हिंदू राव अस्पताल।

डॉक्टर का टर्मिनेशन: सेफ्टी किट्स के इंतज़ाम का ईनाम मिला!

भाजपा के कब्ज़े वाली उत्तर दिल्ली नगर निगम के हिन्दूराव अस्पताल में साथी डॉक्टरों के लिए फेस शील्ड उपलब्ध कराने में सक्रिय रहे एक डॉक्टर के टर्मिनेशन ने कोरोना से लड़ने के तौर-तरीक़ों को फिर कठघरे में खड़ा कर दिया है। इस कार्रवाई की व्यापक निंदा की जा रही है। एम्स रेडजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने भी कार्रवाई वापस लिए जाने की मांग की है। इस मसले पर हो रही आलोचनाओं से गुस्साईं उत्तरी निगम की आयुक्त वर्षा जोशी ने एपेडेमिक एक्ट में कार्रवाई की धमकी तक दे डाली है। 

नगर निगम के अधीन संचालित हिन्दू राव अस्पताल की रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के महासचिव डॉ. पीयूष पुष्कर सिंह ऑर्थोपेडिक डिपार्टमेंट में डीएनबी स्टूडेंट हैं। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक की तरफ़ से 15 मई को जारी किए गए टर्मिनेशन ऑर्डर में इस कार्रवाई की कोई वास्तविक वजह नहीं बताई गई है। सिर्फ़ संस्था को बदनाम करने का आरोप लगाया गया है। कहा जा रहा है कि यह आदेश ज़ारी करने से पहले डॉ. पीयूष को न तो कोई कारण बताओ नोटिस दिया गया और न ही कोई जांच बैठाई गई। मीडिया में आ रही ख़बरों के मुताबिक, डॉ. पीयूष ने कहा है कि उन्होंने साथी डॉक्टरों को कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए पीपीई किट्स मुहैया कराने के लिए रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन की तरफ़ से एक एनजीओ से संपर्क किया था।

गौरतलब है कि देश के विभिन्न हिस्सों से डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ के पास पीपीई किट्स न होने और उनके संक्रमित होने की खबरें आती रही हैं। हिंदूराव अस्पताल में पीपीई की कमी होने की बात पहले भी सुर्खियों में आ चुकी है। ऐसी स्थिति में डॉक्टरों पर ख़ुद अपने लिए किट्स जुटाने की नौबत आन पड़ी है। सरकार की कोशिश रही है कि इस बारे में कोई मुंह न खोले। बताया जा रहा है कि एनजीओ ने रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन को बुधवार 15 अप्रैल को फेस शील्ड भेज दी थी। डॉ. पीयूष ने उसी दिन डॉक्टरों को फेस शील्ड बांटना शुरू भी कर दिया था। अगले दिन चिकित्सा अधीक्षक ने उन्हें टर्मिनेशन ऑर्डर थमा दिया । डॉ. पीयूष हैरान हैं कि कोरोना जैसे भयानक वायरस के संक्रमण से बचाव का प्रबंध करना अपराध भी हो सकता है। 

डॉक्टरों से थाली-ताली के शोर से संतुष्ट रहने की अपेक्षा वाले कोरोना समय में एक डॉक्टर को सुरक्षा किट्स उपलब्ध कराने की पहल के लिए दंडित किए जाने की बात वायरल होने से सोशल मीडिया में निगम और सरकार की आलोचना का सिलसिला भी शुरू हो गया है। उत्तरी दिल्ली निगम की आयुक्त वर्षा जोशी के ट्वीट ने इस विवाद को और बढ़ा दिया है। पत्रकार विद्या कृष्णन ने एम्स की रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. हरजीत सिंह भट्टी के इस बारे में किए गए ट्वीट को शेयर करते हुए अपनी टिप्पणी दर्ज़ की। उन्होंने चिंता जताई कि निगम आयुक्त वर्षा जोशी इस बारे में एपिडेमिक एक्ट में कार्रवाई की धमकी तक दे चुकी हैं।

हिंदुस्तान अख़बार में छपे बयान के मुताबिक, आयुक्त वर्षा जोशी का कहना है कि वे एनजीओ किट देने के लिए अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक के संपर्क में थीं। ये किट्स अस्पताल प्रशासन के जरिए मुफ्त में उपलब्ध होनी थीं। तय करता कि ये किट्स किन लोगों को देनी हैं। जोखिम वाले हिस्सों में काम करने वाले डॉक्टर, सफाईकर्मी आदि को निगरानी के साथ ये किट्स दी जातीं लेकिन डॉक्टर ने अस्पताल के नियमों के विरुद्ध जाकर खुद ही एनजीओ से किट्स ले लीं जिस वजह से कार्रवाई की गई है। जोशी के बयान के बरअक्स डॉ. पीयूष का कहना है कि एनजीओ ने ये किट्स रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन को ही उपलब्ध कराई थीं। 

दूसरी ओर, उत्तरी नगर निगम के मेयर अवतार सिंह के हवाले से छपे बयान के मुताबिक, चिकित्सा अधीक्षक ने उन्हें बताया कि कार्रवाई की वजह डॉक्टर द्वारा सोशल मीडिया पर अस्पताल को बदनाम करना है। गौरतलब है कि हिन्दूराव अस्पताल के ऑर्थोपेडिक इमरजेंसी वॉर्ड की छत से मरीजों के बिस्तरों पर पानी टपकने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था तो डॉ. पीयूष को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। डॉक्टर पीयूष का कहना है कि उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। निगम की इस तर्क को लेकर भी आलोचना हो रही है। हैरानी जताई जा रही है कि इमरजेंसी की छत का पानी मरीजों के बिस्तरों पर टपकता हो तो समझा सकता है कि स्थिति कितनी बदतर है। ऐसे में ग़लती सुधारने के बजाय आवाज़ दबाना भयानक बात है। डॉ. पीयूष की सोशल मीडिया की पोस्ट्स के आधार पर उन्हें भाजपा का समर्थक बताया जा रहा है और निगम पर भी भाजपा का ही कब्जा है। सोशल मीडिया पर इस कार्रवाई को लेकर चल रही चर्चाओं में डॉ. कफील को भी याद किया जा रहा है। गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में बच्चों की जान बचाने के लिए अपने प्रयास से कुछ ऑक्सीजन सिलेंडर का इंतजाम करने को लेकर वे सुर्खियों में आए थे लेकिन उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने उन्हें जेल भेज दिया था। तब से वे लगातार सरकार के निशाने पर हैं और फिलहाल उन्हें किसी अन्य आरोप में रासुका लगाकर जेल में बंद कर रखा है।  

एम्स की रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के महासचिव डॉ. श्रीनिवासन और कई अन्य डॉक्टरों व संगठनों ने डॉ. पीयूष पर कार्रवाई को पूरी तरह ग़लत करार दिया है। डॉ. श्रीनिवासन ने इस मामले को केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के सामने उठाने की बात भी कही है। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी डॉक्टर पर कार्रवाई को शर्मनाक और अस्वीकार्य कहा है। 

(जनचौक ब्यूरो की रिपोर्ट।)

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