उत्तर प्रदेश। गाजीपुर जिले के जखनिया विधानसभा क्षेत्र के मौजूदा विधायक बेदीराम के खिलाफ गैंगस्टर कोर्ट ने अरेस्ट वारंट जारी किया है। साल 2022 के विधानसभा चुनाव में बेदीराम भारतीय सुहेलदेव समाज पार्टी (सुभासपा) के टिकट पर चुनाव जीते थे। इन्हें सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर का करीबी माना जाता है। साल 2006 में रेल महकमे में भर्ती का पर्चा लीक करने के आरोप में उत्तर प्रदेश की एसटीएफ ने बेदीराम और उसके कई साथियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था।
लखनऊ स्थित गैंगस्टर कोर्ट में इस मामले की सुनवाई चल रही है। गैंगस्टर कोर्ट के जज पुष्कर उपाध्याय ने दोनों विधायकों के अलावा 18 अन्य आरोपियों के कोर्ट में हाजिर नहीं होने पर वारंट जारी किया है। कोर्ट ने कृष्णानगर इंस्पेक्टर को 26 जुलाई तक गिरफ्तारी वारंट तामील करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने 09 जुलाई 2024 को विधायक बेदीराम और विपुल दुबे समेत 19 लोगों के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी किया है। कोर्ट ने कहा है कि अभियुक्तों के खिलाफ 26 जुलाई 2024 को आरोप तय किए जाएंगे।
बेदीराम सुभासपा मुखिया ओमप्रकाश राजभर की पार्टी से जखनिया (सुरक्षित) सीट पर चुनाव जीते थे, जबकि विपुल दुबे निषाद पार्टी से भदोही के ज्ञानपुर सीट से विधायक हैं। गैंगस्टर कोर्ट ने बेदीराम और विपुल दुबे को गिरफ्तार कर अदालत में पेश करने का निर्देश दिया है। इस मामले की सुनवाई 26 जुलाई 2024 को लखनऊ के गैंगस्टर कोर्ट में होगी और इन्हीं अभियुक्तों पर आरोप तय किए जाएंगे। आरोप है कि दोनों विधायकों का अपना गैंग हुआ करता था और वो सरकारी परीक्षाओं के पेपर लीक कराया करते थे। इनके गैंग के खिलाफ पेपर के लीक के करीब नौ मामले दर्ज हैं।
गैंगस्टर एक्ट में केस दर्ज
विधायक बेदीराम और विपुल दुबे को उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने साल 2006 में उस समय गिरफ्तार किया था जब रेलवे भर्ती बोर्ड का पर्चा लीक हो गया था। एसटीएफ ने पर्चा लीक मामले का खुलासा करते हुए समूचे गैंग को नामजद किया। इनमें दोनों विधायकों के नाम शामिल थे। 26 फरवरी 2006 को एसटीएफ ने विधिवत प्रेसनोट जारी करते हुए अभियुक्त बेदीराम का पेपर लीक कराने वाले गैंग का मुखिया बताया था। इनका नाम पहले स्थान पर था और दूसरे विधायक विपुल दुबे का नाम प्रेसनोट में सातवें स्थान पर था।
लखनऊ एसटीएफ की टीम ने आलमबाग के एक मकान में छापामार कर बेदीराम और उसके अन्य साथियों को गिरफ्तार किया था। इनमें बेदीराम के अलावा विपुल दुबे, संजय श्रीवास्तव, कृष्ण कुमार, मनोज मौर्य, शैलेश सिंह, रामकृपाल सिंह, भद्रमणि त्रिपाठी, आनंद सिंह, कृष्णकांत, धर्मेंद्र, रमेश चंद्र पटेल, मोहम्मद असलम, अवधेश सिंह, सुशील कुमार और अख्तर हुसैन शामिल थे। एसटीएफ के मुताबिक, गिरफ्तारी के अभियुक्तों के कब्जे से रेलवे भर्ती ग्रुप डी के 26 फरवरी 2006 की परीक्षा से संबंधित प्रश्न-पत्र के अलावा कई गाड़ियां बरामद हुई थीं। इसके अलावा भर्ती प्रक्रिया में शामिल कई अभ्यर्थियों के मूल शैक्षणिक प्रमाण-पत्र बरामद किए गए थे। जांच के बाद पुलिस ने चार्जशीट भी दाखिल की थी। कोर्ट ने बेदी राम और विपुल दुबे की हाजिरी माफी की अर्जी को भी खारिज कर दिया है।
अभियुक्तों के खिलाफ लखनऊ के कृष्णानगर थाने में गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया था, जिनके खिलाफ एसटीएफ आरोप-पत्र दाखिल कर चुकी है। गैंगस्टर कोर्ट ने आरोपी विधायक बेदीराम, दीनदयाल, शिव बहादुर सिंह, संजय श्रीवास्तव और अवधेश सिंह के दाखिल हाजिरी माफी की अर्जी खारिज कर दी है। पहले से गैरहाजिर सभी अभियुक्तों के खिलाफ भी गैर-जमानती वारंट जारी किया गया है।
