिहार पुलिस ने मीडिया के सामने बयान दिया है कि बरामद किए गए जले हुए पेपर से अभी तक ये ही साफ नहीं हो पाया है कि क्या वो लीक पेपर था या नहीं, क्योंकि इसको लेकर एनटीए ने कोई जवाब नहीं दिया है।

बिहार पुलिस ने एफआईआर में लिखा पेपर लीक किया गया

एनटीए के द्वारा प्रत्येक साल नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट-अंडर ग्रेजुएट एग्जाम आयोजित की जाती है। नियम के मुताबिक भारत और विदेश में मेडिकल से जुड़े कोर्स की पढ़ाई के लिए नीट परीक्षा क्वालीफाई करना अनिवार्य है। इसी क्रम में बिहार के साथ पूरे देशभर में 5 मई को NEET की परीक्षा आयोजित की गई थी, जिसमें 24 लाख से ज्यादा कैंडिडेट शामिल हुए थे। जिसका रिजल्ट 4 जून को जारी किया गया था। कानून से जुड़े पत्रकार बृजेश बताते हैं कि इस एग्जाम में कुल 67 टॉपर अभ्यर्थियों ने 720 अंक में 720 हासिल किया, जिसमें 67 टॉपर में से 44 ग्रेस मार्क्स लेकर टॉपर बने हैं। यहीं से यह रिजल्ट चर्चा का विषय बन गया था। 

इसके बाद इसी परीक्षा को लेकर तमाम तरह की सूचनाएं और आंकड़े आने लगे। 2019 के बाद किसी भी नीट की परीक्षा में तीन अभ्यर्थी से ज्यादा टॉपर नहीं हुआ है। ऐसे में इस बार अचानक 67 टॉपर कैसे? सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट के मुताबिक एक ही सेंटर के आठ छात्रों को परफेक्ट स्कोर 720 मिले हैं।

मेडिकल की तैयारी कर रहे मंशू भारद्वाज बताते हैं कि जिन छात्रों को ग्रेस मार्क मिला है, एक प्रश्न का गलत जवाब देने की वजह से मिला है। गलत जवाब के पीछे की वजह कक्षा 12 की पुरानी एनसीईआरटी साइंस की किताब में मौजूद गलती थी। हालांकि इस मुद्दे पर भी कई सवाल उठाए जा रहे हैं। एनसीईआरटी केमिस्ट्री टेक्सटबुक के नए वर्जन में की नई किताब में सही जवाब लिखा हुआ है।

सहरसा कोर्ट के वकील और समाजसेवी कुणाल कश्यप बताते हैं कि बिहार पुलिस ने भी एफआईआर में लिखा है कि पेपर लीक किया गया था। पटना पुलिस के द्वारा गिरफ्तार लोगों में चार मेडिकल स्टूडेंट भी हैं। पूर्णिया में जो चार छात्रों को पकड़ा गया था, पुलिस पूछताछ के दौरान उन्होंने बताया था कि सभी को ₹5 लाख प्रति कैंडिडेट मिलना था। इसके बावजूद अभी तक इस परीक्षा को रद्द नहीं करना अजीब लगता है।”

बिहार में अंशु लगातार परीक्षा दे रहे थे धांधली को लेकर आवाज उठा रहे हैं। अंशु बताते हैं कि, “पेपर लीक को लेकर अकेले पटना ही नहीं बल्कि गोधरा को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं.. आखिर ओडिशा, झारखंड और कर्नाटक के कुछ स्टूडेंट्स ने भी गोधरा को एग्जाम सेंटर के रूप में क्यों चुना..? कई जगह से गिरफ्तारी हुई है। इसके बावजूद कोई एक्शन नहीं हो रहा है। समझिए बिहार में छोटी-छोटी परीक्षा का क्या एक्शन लेगी सरकार?”

नीट परीक्षा विवाद पर एनटीए का यू-टर्न

शुरुआत में एनटीए यानी राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी के महानिदेशक सुबोध कुमार ने दावा किया था कि नीट परीक्षा प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। फिर 13 जून को सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी की ओर से 1,563 उम्मीदवारों को मिले ग्रेस नंबर रद्द करने और दोबारा परीक्षा लेने का फैसला लिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पूरे मामले में नीट 2024 की काउंसलिंग पर रोक नहीं लगाया। कोर्ट ने कहा कि काउंसलिंग इसी तरह जारी रहेंगी, अगर परीक्षा पर कोई फैसला होगा तो सब कुछ पूरी तरह रुक जाएगा। वहीं सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक अब ग्रेस मार्क्स पाने वाले 1,563 उम्मीदवारों के लिए 23 जून को फिर से परीक्षा होगी और 30 जून से पहले परिणाम घोषित कर दिए जाएंगे।

