गेहूं की फसल में किसानों से 20 दिन में 205 करोड़ की लूट

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सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी ₹1975 निर्धारित किया था। लेकिन देश के सभी मंडियों में किसान को औसतन ₹1703 ही मिल पाए। यानी कि किसान को प्रति क्विंटल सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम से भी कम बेचने के कारण ₹272 का घाटा सहना पड़ा।

01 मार्च से 20 मार्च के बीच किसान को गेहूं एमएसपी से नीचे बेचने की वजह से सीजन के शुरुआत में ही 205 करोड़ रुपए का घाटा हो चुका है। यही बाजार भाव चलता रहा तो इस सीजन में केवल गेंहू की फसल में किसान की 4950 करोड़ रुपए की भीषण लूट होने का अनुमान है। हालांकि हरियाणा और पंजाब में और खरीद होने पर इस स्थिति में कुछ सुधार की गुंजाइश है परन्तु वह नाकाफ़ी होगा।

रबी के इस सीजन में पिछले 20 दिन के आंकड़ों के अनुसार किसान का 87.5 फ़ीसदी गेहूं न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे बिका। (पूरी सूचना संलग्न तालिका में है)।

गेहूं पर चल रही इस भीषण लूट पर जय किसान आंदोलन के संस्थापक योगेंद्र यादव ने कहा कि यह बहुत चौंकाने वाली खबर है और एमएसपी को लेकर सरकारी प्रोपेगंडा का सबसे करारा जवाब है। आमतौर पर माना जाता है कि कम से कम गेहूं की फसल में तो किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल जाता है। अगर सीज़न की शुरुआत में ही गेहूं में भी किसान की ₹250 से ₹300 प्रति क्विंटल की लूट हो रही है तो एमएसपी किसान के साथ एक क्रूर मजाक है।

जय किसान आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक अवीक साहा ने आज चौथे दिन “एमएसपी लूट केलकुलेटर” का आंकड़ा जारी करते हुए बताया कि इसमें इस्तेमाल किए जा रहे आंकड़े सरकार की अपनी वेबसाइट एगमार्क नेट से लिए गए हैं। इसका उद्देश्य सरकार की इस झूठे प्रचार का भंडाफोड़ करना है कि सरकार द्वारा घोषित एमएसपी किसान को प्राप्त हो रहा है।

जय किसान आंदोलन के प्रेस विज्ञप्ति के आधार पर

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