ओपी राजभर ने झाड़ा पल्ला
विपुल दुबे और बेदीराम को सुभासपा अध्यक्ष और यूपी सरकार में मंत्री ओम प्रकाश राजभर का करीबी माना जाता है। दोनों विधायकों के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी होने पर सियासी हलकों में तूफान आ गया है। सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं सूबे के कबीना मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने पेपर लीक मामले में फंसे अपनी पार्टी के विधायक बेदी से किनारा कर लिया है। आरोपों में घिरने के बाद 11 जुलाई 2024 को मीडिया से बात करते हुए उन्होंने यहां तक कह दिया कि, “बेदीराम समाजवादी पार्टी का आदमी है। सपा ने मेरे सिंबल पर अपने लोगों को टिकट दिया था। बेदीराम अगर दोषी होंगे तो कोर्ट उनके खिलाफ फैसला सुनाएगी अन्यथा वो बाइज्जत बरी हो जाएंगे। बेदीराम के मामले में क्या चल रहा है, इसकी हमें कोई जानकारी नहीं है।”

27 जून 2024 को पेपर लीक के कबूलनामे वाला विधायक बेदीराम का वीडियो सामने आने के बाद सुभासपा मुखिया ओपी राजभर का एक वीडियो वायरल हो गया था, जिसमें राजभर खुलेआम लोगों से कह रहे हैं बेदी राम नौकरी दिलाने में माहिर हैं। आप लेने के लिए तैयारी करो। फार्म भरने के बाद एडमिट कार्ड या कॉल लेटर आते अगला इन्हें कॉल कर दो। यह पूरा जुगाड़ कर देंगे। इनके लाखों चेले अब तक नौकरी हासिल कर चुके हैं।
विधायक बेदीराम का नाता गाजीपुर की जखनिया से है तो उनकी पत्नी बादामी देवी जौनपुर के जलालपुर की ब्लॉक प्रमुख हैं। जौनपुर के लोग बेदीराम को लोग एक दबंग विधायक के रूप में भी जानते हैं। पेपर लीक मामले में जेल जाने और आने में उनका कोई जोड़ नहीं है। इसी के दम पर उन्होंने काफी दौलत जुटाई और सियासत में भाग्य आजमाने लगे। सबसे पहले वो बनारस की पिंडरा सीट से निर्दल चुनाव लड़े और हार गए। साल 2022 में उन्होंने ओमप्रकाश राजभर का हाथ थामा और गाजीपुर की जखनिया सीट से विधायक भी बन गए। उनके दागी होने के बारे में राजभर को सभी जानकारी पहले से ही थी। इसके बावजूद उन्होंने अपनी पार्टी का टिकट दिया।
बेदीराम जौनपुर के केराकत तहसील क्षेत्र के कुसियां गांव के रहने वाले हैं। पिछले कई वर्षों से प्रतियोगी परीक्षाओं में सेटिंग करके परीक्षार्थियों को पास कराने के लिए जाने जाते थे। हालांकि कभी भी सीधे पैसा लेते नहीं देखे गए। साल 2006 में रेलवे का पेपर लीक कराने के मामले में पहली बार नाम उजागर हुआ था। पेपर लीक कराने माहिर बेदीराम का जेल से पुराना नाता रहा है। पुलिस अथवा अन्य जांच एजेंसिंया उन्हें जब भी गिरफ्तार करतीं वो जेल से ही रैकेट चलाने लग जाते थे। जब वो जमानत पर बाहर आते तो खुलकर खेलने लगते।
साल 2009 में भोपाल और जयपुर में रेलवे की परीक्षा में प्रश्नपत्र लीक कराने में बेदीराम को गिरफ्तार भी किया गया था। विधायक बेदीराम का पहली बार पेपर लीक में नाम साल 2000 में सामने आया था। इसके बाद 2009 में उन्हें गिरफ्तार किया गया। फिर छत्तीसगढ़ सीपीएमटी परीक्षा-2012 के मामले में वह जेल गए थे।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पेपर लीक मामले में दो बार जेल जा चुके बिहार के पटना निवासी बिजेंद्र गुप्ता ने सबसे पहले बेदीराम को उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा लीक माफिया बताया था। इसके बाद एक चैनल ने बेदीराम का स्टिंग आपरेशन कर दिया। इसमें बेदी राम नौकरी दिलाने और पेपर लीक की बातें कर रहे हैं। वो साफ तौर पर कह रहे है कि वह कोई छोटा काम नहीं करते। वो बड़े-बड़े काम करते हैं। वो परीक्षाओं मे अंदर से सब सेट करने का भी दावा करते नजर आ रहे हैं। इस दौरान वो कह रहे है कि ‘मेरा काम यूपी के अलावा दूसरे राज्यों की भर्ती परीक्षाओं में भी होता है। यहां तक कहते हैं कि मैं एक बार में चालीस-चालीस लड़कों की भर्ती कराता हूं।
