ग्राउंड रिपोर्ट: ज्ञान की बजाए मासूमों के प्रताड़ना केंद्र बनते जा रहे हैं यूपी के स्कूल

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सुल्तानपुर/सोनभद्र। “ठीक है.. चलो आज बताओ, हम पढ़ाते नहीं हैं?” इतना कहकर मैडम मासूम बालिका के बालों को पकड़ कर बुरी तरह से झकझोर कर हिलाने लगती हैं। दर्द से कराहते हुए बालिका बालों को छोड़ने की मैडम (शिक्षिका) से गुहार लगाती रहती है, लेकिन मैडम पर तो मानो क्रोध रूपी भूत सवार था, वो मासूम बालिका की गुहार को अनसुना करते हुए उसके बालों को उखाड़ फेंकने पर अमादा रहीं।

यही नहीं मासूम बालिका की पीड़ा को देख मैडम को बालिका को छोड़ देने की हिमाकत करने वाले अनुदेशक पर भी वह पिल पड़ती हैं। वह अनुदेशक पर चप्पल बरसाने लगती हैं। मैडम (शिक्षिका) का यह रौद्र रूप देख अन्य बालिकाएं सहम जाती हैं और भागने लगती हैं। वहीं मौके पर मौजूद विद्यालय के अन्य स्टाफ सकते में पड़ जाते हैं।

यह दृश्य और घिनौना कृत्य किसी और का नहीं बल्कि शिक्षा के मंदिर के भगवान कहे जाने वाले उस शिक्षिका के हैं जिनके गड़बड़झाले का जांच में खुलासा होने से वह आग बबूला हो गई थीं। कुछ सफाई देते नहीं बना तो जांच कमेटी ने जिन बच्चियों से बात की उनमें से एक मासूम बालिका को मारने पीटने लगीं।

उत्तर प्रदेश के वी-वीआईपी लोकसभा सीटों में सुमार सुल्तानपुर जनपद के बल्दीराय तहसील के हलियापुर उच्च माध्यमिक विद्यालय का यह पूरा मामला भले ही मामूली दिखाई दे रहा हो, लेकिन इसके मायने बड़े और किसी यक्ष प्रश्न से कम नहीं हैं। प्रधानाध्यापिका द्वारा मासूम बच्ची की निर्मम पिटाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद प्राथमिक विद्यालयों की शिक्षा और प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों की भूमिका को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।

इस वीडियो में प्रधानाध्यापिका न सिर्फ बच्ची की पिटाई करती नजर आ रही हैं, बल्कि पिटाई का विरोध करने और वीडियो बनाने पर अपने सहकर्मियों को भी चप्पल से पीटने से पीछे नहीं रहीं। इसको लेकर प्रधानाध्यापिका की जहां खूब भद्द हो रही है वहीं शिक्षा विभाग और सरकार पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

सोशल वर्कर बजरंगी सिंह कहते हैं “निश्चित तौर पर शिक्षक शिक्षा-संस्कार के जरिए बच्चों को गढ़ने का काम करते हैं। माता-पिता के बाद शिक्षक की भूमिका अतुलनीय होती है जिसे नकारा नहीं जा सकता है, यही कारण है कि इन्हें भगवान का दर्जा दिया जाता है और विद्यालय को मंदिर कहा जाता है। लेकिन यही भगवान यदि हैवान बनकर बच्चों की पिटाई करने लगें तो इसे अपराध ही कहा जाएगा।”

सुल्तानपुर के प्राथमिक विद्यालय की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए बजरंगी सिंह आगे कहते हैं कि “एक तरफ जहां प्रदेश सरकार प्राथमिक और मिडिल स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था में सुधार करने की बात करती है, वहीं दूसरी ओर कुछ शिक्षकों की वजह से पूरी प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था और प्राथमिक विद्यालय कटघरे में खड़े हो जा रहे हैं।”

बजरंगी सिंह कहते हैं, “विद्यालय में बच्चों को डांटना-फटकारना तथा उन्हें सलीके से ज्ञान देना शिक्षक का अधिकार है, लेकिन उन्हें ऐसा भी दर्द और चोट ना दिया जाए जो उनके आदर भाव को समाप्त करने के साथ-साथ गुरु और शिष्य परंपरा को भी चकनाचूर कर दे।”

स्कूल में छात्राएं।

यह है पूरा मामला?

