सीबीआई जज बीएच लोया की मौत की फिर उठी जांच की मांग, लोगों ने किया ‘गेट वे ऑफ इंडिया’ पर प्रदर्शन

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मुंबई। सीबीआई जज बीएच लोया की संदिग्ध मौत की जांच के लिए आज मुंबई में एक प्रदर्शन हुआ। गेट वे ऑफ इंडिया पर हुए इस प्रदर्शन में बड़ी तादाद में लोगों ने भागीदारी की। सभी प्रदर्शनकारियों ने एक टी शर्ट पहन रखी थी जिस पर लिखा हुआ था कि किसने जज लोया की हत्या की? प्रदर्शन में पुरुषों के अलावा महिलाएं भी शामिल थीं। गांधी की पुण्यतिथि के मौके पर हुए इस प्रदर्शन में लोग एक फास्टून लिए हुए थे जिस पर गांधी की तस्वीर के साथ सत्यमेव जयते लिखा था। प्रदर्शन के आखिर में लोगों ने कैंडल जलाकर मार्च किया।

प्रदर्शनकारियों का कहना था कि जज लोया की मौत के मामले में बहुत सारे सवाल अभी भी अनुत्तरित हैं। और उनका जवाब मिलना जरूरी है। इसके साथ ही जज लोया की मौत और उसके बाद उनके दाह संस्कार तक विभिन्न जगहों पर हुई चूकों को गिनाया गया।

इस सिलसिले में प्रदर्शनकारियों में शामिल एक शख्स ने उनका सिलसिलेवार तरीके से जिक्र किया था। इसमें कहा गया है कि मुंबई में परिवार के पास ले जाने के बजाय लोया के शव को लाटूर ले जाने का फैसला किसने किया जहां दूसरा पोस्टमार्टम संभव ही नहीं था।

जब लोया को दिल का दौरा पड़ा था तो फिर उनकी शर्ट कैसे खून से लथपथ थी? आमतौर पर इस तरह की मौतों के बाद खून बहना बंद हो जाता है क्योंकि दिल काम करना बंद कर देता है।

पोस्टमार्टम के बाद किसी शव को पुराने कपड़े कैसे पहनाये जा सकते हैं जिसको उसने जिंदा रहते पहन रखा था  जैसा कि लोया के साथ हुआ। आमतौर पर कपड़ों को निकाल दिया जाता है और उन्हें परिजनों को दे दिया जाता है।

डिस्क्रीट जांच की जगह महाराष्ट्र सरकार ने पूरी जांच क्यों नहीं बैठायी? 

जज लोया का फोन नागपुर से लाटूर कैसे अपने आप चला गया और फिर वहां एक नागरिक ने उसे उनकी बहन को दिया और सच्चाई यह है कि ऐसा करने से पहले उसका पूरा डाटा हटा दिया गया था।

जब जज लोया को दिल का दौरा पड़ा था तो उन्हें एक आर्थोपेडिक अस्पताल में क्यों ले जाया गया? और वह भी फर्स्ट फ्लोर पर स्थित था।

इंडियन एक्सप्रेस द्वारा प्रकाशित किया गया ईसीजी का प्रिंट क्यों नहीं सुप्रीम कोर्ट और याचिकाकर्ताओं को मुहैया करायी गयी। ईसीजी को पढ़े जाने के बाद पता चला कि उसकी तारीख गलत थी। यह उस शख्स की ईसीजी नहीं है जो दिल के दौरे से पीड़ित हो।

जज लोया को सुपर स्पेशियल्टी वोखार्ट्ड अस्पताल क्यों नहीं ले जाया गया उन्हें क्यों एक दूसरे अस्पताल में ले जाया गया जहां पहुंचते ही मृत घोषित कर दिया गया था।

जांच में सभी गवाह हलफनामे के साथ क्यों नहीं आए?

इसके साथ ही इस बात को लेकर भी सवाल उठाया गया है कि परिजनों द्वारा मौत को संदिग्ध करार दिए जाने और मामले की जांच की मांग के बाद भी क्यों नहीं जांच बैठायी गयी। इसके साथ ही कहा गया है कि 100 करोड़ रुपये घूस देने के प्रस्ताव के खुलासे के बाद भी ऐसा क्यों नहीं किया गया। यह अभी भी एक अचरज बना हुआ है। इसके साथ ही उन्हें जमीन और अपार्टमेंट देने का प्रस्ताव दिया गया था। वह भी किसी सामान्य शख्स से नहीं बल्कि बांबे हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस मोहित शाह द्वारा दिया गया था।

इसके साथ ही प्रदर्शनकारियों का कहना था कि इसके अलावा ढेर सारे सवाल हैं जिनका उत्तर आना बाकी है। और यह मामला इसलिए भी और गंभीर हो जाता है क्योंकि इसमें देश के मौजूदा गृहमंत्री शामिल हैं।

इसके साथ ही उन लोगों ने मामले की जांच होने तक गृहमंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग की है। क्योंकि कुर्सी पर रहते हुए वह जांच को प्रभावित कर सकते हैं।

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