मोदी सरकार में पत्रकारों पर फर्जी एफआईआर के खिलाफ सोनभद्र में जुटे देश भर के पत्रकार

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सोनभद्र, उत्तर प्रदेश। देश भर में पत्रकारों पर हो रहे उत्पीड़नात्मक कार्रवाई, फर्जी एफआईआर दर्ज कराने की होड़ को लेकर देश के कई राज्यों से चलकर उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में पहुंचे पत्रकारों, लेखकों ने जमकर मौजूदा सरकार और उनकी पत्रकार विरोधी नीतियों के विरोध में आवाज बुलंद की है। खबरों के संकलन से लेकर ग्राउंड जीरो की रिपोर्टिंग में आने वाली प्रशासनिक अड़चनों मसलन, सरकार और उनकी योजनाओं की ज़मीनी हक़ीक़त दिखाने पर उसे दूर करने, सुधारवादी प्रक्रिया को अमल में लाने के बजाए खामियां उजागर करने, सच्चाई को सामने लाने वाले पत्रकारों को ही खामियाजा भुगतना पड़ जाता है।

ऐसी स्थितियों में आज के दौर में निष्पक्ष और स्वतंत्र पत्रकारिता करना जोखिमपूर्ण होने लगा है। कार्यक्रम में जुटे पत्रकारों ने “दैनिक भास्कर” डिजिटल के पत्रकार राजेश साहू पर पिछले महीने दर्ज हुए एफआईआर का उल्लेख करते हुए कहा कि “यह कहां का न्याय है कि सच्चाई को सामने लाने वाले को ही फांस दिया जाए? राजेश साहू ने पुलिस भर्ती में होने वाले फर्जीवाड़े को उजागर करने का काम किया था, किस प्रकार से दलाल और बिचौलिए इसमें सेटिंग कराकर पास कराने के एवज में मोटी रकम ले रहे थे। इसका उन्होंने दमदारी के साथ खुलासा किया, लेकिन सरकार और उनके अधिकारी अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए पत्रकार को ही कार्रवाई की जद में लेते हुए मुकदमा दर्ज कराया जो निंदनीय है। 

वरिष्ठ पत्रकार अंजान मित्र कहते हैं “उत्तर प्रदेश में जिस प्रकार से पत्रकारों पर फर्जी मुकदमों की बाढ़ सी आई है इससे स्थितियां तेजी से बदलने के साथ ही सरकार विरोधी आवाज को भी बल मिला है।” वह बड़े ही बेबाकी से कहते हैं जो स्थितियां वर्तमान में देखने को मिल रही हैं, वैसी स्थिति इसके पहले देखने सुनने को कदापि नहीं मिली हैं। हालांकि वह इस सच्चाई को भी स्वीकार करते हैं कि “जिस प्रकार से पत्रकारों की फ़ौज बढ़ी है उससे लिखने-पढ़ने वाले पत्रकारों के समक्ष भी वजूद और सम्मान बचाने का संकट भी खड़ा हुआ है। इसके लिए अंजान मित्र उन मीडिया संस्थानों की उन नीतियों को भी दोषी ठहराते हैं जो चंद पैसों की खातिर रेवड़ी की तरह प्रेस कार्ड बांट कर “अनुभव” नहीं उनसे कितना “आय” हो सकता है उसको वरीयता देते हैं। यह नीति भी काफी हद कसूरवार है।”

कार्यक्रम सोनभद्र में ही क्यों?

चार राज्यों की सीमाओं लगा हुआ उत्तर प्रदेश का सोनभद्र जिला बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश से लगने वाला खनिज संपदाओं से भरा हुआ जनपद है। सूबे को सर्वाधिक राजस्व प्रदान करने वाला यह जिला आदिवासी वनवासी बहुल इलाकों में भी शुमार है। लेखन की दृष्टि से महत्वपूर्ण तो विभिन्न समस्याओं मसलन खनिज, पहाड़ों, जंगलों, वन्यजीवों की सुरक्षा, पिछड़ेपन, उपेक्षा की पीड़ा से भी यह जनपद अछूता नहीं है। पत्रकार उत्पीड़न और पत्रकारों पर फर्जी मामले दर्ज किए जाने को लेकर भी सोनभद्र चर्चाओं में रहा है। इसी उद्देश्य से पत्रकारों का जुटान कहीं और ना होकर सोनभद्र में ही कराया जाना सुनिश्चित किया गया। जहां पत्रकारों की समस्याओं पर चर्चा करते हुए पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़े हुए कई विभूतियों को सम्मानित भी किया गया।

पत्रकारों सम्मानित किया गया

पूर्वांचल मीडिया क्लब, सोनभद्र के तत्वावधान में उत्तर प्रदेश व देश के अन्य राज्यों में पत्रकारों पर हो रहे फर्जी एफआईआर पर चर्चा एवं संगोष्ठी, सम्मान समारोह का कार्यक्रम मुर्धवा मोड़ रेणुकूट, सोनभद्र स्थित एक होटल में आयोजित किया गया। जहां उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड, दिल्ली, इत्यादि राज्यों से चलकर पहुंचे पत्रकारों ने मौजूदा समय में देश भर में हो रहे पत्रकारों के उत्पीड़न पर सरकार का ध्यान आकर्षित कराया।