हलफनामे से खुले कई राज
साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान बेदीराम जो चुनाव आयोग के समक्ष जो हलफनामा पेश किया था उसमें इस बात का जिक्र किया गया है कि उनपर राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश में रेलवे और पुलिस भर्ती पेपर लीक से जुड़े नौ मामले दर्ज हुए हैं। साल 2009 में जयपुर में एसओजी ने रेलवे भर्ती पेपर लीक मामले में बेदीराम के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। बाद में मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग का पेपर लीक कराने के मामले में एसटीएफ ने भोपाल में संगीन मामला दर्ज किया था। इसी क्रम में साल 2006 में रेलवे के ग्रुप डी का पेपर लीक कराने के मामले में लखनऊ के कृष्णानगर में बेदीराम और उनके साथियों पर गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई हुई थी।
सरकारी परीक्षाओं का पेपर लीक कराने के मामले में बेदीराम के खिलाफ लखनऊ के गोमती नगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। बाद में साल 2014 में पेपर लीक मामले में आशियाना थाने में उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई थी। उत्तर प्रदेश की एसटीएफ इस मामले में 21 अगस्त 2014 को बेदीराम के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई करते हुए उनकी लखनऊ और जौनपुर स्थित उनकी आठ परिसंपत्तियों को कुर्क कर लिया था।
साल 2010 में जौनपुर के मडियाहूं में भी बेदीराम के खिलाफ पुलिस भर्ती का पेपर लीक करने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। पेपर लीक से जुड़े सभी मामलों में पुलिस चार्जशीट लगा चुकी है और अदालतों में आरोप तय हो चुके हैं। पेपर लीक मामले में वह काफी दिनों तक तिहाड़ जेल में बंद रहे। वो पहले रेलवे में नौकरी करते थे और गिरफ्तारी के बाद उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था। पेपर लीक मामलों में बेदीराम का नाम पिछले 24 सालों से आ रहा है।
सुभासपा विधायक बेदीराम का नाम 26 जून 2024 को उस समय सुर्खियों में छा गया था जब वह एक युवक से पेपर और लेन-देन की बात करते दिख रहे थे। वीडियो वायरल करने वाले युवक का दावा है- उसने पेपर लीक के लिए पैसे दिए थे, लेकिन अब वह पैसे नहीं लौटा रहे हैं। बाद में उसी युवक ने विधायक का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया था। बाद में विधायक बेदीराम ने आरोपों को खारिज करते हुए वीडियो को फर्जी करार दे दिया था।
रेलवे में टीटीई थे बेदीराम
विधायक बेदीराम की रामकहानी विवादों से भरी रही है। वो पहले रेलवे में टीटीई हुआ करते थे। एक दशक पहले रेलवे की भर्ती परीक्षा का पेपर लीक कराने में उनका नाम उछला तो उन्हें बर्खास्त कर दिया गया। बाद में रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड की 2006 की समूह ‘ग’ की भर्ती परीक्षा-2008 और लोको पायलट की परीक्षा-2009 में भोपाल और जयपुर में रेलवे की परीक्षा में प्रश्नपत्र लीक कराने में बेदीराम को गिरफ्तार भी किया गया था। पेपर लीक मामले में इनका नाम पहली दफा साल 2000 में उछला था। इस मामले में नौ साल बाद साल 2009 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। साल 2012 में छत्तीसगढ़ सीपीएमटी परीक्षा मामले में भी उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। इस परीक्षा का पेपर लीक कराने में सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार कर दिल्ली के तिहाड़ जेल में भेजा था।