सुल्तानपुर जनपद के बल्दीराय तहसील के हलियापुर उच्च माध्यमिक विद्यालय का यह पूरा मामला देखा जाए तो जांच की आंच से भरा हुआ है। दरअसल, शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों के पास शिकायत पहुंची तो पता चला कि मैडम विद्यालय के मध्यान्ह भोजन में बच्चों की कम संख्या को ज्यादा दिखाती हैं। लगातार मिल रही शिकायतों पर गौर कर विद्यालय में जांच टीम भेजी गई तो मामला सही पाया गया।

बस फिर क्या था मैडम का पारा चढ़ गया और इस आशंका में कि बच्ची ने जांच के दौरान जांच टीम को स्कूल की खामियों की जानकारी दी, उन्होंने बच्ची के बाल पकड़ कर बुरी तरह से पिटाई कर दी। बहरहाल, मामला संज्ञान में आने पर बीएसए ने उन्हें सस्पेंड कर दिया है और कार्रवाई करने की बात कही है।

हलियापुर उच्च माध्यमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापिका के पद पर तैनात शशिबाला सिंह पिटाई का विरोध करने और वहां मौजूद सहकर्मियों द्वारा वीडियो बनाता देख अपनी चप्पल उतार कर अनुदेशक को ही पीटना शुरू कर देती हैं। बच्ची और अनुदेशक की पिटाई का मामला उजागर हुआ तो हड़कंप मच गया।

मामला बेसिक शिक्षा अधिकारी दीपिका चतुर्वेदी के पास पहुंचा, तो वह भी सकते में पड़ जाती हैं। हालांकि वह इससे आहत हैं। वह “जनचौक” को बताती हैं कि “बेशक प्रधानाध्यापिका शशिबाला सिंह का यह कृत्य अशोभनीय और घृणित है, छात्रा की बुरी तरह से पिटाई करना और ऐसा न करने की बात कहने पर सहकर्मी के साथ भी दुर्व्यवहार करना उन्हें शोभा नहीं देता है। बहरहाल इस कृत्य की उन्हें सजा मिलेगी।”

आरोपी प्रधानाध्यापिका शशिबाला सिंह।

बीएसए सुल्तानपुर की मानें तो प्रधानाध्यापिका शशिबाला सिंह मध्यान्ह भोजन में बच्चों की संख्या बढ़ा कर भेजती थीं। जिसकी शिकायत मिलने पर जांच टीम भेजी गई तो मामला सत्य पाया गया था। इसके साथ ही जिन बच्चियों से जांच टीम ने पूछताछ की थी, इसी आशंका के आधार पर उन्हीं छात्राओं को प्रधानाध्यापिका ने पढ़ाई का बहाना बनाते हुए पीटना शुरू कर दिया। इस मामले में प्रधानाध्यापिका शशिबाला सिंह को सस्पेंड कर उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू कर दी गई है।

होती आई है लापरवाही दर लापरवाही

इसके पहले भी सुल्तानपुर जनपद के विकास खंड करौंदीकलां के प्राथमिक विद्यालय सरसी में बीएसए के निरीक्षण के दौरान छात्र को पीटने वाले प्रधानाध्यापक को निलंबित कर दिया गया था। इसके साथ ही एक अन्य शिक्षक का वेतन अग्रिम आदेश तक रोका जा चुका है। बावजूद इसके कायदे कानून का कोई भय नहीं दिखता।

