चरण जीत सिंह कन्नी और बाजवा।

पंजाब के दो वरिष्ठ मंत्री आमने-सामने

पंजाब में मुख्य सचिव (चीफ सेक्रेटरी) और मंत्रियों के बीच जारी विवाद अभी खत्म नहीं हुआ कि दो वरिष्ठ मंत्री इस विवाद के चलते ही खुलेआम आपस में भिड़ गए हैं। सियासी गलियारा और अवाम भी ऐसा मंजर पहली बार देख रहा है। मंत्रियों की खुली जंग से सरकार और कांग्रेस की खासी किरकिरी हो रही है लेकिन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने फौरी खामोशी अख्तियार की हुई है। मंत्रियों की आपसी लड़ाई को जातिवादी रंगत मिलने लगी है और मामला पार्टी आलाकमान तक जा पहुंचा है। खुलकर आमने-सामने आए कैबिनेट मंत्री मीडिया के जरिए एक-दूसरे पर गंभीर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। यकीनन यह प्रकरण राज्य सरकार के लिए बेहद नागवार हालात दरपेश कर रहा है और यह तब हो रहा है जब सूबा कोरोना वायरस से जूझ रहा है।                        

आपस में भिड़े दो मंत्रियों में से एक हैं, मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खासमखास, ग्रामीण विकास मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा और दूसरे तकनीकी शिक्षा मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी। चन्नी मुख्य सचिव करण अवतार सिंह से पंजाब के तमाम मंत्रियों की अदावत की जड़ बने थे। अब मामला नए मोड़ पर है।                                  

तकनीकी शिक्षा मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने खुला आरोप लगाया है कि मुख्य सचिव के साथ मंत्रियों की तकरार के बाद ग्रामीण विकास मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा ने घर आकर उन्हें धमकी दी और चीफ सेक्रेटरी के खिलाफ ‘सॉफ्टलाइन’ पर चलने को कहा। चन्नी का कहना है कि बाजवा ने उनसे कहा कि अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया तो उनके खिलाफ महिला आईएएस अधिकारी की शिकायत का मामला खोल दिया जाएगा। जवाब में बाजवा ने कहा है कि वह तकनीकी शिक्षा मंत्री के घर शिष्टाचारवश गए थे लेकिन किसी किस्म की धमकी उन्होंने नहीं दी। वह अपने समकक्ष से सहयोगी की तरह मुलाकात करने गए थे। इसके बाद चन्नी ने बाजवा को झूठा करार देते हुए कहा कि उन्हें ग्रामीण विकास मंत्री ने साफ तौर पर धमकी दी।

चरणजीत सिंह चन्नी कहते हैं, “मैंने तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा को स्पष्ट जवाब दिया था कि पहले सरकार मेरे खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दे। उसके बाद बात होगी। मैं जोर देकर कहना चाहता हूं कि मुझे ब्यूरोक्रेसी के खिलाफ बोलने से जबरन रोका जा रहा है। अब बाजवा झूठ पर झूठ बोल रहे हैं। मुझे धमकाने का एक अन्य कारण मेरा दलित होना भी है। इस लड़ाई को मैं आगे तक ले कर जाऊंगा।” उधर, बाजवा के अनुसार, ” मैं चन्नी के घर गया जरूर था लेकिन धमकी नहीं दी। किसी सियासी साजिश के तहत वह मुझ पर झूठा इल्जाम लगा रहे हैं। आरोपों की जांच करवाई जाए।”           

दोनों मंत्री अब सार्वजनिक मंचों से एक-दूसरे को जमकर लताड़ रहे हैं। यह प्रकरण जब सियासी गलियारों से होता हुआ अवाम तक फैला तो कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सुनील कुमार जाखड़ ने दोनों मंत्रियों से संपर्क किया लेकिन फिलहाल तक वह बाजवा और चन्नी की खुली बयानबाजी पर अंकुश लगाने में नाकाम रहे हैं। जाखड़ कहते हैं, “निश्चित तौर पर दो मंत्रियों का इस तरह आपस में भिड़ना सरकार और पार्टी के लिए नागवार है लेकिन यथाशीघ्र मामला सुलझा लिया जाएगा। इस बाबत मैं मुख्यमंत्री से बैठक कर रहा हूं।”  जाखड़ जो भी कहें, दोनों मंत्री तल्ख बयानबाजी के साथ-साथ खेमेबाजी की कवायद में लग गए हैं। बताया जा रहा है कि मंत्रियों की जंग से कांग्रेस आलाकमान वाकिफ है। यह प्रकरण जातिवादी रंगत ले चुका है।                     

