इस समय देश में एकता की आवश्यकता है, वैसी एकता जो चीन के हमले के साथ दिखाई गई थी और जो बांग्लादेश युद्ध के दौरान दिखाई गई थी। बांग्लादेश के युद्ध के पूर्व उस समय की प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी अपना पक्ष रखने के लिए दुनिया की अनेक राजधानियों में गईं थीं। जब वे तत्कालीन अमरीकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन से मिल रही थीं और निक्सन से उनकी बातचीत वाइट हाउस के खुले लॉन में हो रही थी, तभी बातचीत के दौरान निक्सन ने आकाश की ओर इशारा करते हुए कहा कि मैडम देखिए आज मौसम कितना सुहाना है। इस पर इन्दिरा जी ने टिप्पणी की कि राष्ट्रपति महोदय मैं अमरीका इसलिए नहीं आई हूं कि आपसे मौसम की तारीफ सुनूं। हम इस समय बहुत ही गंभीर स्थिति से गुजर रहे हैं और आपको उससे परिचित करवाना चाहती हूं।
उन्होंने अनेक देशों की यात्रा की परन्तु इस बात का पूरा ध्यान रखा कि एक भी ऐसी घटना न हो जिससे यह महसूस हो कि हम एक नहीं हैं। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्कालीन मुखिया एम.एस. गोलवलकर से भी संपर्क किया और तत्कालीन भारतीय जनसंघ के प्रमुख नेता श्री अटल बिहारी वाजपेयी से अनुरोध किया कि वे संघ के मुख्यालय जाएं और गुरूजी को मेरा संदेश पहुंचाएं कि वे अपनी पूरी संगठनात्मक शक्ति का उपयोग देश में एकता कायम रखने में करें। यदि इस दरम्यान एक भी मुसलमान के खून की एक बूंद भी निकलती है तो यह हमारे देश के लिए शर्म की बात होगी।
उन्होंने वाजपेयी जी से यह भी कहा कि जब आप नागपुर पहुंचें तो गुरूजी से मेरी बात भी करवाएं। नागपुर जाने के लिए श्रीमती इन्दिरा गांधी ने वाजपेयी जी को अपना सरकारी विमान भी दिया। नागपुर पहुंचकर वाजपेयी जी ने गुरूजी की इन्दिरा जी से बात करवाई। इन्दिरा जी ने उनसे देश में एकता बनाए रखने में सहयोग का अनुरोध किया।
बताया जाता है कि गुरूजी ने इन्दिरा जी से कहा कि आप ऐसा महान काम कर रही हैं कि जो भारत के इतिहास में किसी और ने नहीं किया। मेरा आपको पूरा समर्थन है। इस बातचीत के बाद अटल बिहारी जी ने इन्दिरा जी को दुर्गा माता का अवतार निरूपित किया। बांग्लादेश में क्राइसिस के दौरान देश में अभूतपूर्व एकता रही।
प्रधानमंत्री देश में इस समय एकता की आवश्यकता बता रहे हैं। परंतु वैसी एकता नज़र नहीं आ रही है।
दिनांक 30 अप्रैल को इण्डियन एक्सप्रेस में कुछ ऐसी घटनाओं का उल्लेख किया गया है जो नहीं होनी थीं। जैसे कर्नाटक के मंगलूरू में एक श्रमिक की हत्या इसलिए की गई क्योंकि यह आरोप था कि वह पाकिस्तान के समर्थन में नारा लगा रहा था। हो सकता है वह नारा लगा रहा हो, परंतु उस भीड़ को किसी अपराधी की हत्या करने का अधिकार नहीं होना चाहिए। ऐसे आरोपी को पुलिस को सौंप देना चाहिए।
अलीगढ़ में एक 15 साल के मुस्लिम छात्र को पाकिस्तान के झंडे के ऊपर पेशाब करने को मजबूर किया गया। उस बच्चे ने सड़क पर फैले हुए पाकिस्तानी झंडों में से एक झंडे को उठा लिया जो पाकिस्तान के विरोध में निकाले गए थे, जो जुलूस में शामिल लोगों ने फेंक दिए थे। बताया गया कि उस स्कूली छात्र को झंडे पर पेशाब करने के लिए मजबूर किया गया। पुलिस ने ऐसे लोगों के विरूद्ध सख्त कार्यवाही का आश्वासन दिया है।
उत्तरप्रदेश के मसूरी में शाल बेचने वाले 16 कश्मीरियों को मसूरी छोड़ने के लिए मजबूर किया गया। आरोपित है कि स्थानीय लोगों ने उनके साथ मारपीट भी की। यद्यपि पुलिस ने इस तरह की घटनाओं पर एक्शन लिया है। परंतु सभी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी घटनाएं न हों। इस तरह की घटनाओं की वे सभी लोग भर्त्सना कर रहे हैं जो ऐसे मौकों पर दुनिया को दिखाना चाहते हैं कि हम किसी भी धर्म, जाति के हों हम भारत को एक रखेंगे।
इस दरम्यान एक ऐसी संवेदनशील महिला की अपील सामने आई है, जिनका पति उनमें से एक था जिसकी पहलगाम में आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी। ये वह महिला हैं जिनका चित्र पूरी दुनिया ने देखा। इस चित्र में महिला अपने पति की लाश के पास बैठी हुई है और उनके आसपास कोई भी नहीं है।
इस महिला का नाम हिमांशी है। ये मारे गए नेवी ऑफिसर विनय नरवाल की पत्नी हैं। महिला ने अपने पहाड़ जैसे दुख के बीच एक अपील जारी की है कि मैं बिल्कुल नहीं चाहती कि देश के मुसलमानों और कश्मीरियों पर किसी प्रकार का जुल्म हो।
आखिर उनका इस घटना से क्या लेना-देना? मैं चाहती हूं कि देश में शान्ति रहे। जिसने यह अत्याचार किया है उनसे बदला लेने की जिम्मेदारी सरकार की है। हमें उस घटना के नाम पर किसी से भी ज्यादती करने का अधिकार नहीं है। हिमांशी उन दुर्भाग्यशाली महिलाओं में से हैं जिनका सिर्फ दो सप्ताह पहले विवाह हुआ था और वे हनीमून मनाने के लिए कश्मीर गए थे। उन्होंने अपने पति की याद में एक ब्लड डोनेशन का कार्यक्रम रखा। यह कार्यक्रम उनके पति की 27वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित किया गया था।
मारे गए नेवी ऑफिसर के भाई विजय नरवाल ने उन सबका आभार प्रकट किया जिन्होंने उनके भाई के संबंध में आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया। कार्यक्रम में एक ऐसे दंपत्ति ने भी भाग लिया जो बैंगलुरू से इस कार्यक्रम में शामिल होने आए थे। कार्यक्रम में भाग लेते हुए कलाकारों के एक संगठन के अध्यक्ष प्रीतपाल सिंह ने कहा कि शहीद हुए परिवार के साथ अपना दुख प्रकट करने का सबसे अच्छा तरीका होगा कि हम उन मूल्यों का सम्मान करें जिसकी चर्चा शहीद की पत्नी हिमांशी ने कही हैं।
(एल.एस. हरदेनिया राष्ट्रीय सेक्युलर मंच के संयोजक हैं।)