बीएसए दीपिका चतुर्वेदी ने अगस्त में करौंदीकलां विकास क्षेत्र के तीन विद्यालयों का औचक निरीक्षण किया था। जहां प्राथमिक विद्यालय सरसी में प्रधानाध्यापक लालजी यादव एक बच्चे को डंडे से पीटते हुए मिले थे। साथ ही लकड़ी के चूल्हे पर एमडीएम बनवाया जा रहा था। एक छोटी कड़ाही में सब्जी बनाई जा रही थी जो पर्याप्त मात्रा में नहीं थी। जबकि गैस सिलेंडर पर भोजन बनाने के आदेश हैं।

बीएसए ने शासनादेश के विपरीत कार्य करने वाले प्रधानाध्यापक लालजी यादव को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने के साथ ही अन्य को भी दो टूक शब्दों में चेतावनी दी थी, बावजूद इसके उच्चाधिकारियों का खौफ नहीं दिखलाई दे रहा है।

पिटाई के बाद सहमा बच्चा।

‘नमक-रोटी’ ने खोल दी थी व्यवस्था की पोल

वर्ष 2019 में उत्तर प्रदेश के अति पिछड़े मिर्जापुर जनपद में ‘नमक-रोटी’ कांड ने प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी थी। इस मामले में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सूबे की शिक्षा व्यवस्था की खूब किरकिरी हुई थी। इसमें तमाम संगठनों, संस्थाओं ने उत्तर प्रदेश की प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था और प्राथमिक विद्यालयों की दशा और दिशा पर सवाल उठाए थे। हालांकि शासन और प्रशासन ने उस वक्त ठोस कार्रवाई करने के बजाय मामले को उजागर करने वाले पत्रकार को ही फंसा दिया था।

मिर्ज़ापुर जिले के विकास खंड जमालपुर के प्राथमिक विद्यालय शिउर में बच्चों को नमक-रोटी परोसे जाने के मामले में तत्कालीन खंड शिक्षा अधिकारी की तहरीर पर पत्रकार व ग्राम प्रधान के प्रतिनिधि पर धारा 120 बी, 186,193 और 420 के तहत मुकदमा दर्ज किया था। जिसको लेकर तत्कालीन जिला प्रशासन और शासन की खूब किरकिरी हुई थी।

इस घटना के बाद सूबे के प्राथमिक विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था से लेकर विद्यालय की दशा में सुधार की बात जोर शोर से कही गई थी, लेकिन वह आज भी धरातल पर उतर नहीं पाया है। आज भी व्यवस्था जस की तस बनी हुई है।

डर की जगह ज़ख्म देते शिक्षक

सुल्तानपुर की घटना को लेकर हुई किरकिरी से सूबे का शिक्षा विभाग अभी सांस भी नहीं ले पाया था कि उसी के दूसरे दिन 20 अक्टूबर 2023 को सोनभद्र जिले के चोपन विकास खंड क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय खैरटिया प्रथम में छात्र की बुरी तरह डंडे से पिटाई का मामला सामने आ गया। कहने के लिए विद्यालयों में बच्चों की पिटाई नहीं करने के सख्त आदेश हैं, लेकिन कुछ शिक्षकों की कारगुजारी के चलते पूरे शिक्षकों को शर्मसार होना पड़ जा रहा है।

प्राथमिक विद्यालय खैरटिया प्रथम।

सोनभद्र जिले के खंड शिक्षा क्षेत्र ओबरा के सेक्टर-9 स्थित प्राथमिक विद्यालय प्रथम में शिक्षक द्वारा बच्चे की बुरी तरह डंडे से पिटाई का मामला सामने आने के बाद शिक्षा विभाग के लोगों को जहां जवाब देते नहीं बन रहा है वहीं ऐसे मामलों को रोकने को लेकर भी बहस होने लगी है।

पत्रकार दीपनारायण सिंह प्राथमिक विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था के गिरते स्तर और इनकी उपयोगिता को लेकर खड़े हो रहे सवालों पर बड़ी ही बेबाकी से कहते हैं कि “गुरु और शिष्य का चोली दामन का साथ होता है। गुरु शिष्य को जिस सांचे में ढालता है वह उसी प्रकार से ढलता है। डांट फटकार और डर का भी होना उचित है, लेकिन डर के बजाए गंभीर ‘जख्म’ देना कदापि उचित नहीं है। इससे बच्चों में कुंठा और आक्रोश का भाव पनपने लगेगा।”