पुलिस में दर्ज एफआईआर की कापी।

द वायर के पत्रकार अजय कुमार लिखते हैं कि दुख की बात है कि शिक्षा के मामले पर भारत में राजनीति होती ही नहीं हैं। शिक्षा के मामले पर जमकर राजनीति होनी चाहिए। NEET जैसी परीक्षाओं का कैंडिडेट उन परिवारों से आता है जो साल भर में पढ़ाई के नाम पर दस लाख से ज्यादा पैसा खर्च करने में सक्षम है। इसलिए यहां पर हुई धांधली को बिगेस्ट स्कैम को एजुकेशन कहा जा रहा है। जबकि हकीकत यह है कि भारत का एजुकेशन सिस्टम ही अपने आप में बिगेस्ट स्कैम है। 

वरिष्ठ पत्रकार विष्णु राजगढ़िया ट्विटर पर लिखते हैं कि NEET दोषी अफसरों को निलंबित करने के  बजाय शिक्षा मंत्री क्लीन चिट दे रहे हैं। पेपर लीक की जांच में कौन बाधक है? बिहार पुलिस को सहयोग क्यों नहीं मिल रहा? गुजरात, बिहार, झारखंड, हरियाणा, राजस्थान तक फैले तारों को छुपाने में जुटा है पूरा तंत्र। मोदी जी का अमृतकाल है अंधभक्तों।

प्रसिद्ध एजुकेशनल संस्थान फिजिक्स वाला के सीईओ अलख पांडे ने भी सवाल उठाया कि एनटीए ने बिना उचित जांच के 1,563 छात्रों को ग्रेस मार्क्स और छह छात्रों को विशेष केंद्रों से पूरे अंक क्यों दिए? उन्होंने उम्मीद जताई कि सुप्रीम कोर्ट निष्पक्ष समाधान सुनिश्चित करेगा और पारदर्शिता की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

एनटीए ने बिना उचित जांच के 1,563 छात्रों को ग्रेस मार्क्स और छह छात्रों को विशेष केंद्रों से पूरे अंक क्यों दिए?

इस पूरे मामले में शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपना पक्ष रखते हुए लिखा है, “नीट परीक्षा मामले में एनटीए माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए उचित कार्यवाही करने को कटिबद्ध है। माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार 1563 विद्यार्थियों की परीक्षा दोबारा कराई जाएगी। नीट परीक्षा में किसी प्रकार की धांधली, भ्रष्टाचार या पेपर लीक की कोई भी पुख्ता सबूत अभी तक सामने नहीं आया है। इससे संबंधित सारे तथ्य सुप्रीम कोर्ट के सामने हैं और विचाराधीन हैं।”

“मैं कांग्रेस को ये याद दिलाना चाहता हूं कि पेपर लीक रोकने और नकल विहीन परीक्षा के लिए केंद्र सरकार ने इसी साल पब्लिक एग्जामिनेशन (प्रिवेंशन ऑफ़ अनफेयर मीन्स) एक्ट पारित किया है जिसमें कई कड़े प्रावधान हैं। कांग्रेस इस गलतफहमी में ना रहे कि कोई भी नेक्सस पाया जाएगा तो उस पर कार्यवाही नहीं होगी। इस एक्ट के प्रावधानों को बहुत बारीकी से अमल में लाया जाएगा।”

वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला नीट परीक्षा में बिहार में हुई गिरफ्तारी को लेकर सवाल पूछ रहे हैं कि क्या NEET पेपर लीक हुआ? क्या इसकी जांच हुई? क्या ये सही नहीं कि पटना से पेपर लीक की खबर आई? कई अखबारों में तो ₹60 करोड़ के लेनदेन की खबरें भी आई। जब पटना में FIR दर्ज हुई, तो उसका क्या हुआ? 67 टॉपर कैसे हो सकते हैं, जिनके 720/720 नंबर हों? अगर जिन 1,563 बच्चों की दोबारा परीक्षा हो रही है, उनमें से 6 टॉपर बच्चे निकाल भी दें, तो भी 61 बच्चे टॉपर कैसे हो सकते हैं? मार्क्स V/S रैंक का खेल क्या है? हज़ारों बच्चों के इतने ज्यादा नंबर कैसे आए कि NEET एग्जाम का पूरा समीकरण ही बिगड़ गया? क्या इसका कारण पेपर लीक है या कुछ और?

भारत में परीक्षा घोटाला का लिस्ट काफी लंबा है। मध्य प्रदेश का व्यापम या पटवारी घोटाला हो या बिहार का बीएससी या टॉपर घोटाला। हर बार घोटाला होने के बाद आंदोलन होता है फिर सब कुछ सामान्य रूप से चलने लगता है। इस बार नीट 2024 परीक्षा में हुए घोटाले के बाद अब देश भर में पेपर लीक जैसे मामलों को लेकर कड़े नियम और कठोर कानून बनाने की मांग उठ रही है। सरकार इस पर कोई नियम बनाती है और वह नियम परीक्षा घोटाला को रोकने में कितना सक्षम होता है। इसका जवाब भविष्य के गर्भ में छिपा हुआ है।

(पटना से राहुल गौरव की रिपोर्ट।)

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