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मई 2014 में मध्य प्रदेश में आयुर्वेद मेडिकल परीक्षा का पेपर लीक हो गया था और परीक्षा रद्द करनी पड़ी थी। इसके बाद अभ्यर्थियों ने बेदी राम का नाम उजागर किया था। साल 2012 में मध्य प्रदेश MPPSC में दो पेपर लीक हुए, जिसके चलते 30 जुलाई 2012 को आयोजित साक्षात्कार रोक दिया गया था। साल, 2006 से अब तक बेदीराम गिरोह के 56 लोगों के नाम पुलिस की चार्जशीट में दर्ज हैं।
बेदीराम ने अपने चुनावी हलफनामे में भोपाल समेत कई शहरों में कुल नौ केस दर्ज होने का जिक्र किया है। साल 2006 में कृष्णानगर (लखनऊ), 2008 में गोमतीनगर (लखनऊ), 2009 में राजस्थान में मुकदमा दर्ज हुआ। एसटीएफ भोपाल ने 2014 में दो मुकदमा, 2014 में आशियाना (लखनऊ), 2010 में मड़ियाहूं जौनपुर और 2021 में जलालपुर जौनपुर में मुकदमा दर्ज हुआ है। सभी मामलों में सुभासपा विधायक के खिलाफ चार्जशीट दाखिल हो चुकी है, लेकिन अभी किसी मामले में सजा नहीं हुई है।
पुलिस के एक अफसर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर जनचौक को बताया कि रेलवे, ग्राम विकास अधिकारी और टीटीई जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के शुरू होने के पहले ही एसटीएफ बेदीराम पर नजर रखना शुरू कर देती थी। उनकी नौकरशाहों और तमाम नामचीन नेताओं से याराना था, जिसके चलते पुलिस और अन्य जांच एजेंसियां बेदीराम को रंगेहाथ पकड़ नहीं पाती थीं।

पुलिस की लगातार सख्ती के चलते बेदीराम ने योजनाबद्ध तरीके से सियासत में इंट्री मारी। उन्होंने पहले अपनी पत्नी बदामा देवी को जलालपुर ब्लाक प्रमुख पद के चुनाव मैदान में उतारा। अपने रसूख और पैसे की बदौलत वो चुनाव जीतवा पाने में कामयाब हो गए। इस चुनाव में केराकत के तत्कालीन भाजपा विधायक दिनेश चौधरी की भी प्रतिष्ठा दांव पर लगी हैं, जिनकी भयोहू इस बार चुनाव लड़ रही थीं। बाद में साल 2022 के विधानसभा चुनाव में गाजीपुर के जखनिया सुरक्षित सीट से चुनाव जीतकर जौनपुर के लोगों को अचरज में डाल दिया।
अकूत संपत्ति के मालिक
बेदीराम ने अवध यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया था। उसके बाद रेलवे में टीटीई के पद पर नौकरी लगी। बेदीराम करीबियों के मुताबिक, साल 1986 में उन्हें रेलवे में नौकरी मिली थी। कुछ लोग बताते हैं कि बेदीराम ने साल 1991 टीटीई की नौकरी ज्वाइन की थी। उस समय उनका वेतन सिर्फ तीन हजार रुपये हुआ करता था। तमाम संगीन आरोपों की जद में आने के बाद उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया।
विधायक बेदीराम ने भर्ती परीक्षाओं की बदौलत अकूत दौलत कमाई। उसने अपनी पत्नी, बेटे, बहू सभी के नाम काफी जमीनें और संपत्ति बनाई। विधायक और पत्नी के नाम पर ही 22 करोड़ की 30 बीघा जमीनें हैं। ये सभी जमीन खरीदी गई हैं। यह तथ्य साल 2022 के चुनावी हलफनामे से पता चलता है। उनके पास पैतृक जमीन एक बीघा से भी कम है। एसटीएफ ने उसकी सपंत्तियों को कुर्क करने के लिए शासन को रिपोर्ट भी भेजी थी, लेकिन विधायक बनने के बाद कोई भी कार्रवाई नहीं हुई।

भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, “विधायक बेदीराम की ज्यादातर संपत्ति उसके बेटे, बहू, पत्नी और कुछ रिश्तेदारों के नाम है। कुसियां गांव के रहने वाले एक शख्स ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बेदीराम ने आसपास के इलाके में इतनी जमीनें खरीद लीं कि जमीनों के दाम और सर्किल रेट बढ़ गया। किसी की भी जमीन बिक रही हो तो बेदीराम के लोग मुंह मांगी कीमत लगाने के लिए पहुंच जाते हैं।”