शिक्षक ने इस कदर पीटा कि बच्चा बोला नहीं जाऊंगा स्कूल

अभिभावक राजेन्द्र कुमार केशरी का मानना है कि “स्कूल शिक्षा और संस्कार के मंदिर हैं जहां जाने से बच्चों के मन मस्तिष्क में शिक्षा-संस्कार की लौ जलती है। यदि शिक्षा-संस्कार रूपी लौ की बजाए बच्चों के मन मस्तिष्क में भय और आक्रोश जगह बना ले तो मतलब ही क्या निकला बच्चों को स्कूल भेजने का?”

राजेन्द्र कुमार केशरी के शब्दों में कसक और पीड़ा के साथ-साथ सवाल भी हैं। उनका सवाल सोनभद्र जिले के ओबरा कोतवाली क्षेत्र के सेक्टर नम्बर-9 स्थित प्राथमिक विद्यालय प्रथम के चौथी कक्षा में पढ़ने वाले बच्चे की पिटाई को लेकर है। दरअसल, आरोप है कि प्राथमिक विद्यालय प्रथम के चौथी कक्षा के छात्र को शिक्षक ने समरसेबल के पाइप से इस कदर पीटा कि उसकी पीठ पर जख्म के निशान पड़ गये हैं। दर्द से कराहते बच्चे ने माता-पिता को आपबीती बताते हुए पीठ पर पड़े चोट के निशान दिखाए तो परिजनों ने इसकी शिकायत स्कूल के प्रिंसिपल से की।

दरअसल ओबरा कोतवाली क्षेत्र के वार्ड 15 के निवासी राजेन्द्र कुमार केशरी का 9 वर्ष का पुत्र राजवंश सेक्टर नौ स्थित प्राथमिक विद्यालय प्रथम में कक्षा चार का छात्र है। बच्चे के पिता राजेन्द्र कुमार केशरी की मानें तो रोज की भांति राजवंश 19 अक्टूबर 2023 की सुबह विद्यालय गया था। दोपहर तकरीबन 1 बजे कक्षा में कुछ बच्चे लड़ाई कर रहे थे। इसी दौरान राजवंश भी वहां पहुंच गया। शिक्षक राकेश वहां पहुचे और बिना कुछ पूछे राजवंश को ही समरसेबुल के पाइप से पिटना शुरू कर दिए।

पिटाई के बाद बच्चा इस कदर डरा सहमा हुआ है कि वह विद्यालय जाने के नाम से ही कांप उठ रहा है। अभिभावक की माने तो वही शिक्षक उनके बच्चे को पहले भी मार चुका है, जिससे बच्चा भयभीत है और स्कूल जाने के नाम से ही थर थर कांपने लगता है।

दूसरी ओर अपनी सफाई में आरोपित शिक्षक राकेश ने बताया कि “विद्यालय में बच्चे आपस में लड़ रहे थे, बीच बचाव के दौरान उसे चोट लग गयी है।” जबकि उनके इस दावे के इतर विद्यालय के अन्य बच्चे दबी जुबान में पिटाई की बात को स्वीकारते हैं।

दूसरी ओर एबीएसए ने बताया कि मामला संज्ञान में आया है, जांच की जा रही है। वहीं पूरे मामले में बीएसए नवीन पाठक ने कहा कि मामला संज्ञान में आया है, खंड शिक्षा अधिकारी को जांच कर कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। वहीं इस मामले को लेकर ट्वीट किए जाने पर सोनभद्र के पुलिस अधीक्षक डॉ. यशवीर सिंह ने ओबरा थाने की पुलिस को मामले की जांच कर कार्रवाई का निर्देश दिए हैं।

(उत्तर प्रदेश के सोनभद्र और सुल्तानपुर से संतोष देव गिरी की ग्राउंड रिपोर्ट)

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