जोशीमठ का दर्द सरकार और प्रशासन तक पहुंचाने का बीड़ा राज्य के कुछ नवयुवकों ने उठाया है। युवकों का यह दल जोशीमठ से देहरादून तक लगभग 300 किलोमीटर की पैदल यात्रा पर निकल पड़ा है।

जोशीमठ बचाओ अभियान के तहत यह यात्रा एक मार्च से शुरु हुई जो 14 मार्च तक देहरादून के गांधी पार्क पहुंचेगी और वहीं यह यात्रा समाप्त हो जाएगी।
यात्रा का उद्देश्य जोशीमठ के लोगों के दुख और तकलीफों को सरकार तक पहुंचाना है और जोशीमठ को बचाना है। ‘जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति’ के संयोजक अतुल सती और आपदा प्रभावित जोशीमठ की जनता ने इस युवा दल को तहसील गेट से विदा किया। इस युवा दल के जोश को देख कर अतुल सती ने कहा कि “यह जोश किसी नए और बड़े परिवर्तन का संकेत दे रहा है’’।
इस युवा दल के उत्साह को बढ़ाने के लिए कई जगहों से सामाजिक कार्यकर्ता भी आए। यात्रा में शामिल युवाओं ने जोशीमठ तहसील के माध्याम से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ज्ञापन देकर आग्रह किया कि जोशीमठ को बचाने का उपाय जल्द से जल्द किया जाए।

इस दौरान उन्होंने पीपलकोटी, गडोरा, मायापुर, बिरही क्षेत्रपाल से गुजरते हुए स्थानीय निवासियों से बात की और उन्हें जोशीमठ में आई आपदा को लेकर बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं के प्रति आगाह रहने को कहा।
जोशीमठ के इन युवाओं के समर्थन में स्थानीय निवासियों ने भी पद यात्रा में भाग लिया। इस दौरान पद यात्रियों ने जोशीमठ की तबाही के लिए जलविद्युत परियोजना की टनल को जिम्मेदार बताया।

इस यात्रा में शामिल होने वाले युवाओं में सचिन रावत, आयुष डिमरी, मयंक भुजवाण, ऋतिक राणा, अमान भोटियाल, ऋतिक हींदवाल, अभय राणा, कुणाल सिंह और तुषार धीमान शामिल हैं। इन युवाओं के लिए प्रत्येक पड़ाव पर ठहरने और खाने-पीने की व्यवस्था की गई है।
बता दें कि आज से लगभग डेढ़ महीने पहले उत्तराखंड के जोशीमठ में भू-धंसाव होने लगा और घरों में बड़ी-बड़ी दरारें आ गई थीं। जिसे लेकर स्थानीय लोगों में डर और खौफ का माहौल था।
हालात को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार ने पूरे इलाके को खाली करने के आदेश दे दिए थे। जोशीमठ के स्थानीय लोग अपने अपने घरों को छोड़ कर चले गए थे। जोशीमठ में अभी भी घरों में दरारें आ रही हैं।
(सुनैना सकलानी जनचौक की संवाददाता हैं और उत्तराखंड में रहती हैं।)
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