पांच लोगों की सामूहिक आत्महत्या से सन्न रह गया बिहार

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बीते साल 13 मार्च 2021 में बिहार के सुपौल के राघोपुर थाना क्षेत्र के गद्दी गांव में एक ही परिवार के पांच लोगों की सामूहिक आत्महत्या को लोग भूल भी नहीं पाए हैं कि बिहार के ही समस्‍तीपुर के विद्यापति नगर थाना के मऊ गांव में 4 जून को एक ही परिवार के पांच लोगों की सामूहिक आत्महत्या ने हिला कर रख दिया है।
इस सामूहिक आत्‍महत्‍या को आर्थिक तंगी व कर्ज को कारण माना जा रहा है। परिवार में अब केवल दो शादीशुदा बेटियां ही बची हैं।

4 जून शनिवार देर रात की यह घटना जब रविवार की सुबह सामने आई, तो हड़कम्‍प मच गया। कोई इसे सामूहिक आत्‍महत्‍या बता रहा है तो कोई सामूहिक हत्‍या। कुछ लोग इसे परिवार के एक या अधिक सदस्‍यों द्वारा अन्‍य की हत्‍या कर आत्‍महत्‍या भी बता रहे हैं। उन्‍हें परिवार के मुखिया मनोज झा के पुत्र 10 व 7 साल के मासूम बेटों क्रमश: सत्यम कुमार व शिवम कुमार के आत्‍महत्‍या करने पर संदेह है। ऐसे में संभव है कि बच्‍चों की हत्‍या कर बड़ों ने आत्‍महत्‍या कर ली हो। घटना का कोई गवाह नहीं होने के कारण अब नजरें पुलिस जांच पर टिकी हैं। इसके बाद ही असली कारण स्‍पष्‍ट हो पाएंगा।

मरने वालों में मनोज झा (45), उनकी मां सीता देवी (65), बेटे सत्यम कुमार (10) व शिवम कुमार (07) एवं पत्‍नी सुंदरमणि देवी (38) शामिल हैं। परिवार में अब केवल दो शादीशुदा बेटियां ही बच गईं हैं। अभी तक मिली जानकारी के अनुसार परिवार के मुखिया मनोज झा आटो चलाकर व खैनी बेचकर गुजरा करते थे। उन पर भारी कर्ज चढ़ गया था, जिसे चुकाने में वे असमर्थ हो गए थे।
समय-सीमा के अंदर कर्ज वापस करने में वे सक्षम नहीं हो पा रहे थे। इस कारण बार-बार उन्हें तकादा भी झेलना पड़ रहा था। साथ ही डांट भी खानी पड़ रही थी।

खबर के मुताबिक घटनास्थल पर पुलिस ने पहुंचकर पूरी तरह घेराबंदी कर दी है। एफएसल टीम को यहां बुलाया गया है। दलसिंहसराय के डीएसपी दिनेश पांडेय ने बताया कि पुलिस कई बिंदुओं को ध्यान में रखकर जांच कर रही है। अभी तक कोई स्पष्ट कारण सामने नहीं आ पाया है।
वहीं मृतक के दामाद गोविंद झा ने आरोप लगाया है कि यह आत्‍महत्‍या नहीं हत्‍या है। उनके श्‍वसुर मनोज कुमार झा के परिवार के सभी सदस्‍यों की हत्‍याकर उन्‍हें फंसी पर लटकाया गया है। दामाद गोविंद झा का कहना है कि परिवार एक ही कमरे में रहता था। आज सुबह ही उनसे बातचीत हुई थी। दामाद का आरोप है कि मनोज कुमार झा और उनकी मां ने 6 माह पूर्व ही कर्ज लिया था और वे लोग लगातार प्रताड़ित कर रहे थे। वे लोग उनके साथ मारपीट करते थे। पास के ही एक परिवार ने मनोज कुमार को कर्ज दिया था। उसने घर का दरवाजा तोड़ दिया था। परिवार के सदस्‍यों का घर से बाहर निकलना मुश्किल कर दिया था। मनोज कुमार झा के पास कई गाडि़यां थीं जिसे कर्ज देने वालों ने नीलाम करवा दिया था। मनोज कुमार की शिकायत पर पुलिस एफआईआर नहीं लिख रही थी, जिसकी वजह से वो और भी ज्‍यादा परेशान थे।
  बताते चलें कि इसके पूर्व मनोज झा के पिता ने भी फांसी लगाकर अपनी जान दे दी थी। बताया जाता है कि उन्होंने अपनी बड़ी पुत्री की शादी के लिए कर्ज लिया था। कर्ज चुका नहीं कर पाने की स्थिति में उन्होंने अपनी जान दे दी थी। अभी कुछ दिन पहले मनोज झा ने अपनी दूसरी बहन की शादी मंदिर में की थी।

