जहां बीजेपी को कम वोट, वहां बदली जा रही हैं ईवीएम, मतदान प्रतिशत बढ़ने पर ममता बनर्जी का संगीन आरोप

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चुनाव आयोग ने मंगलवार को जानकारी देते हुए बताया कि लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 66.14 प्रतिशत और दूसरे चरण में 66.71 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया है। इस डेटा के आने के बाद कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और सीपीएम जैसी पार्टियों ने पूछा कि आखिर चुनाव आयोग को इतनी देरी क्यों हुई। पश्चिम बंगाल की मुख्यसमंत्री ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग और बीजेपी पर करार हमला किया है। ममता बनर्जी ने तीसरे चरण की वोटिंग से पहले ईवीएम बदलने का आरोप लगाया है। तृणमूल सुप्रीमो ने कहा है कि मतदान के बाद बदल दी जा रही हैं। बनर्जी ने आरोप लगाया है जहां बीजेपी को कम वोट मिले हैं, वहां बीजेपी के पक्ष में वोट डाले जा रहे हैं।

ममता बनर्जी ने फरक्का में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जिस दिन पहले फेज का चुनाव हुआ और फिर दूसरे फेज का चुनाव हुआ। चुनाव आयोग के सूत्र को लेकर सभी मीडिया की तरफ से बताया गया कि कहां कितना परसेंट वोट हुआ है और कहां ड्रॉपआउट हुआ है। मैं कल सुना कि चुनाव आयोग ने एक नोटिस जारी कर कहा है कि वोट प्रतिशत में इजाफा हुआ। उन्होंने सवाल किया कि ईवीएम किसने बनाई? चिप किसने बनाई? कैसे संख्या बढ़ी? ममता बनर्जी ने कहा कि हम जानना चाहते हैं कि वहां कितने मतदाता थे, कितनी मशीनें थीं।

ममता बनर्जी का दावा है कि 19 लाख मशीनें लंबे समय से गायब हैं उन्होंने कहा कि ईवीएम बदले जा रहे हैं। बनर्जी ने कहा कि उन्हें शक है। आयोग लोगों का संदेह दूर करे। आयोग को निष्पक्षता से काम करना चाहिए। बनर्जी ने कहा कि सच तो बताया ही जाना चाहिए। धोखाधड़ी हुई है या नहीं, इसकी जांच होनी चाहिए।

कुछ दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ईवीएम के 100 प्रतिशत वीवीपैट से मिलान की कोई जरूरत नहीं है। ममता ने एक कदम आगे बढ़ते हुए कार्यकर्ताओं से कहा कि ईवीएम ओके है उसके चिप पर नज़र रखिये। रात में बीजेपी के लोग ताला तोड़कर ईवीएम की मशीन बदल रहे हैं। उनके स्थान पर ये बीजेपी को वोट दी गई मशीनों को रख रहे हैं।

देश में इन दिनों लोकतंत्र का महापर्व चल रहा है। 7 चरणों में लोकसभा चुनाव की शुरुआत 19 अप्रैल से हुई और 26 अप्रैल को दूसरे चरण की वोटिंग हुई। इस मतदान के बाद चुनाव आयोग वोटिंग प्रतिशत का आंकड़ा जारी करता है। लेकिन इसी मुद्दे पर अब सियासत गरमाई हुई है। वजह है कि चुनाव आयोग को यह आंकड़ा जारी करने में काफी वक्त लगा। विपक्षी दल इसे लेकर आयोग पर सवाल खड़े कर रहे हैं।

दरअसल मंगलवार शाम चुनाव आयोग ने यह आंकड़ा जारी किया और विपक्षी दल इसे लेकर ईसीआई पर सवाल खड़े करने लगे। विपक्ष का आरोप है कि आमतौर पर वोटिंग प्रतिशत का यह आंकड़ा 24 घंटों के भीतर जारी कर दिया जाता है। लेकिन इस बार यह काफी देर से जारी हुआ है।
चुनाव आयोग ने मंगलवार को जानकारी देते हुए बताया कि लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 66.14 प्रतिशत और दूसरे चरण में 66.71 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया है। इस डेटा के आने के बाद कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और सीपीएम जैसी पार्टियों ने पूछा कि आखिर चुनाव आयोग को इतनी देरी क्यों हुई।

सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर सवाल उठाए और पहले दो चरणों के लिए पारदर्शिता की मांग की। सीताराम येचुरी ने कहा पहले दो चरणों में मतदान का आंकड़ा शुरुआती आंकड़ों से काफी अधिक है। उन्होंने पूछा, प्रत्येक संसदीय क्षेत्र में मतदाताओं की पूरी संख्या क्यों नहीं बताई जाती? जब तक यह आंकड़ा ज्ञात न हो, आंकड़ा निरर्थक है। वे बोले, नतीजों में हेरफेर की आशंका बनी हुई है, क्योंकि गिनती के समय कुल मतदाता संख्या में बदलाव किया जा सकता है। 2014 तक प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में मतदाताओं की कुल संख्या हमेशा ईसीआई वेबसाइट पर उपलब्ध थी। ईसीआई को पारदर्शी होना चाहिए और इस डेटा को बाहर रखना चाहिए।

सुप्रिया सुले ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि चुनावी प्रक्रिया की अखंडता और लोकतंत्र की नींव सवालों के घेरे में है। उन्होंने कहा कि यह चुनाव आयोग के लिए अनुचित दबाव झेलने, अपने अधिकार का दावा करने, पारदर्शिता सुनिश्चित करने और इन चुनावों में निष्पक्षता और जवाबदेही के सिद्धांतों को बनाए रखने का समय है। 19 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान को दस दिन से अधिक हो गए हैं, फिर भी चुनाव आयोग आधिकारिक तौर पर अंतिम मतदान के आंकड़ों का खुलासा करने में विफल रहा है। इसी तरह 26 अप्रैल को दूसरे चरण के लिए भी चुनाव आयोग ने अभी तक अंतिम आंकड़े जारी नहीं किए हैं।

भाजपा पर आचार संहिता का उल्लंघन करने और चुनाव आयोग पर कोई कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव चिंताजनक और स्पष्ट रूप से लापरवाही के साथ सामने आ रहे हैं, जबकि हर दिन भाजपा के नेताओं द्वारा आचार संहिता का मजाक बनाया जाता है। चुनाव आयोग द्वारा नियंत्रित किए बिना, भाजपा समाज के विभिन्न वर्गों के खिलाफ खुलेआम अभूतपूर्व घृणास्पद बयानबाजी कर रही है।

आम चुनाव के लिए मतदान सात चरणों में हो रहा है। शुरुआती दो चरणों की वोटिंग 19 और 26 अप्रैल को हो चुकी है, तो वहीं बाकी चरण 7 मई, 13 मई, 20 मई, 25 मई और 1 जून को होंगे। इन सभी वोटों की गिनती 4 जून को होगी।

इस आंकड़े के आने से पहले कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) के लिए चुनाव संबंधी सभी आंकड़ों के बारे में समय पर और पारदर्शी होना जरूरी है और उसे आंकड़े सामने लाने चाहिए और उन्हें सार्वजनिक करना चाहिए। उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में पूछा, ‘पहली बार, पहले चरण के मतदान के 11 दिन बाद और दूसरे चरण के चार दिन बाद भी, ईसीआई द्वारा अंतिम मतदान प्रतिशत जारी नहीं किया गया है। पहले, ईसीआई मतदान के तुरंत बाद अंतिम मतदान प्रतिशत जारी करता था। आमतौर पर यह मतदान के 24 घंटों के भीतर जारी होता है। लेकिन ईसीआई की वेबसाइट पर केवल अनुमानित मतदान के आंकड़े उपलब्ध हैं, इस देरी का कारण क्या है।

जयराम रमेश ने कहा कि इसके अतिरिक्त, प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र और उस लोकसभा क्षेत्र में शामिल विधानसभा क्षेत्रों में पंजीकृत मतदाताओं की संख्या भी आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं है। उन्होंने कहा, वेबसाइट केवल राज्य में मतदाताओं की कुल संख्या और प्रत्येक बूथ में मतदाताओं की संख्या दिखाती है। कांग्रेस महासचिव ने कहा, ‘भारत के चुनाव आयोग के लिए चुनाव संबंधी सभी आंकड़ों का समय पर और पारदर्शी होना जरूरी है।

गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान प्रतिशत में तीन दिनों में करीब छह फीसदी की तेजी ने शेयर बाजार और सोने के सर्राफा बाजार को भी चकित कर दिया है। निर्वाचन आयोग की 26 अप्रैल यानी मतदान के दूसरे चरण वाली देर शाम जारी रिलीज 60.96 फीसद मतदान होने की तस्दीक करती दिखी। लेकिन अगले चार दिनों में यानी 30 अप्रैल की शाम तक ये आंकड़ा लगभग छह फीसदी बढ़कर 66.71 फीसदी तक पहुंच गया। मतदान आंकड़ों में उछाल से राजनीति में बवाल मच गया है। कुछ लोग चुनाव के बाद इस बाबत चुनाव याचिका और कुछ जनहित याचिका भी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करने की प्लानिंग कर चुके हैं, यानी गर्मी छुट्टी के बाद शायद ये मामला सुप्रीम कोर्ट में भी गूंजे।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं।)

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