पत्रकारिता को कवच बनाने वालों से रखें दूरी: संजय सिंह

पूर्वांचल मीडिया क्लब, उत्तर प्रदेश के बैनर तले आयोजित कार्यक्रम में पत्रकारों पर हो रहे फर्जी एफआईआर पर बोलते हुए कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं दिल्ली के वरिष्ठ लेखक/पत्रकार, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, दिल्ली के संयुक्त सचिव, राष्ट्रीय अध्यक्ष भारती श्रमजीवी पत्रकार संघ दिल्ली के संजय सिंह ने कहा कि “कुछ यूट्यूबरों (youtube) के चलते समूची पत्रकारिता बदनाम हो रही है। उन्होंने देश के कुछ चुनिंदा कलमकारों की चर्चा करते हुए कहा कि जिन्हें सच लिखने बोलने की खातिर संस्थान को भी छोड़ना पड़ा है, सरकार भी पीछे पड़ी है लेकिन उन्होंने सच्चाई का साथ नहीं छोड़ा है अलबत्ता यूट्यूब चैनल के जरिए अपनी आवाज को बुलंद रखा है, वहीं कुछ ऐसे लोगों की खेप बढ़ी है जो कवच के रुप में मीडिया को ढाल बनाकर झटपट यूट्यूब चैनल तैयार कर पत्रकारिता की छवि को धूमिल किए जा रहे हैं। ऐसे लोगों से दूर रहने की नसीहत देते हुए उन्होंने कहा कि यूट्यूब चैनलों के कुछ पत्रकार अपनी खीझ मिटाने के लिए मनमानी खबरें प्रकाशित कर सारे पत्रकार समाज को बदनाम कर रहे हैं।” स्पष्ट शब्दों में कहा कि जो लोग पत्रकारिता को कवच बनाते दिखाई दे रहे हैं ऐसे लोगों से दूरी बनाए रखें, क्योंकि कि ऐसे लोग शासन सत्ता हुकूमत के गुलाम बनकर वास्तविक पत्रकारिता के स्वरुप पर कालिख पोतने का काम कर रहे हैं। हुकूमत से नजरें मिलाकर यदि आप लिख पढ़ नहीं सकते तो फिर यह कैसी पत्रकारिता?

संजय सिंह ने देश के कई हिस्सों में पत्रकारों के होने वाले उत्पीड़न, दर्ज़ किए गए फर्जी मुकदमों पर चर्चा करते हुए कहा कि “जरूरत पड़ने पर अधिकारी से लेकर अपराधी तक अपनी बात को कहने के लिए मीडिया का साथ मांगता है। समाज के बीच उत्पन्न विपन्नताओं को दूर करने में मीडिया की सकारात्मक पहल को दरकिनार नहीं किया जा सकता है। शासन सत्ता को आईना दिखाते हुए जनता को आवाज को उन तक पहुंचाने में सेतु का काम करने वाले पत्रकार साथियों का उपेक्षा और उत्पीड़न असहनीय हो चला है। इसके लिए उन्होंने सभी संगठनों को एक मंच पर एकजुट होकर इसके विरोध में डटकर खड़े होने का आह्वान किया।”

पूर्वांचल मीडिया क्लब के अध्यक्ष एवं कार्यक्रम के आयोजक पत्रकार विवेक कुमार पाण्डेय एडवोकेट ने कहा कि “पत्रकारों पर फर्जी एफ. आई. आर. बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसके लिए संगठन पत्रकारों के साथ डटकर संभव मदद करने के लिए तैयार है।” 

दीपक केशरवानी ने पत्रकारों की एकजुटता पर जोर देते हुए एकजुट और संगठित रहने की जरूरत पर जोर दिया।” दीपक सिंह ने कई संस्थानों द्वारा किसी को भी पत्रकार बना दिए जाने पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि जिनका पत्रकारिता से दूर-दूर का भी नाता और सरोकार नहीं होता है उन्हें भी पत्रकार के रुप में लांच किया जाना गलत है। नईम गाजीपुरी ने कहा कि इस समय के पत्रकारों में जूनियर-सीनियर का अन्तर खत्म हो गया है, जिसे सुधारने कि जरूरत है। राजेश पाठक ने कहा कि पत्रकारों पर यदि कहीं भी फर्जी एफआईआर होता है तो उसे विवेचना के बाद उन्हें निकाल दिया जाना चाहिए। 

पत्रकारों पर फर्जी मुकदमों की रही गूंज

कार्यक्रम में शामिल हुए कुछ पत्रकारों ने फर्जी मुकदमों के खिलाफ अपनी आपबीती भी सुनाई। जिस पर कार्यक्रम के आयोजकों ने पत्रकारों से आग्रह किया कि वे फर्जी मुकदमों के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने में संकोच न करें। संवैधानिक व्यवस्थाओं में आस्था रखने के साथ-साथ अपनी बात को भी कहने में पीछे न हटने की सलाह देते हुए कहा गया कि तानाशाही शक्तियां सच लिखने बोलने वालों को पचा नहीं पा रही हैं तो उन्हें शासन सत्ता का खौफ दिखाकर ऐन-केन प्रकारेण परेशान किए जाने कि साजिशें रच दी जा रही हैं, जिनसे तनिक भी घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि डटकर एकजुट होकर लड़ने की जरूरत है।