चरणजीत सिंह चन्नी और उनका खेमा तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा को दलित विरोधी बता रहा है। खुद चन्नी कहते हैं, “अगर लॉकडाउन न होता तो एक दलित मंत्री को धमकाने पर राज्य में हिंसा हो सकती थी।” जबकि बाजवा कहते हैं, “मैं कतई दलित विरोधी नहीं। चन्नी झूठ बोल रहे हैं।” मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह बेशक फिलवक्त इस सब पर खामोश हैं लेकिन दोनों मंत्रियों ने अपना-अपना पक्ष उनके समक्ष रख दिया है। तीन दिन से लगातार रफ्तार पकड़ रहे इस मामले ने विपक्ष को बैठे-बिठाए सरकार और कांग्रेस के खिलाफ एक बड़ा मुद्दा दे दिया है।

शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता डॉ. दलजीत सिंह चीमा के मुताबिक, “पंजाब सरकार की नाकामियों के चलते पहले मंत्री चीफ सेक्रेटरी से भिड़े। और अब हताशा के आलम में आपा खोकर एक-दूसरे से लड़ रहे हैं तथा सरेआम एक-दूसरे के भेद खोलने में लगे हैं। कोरोना वायरस के इस संकट में भी ऐसी ओछी राजनीति हो रही है तो सोचा जा सकता है कि पंजाब सरकार लोगों के बीच काम करने की बजाय क्या कर रही है।”                                

सियासी सरगोशियां हैं कि ग्रामीण विकास मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा को मुख्यमंत्री की गुप्त शह हासिल है क्योंकि मुख्य सचिव उनके बेहद करीबी और खासमखास हैं। बाजवा कैप्टन की ‘किचन केबिनेट’ के सदस्य हैं। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह चीफ सेक्रेटरी को किसी भी तरह बचाना चाहते हैं और अपने मंत्रियों को नाराज भी नहीं करना चाहते। बता दें कि चीफ सेक्रेटरी से विवाद की शुरुआत चन्नी से हुई थी और उसके बाद मनप्रीत सिंह बादल सहित अधिकांश कैबिनेट मंत्री करण अवतार सिंह के खिलाफ खुलकर सामने आ गए तथा 11 मई को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में चन्नी और मनप्रीत सिंह बादल ने मुख्य सचिव को पद से हटाने का प्रस्ताव रखा था।

इसका पूरी कैबिनेट ने समर्थन किया था। 14 मई को मनप्रीत के पिता का देहांत हो गया और उससे पहले वह उनकी तीमारदारी में व्यस्त थे। सो, मुख्य सचिव के खिलाफ तेवर नरम करने के लिए सबसे पहले चरणजीत सिंह चन्नी से संपर्क किया गया। सूत्रों के अनुसार बाजवा इसीलिए उनके घर गए थे। चन्नी मुख्य सचिव के खिलाफ लिए गए स्टैंड से टस से मस नहीं हुए तो मामला इस रूप में तूल पकड़ गया।                                      

गौरतलब है कि तकनीकी शिक्षा मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को जिस महिला आईएएस अधिकारी की शिकायत की धमकी देकर दबाव में लेने की कवायद की गई, वह 2018 का मामला है। तब महिला आईएएस अफसर ने आरोप लगाया था कि चन्नी उन्हें आपत्तिजनक एसएमएस (संदेश) भेजते हैं। महिला अधिकारी ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से की थी। चन्नी ने भी एसएमएस भेजने की बात स्वीकार की थी, लेकिन कहा था कि उन्होंने कोई आपत्तिजनक संदेश नहीं भेजा। मंत्री ने महिला आईएएस अधिकारी से माफी भी मांगी थी और तब यह प्रकरण खत्म हुआ मान लिया गया था। पर अब फिर से खुल गया है।

(जालंधर से वरिष्ठ पत्रकार अमरीक सिंह की रिपोर्ट।)

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