बताते चलें कि पिछले साल 13 मार्च में सुपौल के राघोपुर थाना क्षेत्र के गद्दी गांव में एक परिवार के पांच सदस्‍यों में मिश्रीलाल साह (52) उनकी पत्नी रेणु देवी उम्र (44), बेटी रोशन कुमारी (15) बेटा ललन कुमार (14) बेटी फूल कुमारी (8) के शव फंदे से लटके मिले थे। कई दिनों से बंद घर के अंदर से बदबू आने पर आसपास के लोगों ने दरवाजा तोड़कर देखा तो घटना उजागर हुई थी। इस घटना में भी मरने वालों में 15, 14 और आठ साल के बच्चे शामिल थे, जिससे उनकी आत्‍महत्‍या को लेकर संदेह व्‍यक्‍त किए गए थे।

बताया गया था कि कुछ दिनों पहले मिश्रीलाल साह की एक बेटी ने भागकर शादी कर ली थी। उस घटना के बाद से यह परिवार काफी डिप्रेशन में था। उस वक्त सुपौल के तत्‍कालीन पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार ने कहा था कि मिश्री लील शाह का परिवार अ‍ार्थिक रूप से मजबूत नहीं था।

लोगों का कहना था कि मृतक मिश्रीलाल साह आर्थिक तंगी से जुझ रहा था। पति- पत्नी के अलावा तीन पुत्री एवं एक पुत्र का भरण पोषन करने के लिए उन्होंने पहले रिक्शा चलाना शुरु किया था।

जब रिक्शा चलाने के कारण स्वास्थ्य साथ नहीं दिया तो फिर उन्होंने अपने परिवार के जीविका के लिये चिमनी के ईट भट्टे जले हुए कोयले को बेचने का काम शुरु किया।

नई तकनीक के कारण ईट भट्ठे में ईट पकाई में कोयला का डस्ट भी इस्तेमाल होने लगा, जिसकी वजह से उसका यह काम भी छूट गया। मिश्रीलाल ने फिर कर्ज लेकर आटा चक्की का काम शुरु किया, जिसमें भी उसे कामयाबी नहीं मिली।

तंग आकर उसने अपने हिस्से की जमीन बेच दी। इसके बाद जीने के लिये कोई संसाधन नहीं बचा जिससे तंग आकर उन्होंने परिवार सहित अपना जीवन समाप्त कर लिया था।

सामूहिक आत्महत्या की खबरों में सबसे चर्चे में रहा है 2018 का दिल्ली के बुराड़ी में भाटिया परिवार। उल्लेखनीय है कि बुराड़ी के संत नगर में एक जुलाई 2018 को भाटिया परिवार के 11 सदस्‍यों ने सामूहिक आत्महत्या कर ली थी।
राजधानी दिल्‍ली के बुराड़ी में 1 जुलाई 2018 को एक ही घर में 11 लोगों ने फांसी लगा ली थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि सभी की मौत फांसी के कारण हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक, घर के 11 में से 10 सदस्यों की मौत फांसी के कारण हुई, तो 11वीं सबसे वरिष्ठ सदस्य नारायणी देवी का शव जमीन पर पड़ा मिला था। फांसी से मरने वाले 10 सदस्यों के शरीर पर चोट के कोई निशान नहीं थे, लेकिन उनमें से कुछ की गर्दन टूट गई थी। यही नहीं, उनकी आंखों पर पट्टी थी और हाथ-पैर भी बंधे हुए थे।

वैसे बुराड़ी कांड के कारण का कोई विश्वसनीय खुलासा नहीं हो पाया था। कुछ तथ्यों के आधार पर इस सामूहिक आत्महत्या को अंधविश्वास को कारण बताया गया था।

(वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट।)

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