गांव के लोगों की मानें तो बेदीराम ने आसपास के इलाके कुसिया, हिसामपुर, बराई, मुजरापुर, नहरपट्टी आदि गांवों में 100 बीघे से ज्यादा जमीन खरीदीं। इसकी लिखित शिकायत रेहटी गांव के रहने वाले लाल प्रताप सिंह ने की है। साल 2014 में एसटीएफ ने भी बेदीराम की संपत्ति की जानकारी जुटाई थी। एसटीएफ के तत्कालीन आईजी सुजीत पांडेय ने लखनऊ के तत्कालीन एसएसपी को पत्र भेजकर बेदीराम के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। उनकी संपत्ति कुर्क करने के लिए तत्कालीन एडीजी (कानून व्यवस्था) भी शासन से सिफारिश कर चुके हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, “बेदीराम के पास लखनऊ में मकान नंबर- 352 विक्रांत खंड गोमतीनगर, मकान नंबर- 242 विजयंत खंड गोमतीनगर, मकान नंबर- 1131 सेक्टर ए वृंदावन योजना, प्लाट संख्या जी-52 ट्रांसपोर्ट नगर, गोसाईंगंज के ग्राम अमेठी के पास आम का बाग, जौनपुर के जलालपुर क्षेत्र के गांव कुसिया में कृषि भूमि, दो ईंट भट्ठे, जलालाबाद के वाराणसी-लखनऊ मार्ग पर 6000 वर्ग फीट भूमि की जानकारी दी गई थी।”

“करीब पांच साल पहले तक खेती देखने वाले एक शख्स के नाम बेदीराम ने कई गाड़ियां खरीदी थीं। नाम न छापने की शर्त पर एक व्यक्ति ने बताया कि बेदीराम ने उसके नाम ट्रैक्टर, बोलेरो और पिकअप खरीदी थी। किसी विवाद के बाद तीनों गाड़ियां वापस ले लीं और उसे खेती के काम से भी हटा दिया। हालांकि अभी भी दो गाड़ियां उसी के नाम पर हैं, जो बेदीराम के घर पर हैं। सूत्र बताते हैं कि तकरीबन सात साल पहले जब नोटबंदी हुई थी तब उसके घर में बड़ी रकम भी रखवाई गई थी। नोटबंदी के समय इस रकम को अलग-अलग बैंकों में जमा करवा दिया गया।”
जौनपुर के जलालपुर क्षेत्र के बीवनमऊ निवासी आनंद चौरसिया से नौकरी दिलाने के नाम पर कुसिया के रहने वाले ओम प्रकाश प्रजापति ने सात लाख रुपये लिए थे, लेकिन नौकरी नहीं मिल पाई। ओमप्रकाश प्रजापति विधायक बेदीराम का करीबी है। उसने बेदीराम के नाम पर ही पैसे लिए थे जिसे वापस मांगने पर उसने आनंद को बेदीराम के घर पर बुलाया गया था। वहां बेदीराम ने पैसा वापस करने के लिए थोड़ा समय मांगा। लेकिन पैसा वापस नहीं दिया, काफी दबाव के बाद 3.50 लाख रुपए वापस किए। इसी पैसे के लेन-देन को लेकर बेदीराम का एक वीडियो भी वायरल हुआ था।
क्या कहते हैं बेदीराम
पेपर लीक कांड के उछलने के बाद बेदीराम खुद को बचाते नजर आ रहे हैं। इनकी मुश्किलें उसी समय से बढ़ गई थीं, जब सुभासपा ने उनसे स्पष्टीकरण तलब किया था। उस वक्त उन्होंने आरोपों से पल्ला झाड़ते हुए कहा था कि उन्हें फर्जी वीडियो के जरिये फसाया जा रहा है। वह कहते हैं, “मैं दलित विधायक हूं। इस कारण विपक्षी दलों के लोग मुझे फंसाने में लगे है। आप जिस वीडियो की बात कर रहे हैं वो काफी पुराना है। यह वीडियो मैंने भी सोशल मीडिया पर देखा है वो फर्जी और एडिट करके चलाया जा रहा है। मैं ईमानदारी से काम कर रहा हूं। मेरे नेता ओपी राजभर ने सीएम योगी तक सच्चाई पहुंचा दी है। हमारे बहुत सारे दुश्मन हैं। यह सब प्लांटेड तरीके से कराया गया। पूरे मामले की जांच होनी चाहिए।”

दूसरी ओर, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ‘X’ पर कहा है, “क्या अब और कोई सबूत चाहिए भाजपाइयों द्वारा प्रश्रय प्राप्त नेताओं के नैतिक पतन का, जो बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करते हैं। ऐसे माता-पिता जिन्होंने भाजपा को वोट दिया है, आज न केवल पछता रहे हैं, बल्कि भविष्य में कभी भी भाजपा को वोट न देने की कसम भी खा रहे हैं। शर्मनाक, तुरंत गिरफ्तारी हो।”
(विजय विनीत बनारस के वरिष्ठ पत्रकार हैं)