पूर्वांचल मीडिया क्लब के अध्यक्ष विवेक कुमार पाण्डेय ने मौजूदा बीजेपी सरकार पर जमकर निशाना साधते हुए कहा “भाजपा सरकार के कथनी और करनी में फर्क है। इस सरकार में करप्शन बढ़ गया है, जीरो टॉलरेंस की बातें केवल कागजी प्रमाण के रूप में है। वास्तविकता की पारदर्शिता पर केवल दिखावे की बातें हैं। अब तक की यह सरकार पत्रकारों के लिए सबसे विरोधी सरकार साबित हुई है। सच्चाई और ईमानदारी से जनहित के मुद्दों पर लिखने वाले पत्रकारों को फर्जी मुकदमों में फंसाकर उनका मनोबल तोड़ने की कोशिश की जा रही है।”

उन्होंने कहा कि “बिना तथ्यों की जांच किए ही पत्रकारों पर फर्जी मुकदमें कायम कर उन्हें गिरफ्तार किया जाता है, यह कहां तक न्यायोचित है?”

इन जिलों में पत्रकार हुए हैं प्रभावित

उत्तर प्रदेश के जौनपुर में अस्थाई गौशाला पेसारा की जमीनी हकीकत दिखाने पर एक दलित पत्रकार सहित चार पत्रकारों पर दर्ज हुए फर्जी मुकदमें, मिर्ज़ापुर के ड्रमंडगंज थाना पुलिस द्वारा रिपोर्टिंग करने गए पत्रकार के साथ अपराधियों जैसा किया गया क्रूर व्यवहार, हाल ही में मिर्ज़ापुर की शहर कोतवाली पुलिस द्वारा निजी अस्पताल से ब्लड की बिक्री किए जाने के मामले में खुलासा करने वाले पत्रकारों पर ही पूरे मामले की बिना कोई जांच कराये कुछ प्रभावशाली लोगों के इशारे पर मुकदमा दर्ज कर जेल भेजे जाने की घटना, वाराणसी से प्रकाशित होने वाले धारदार साप्ताहिक समाचार पत्र अचूक संघर्ष के संपादक अमित मौर्य पर दर्ज कराये गए फर्जी मामले, एक फर्जी फाइनेंस कंपनी के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले मिर्ज़ापुर के पत्रकार पर वाराणसी में दर्ज कराए गए फर्जी मुकदमे का मुद्दा उठाया गया तो वहीं सोनभद्र जिले में भी कोयला, खदान-खनन के अवैध कारोबार का खुलासा करने वाले पत्रकारों पर होने वाले मुकदमें की चर्चा की गई। कार्यक्रम में पत्रकार चंदन दुबे पर लगे फर्जी मुकदमे को लेकर भी चर्चा हुई। विवेक कुमार पाण्डेय ने कहा कि “चंदन दुबे एक सच्चे पत्रकार हैं जिन्होंने हमेशा सत्ता के गलत कामों का पर्दाफाश किया है। उन पर लगाया गया मुकदमा पूरी तरह से फर्जी है और यह सरकार की पत्रकारों को डराने-धमकाने की रणनीति का हिस्सा है।” उन्होंने कहा कि पत्रकारों के मामले में जांच पड़ताल करना तो दूर बिचौलिए और पद प्रभाव वालों के अदब में आकर तुरंत मुकदमा दर्ज करने की बढ़ती हुई प्रवृत्ति कहीं से भी उचित नहीं है।”

कार्यक्रम के अंत में एक बार पुनः पत्रकारों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने और एक मंच पर पर सभी को आने का आह्वान करते हुए पत्रकारों ने एकजुट होकर फर्जी मुकदमों के खिलाफ लड़ाई लड़ने का संकल्प लिया गया। इस अवसर पर दर्जनों पत्रकारों को सम्मानित भी किया गया। तो वहीं मणीशंकर सिन्हा, सरिता गिरी, अजय जौहरी, जी.के मदान, एसपी पांडेय, किशन पांडेय, आनंद गुप्ता, शिव नरेश, कृष्ण उपाध्याय, अशोक सिंह, पंकज देव पाण्डेय, लल्लन गुप्ता, चंदन कुमार दुबे, लक्ष्मीकांत, आशीष यादव, साहिल पाण्डेय, प्रदीप चौबे, विकास अग्रहरि, अजयंत सिंह, अजीत कुमार सिंह, सुभाष चंद्र उपाध्याय, राजेश पाठक, अशोक सोनी, अजय गुप्ता, संजय श्रीवास्तव, चंद्रजीत कुमार अनिल आदि सहित सैकड़ों पत्रकार, साहित्यकार, समाजसेवी जन उपस्थित रहे।

(सोनभद्र से संतोष देव गिरी की रिपोर्ट)

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