लालचंदानी और इलाहाबाद हाईकोर्ट।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने योगी सरकार से पूछा- कानपुर मेडिकल कालेज की पूर्व प्राचार्य लाल चंदानी के विरुद्ध क्या कार्रवाई की गयी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा है कि कानपुर मेडिकल कॉलेज की तत्कालीन प्राचार्य डॉ. आरती लाल चंदानी जिनका एक विशेष धार्मिक समुदाय के खिलाफ चिकित्सकीय, सामाजिक और आर्थिक रूप से भेदभाव करने के लिए उकसाने वाला वीडियो वायरल हुआ था, के विरुद्ध क्या अनुशासनात्मक कार्रवाई की गयी है।

भारतीय मुसलमानों के लिए प्रगति और सुधार (आईएमपीएआर) की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर और जस्टिस एसडी सिंह की खंडपीठ ने राज्य सरकार द्वारा दिए गए जवाब से असहमति प्रगट की और उसे प्रतिवादी संख्या 8, डॉ. आरती लाल चंदानी के खिलाफ क्या अनुशासनात्मक कार्रवाई की गयी या फिर क्या प्रस्तावित है, के बारे में खंडपीठ को 20 जुलाई, 2020 को अवगत कराने का निर्देश दिया। याचिका में यूनियन ऑफ इंडिया और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया भी उत्तरदाता हैं। अगली सुनवाई 20 जुलाई, 2020 को होगी।

गौरतलब है कि डॉक्टर आरती लाल चंदानी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। इसमें उन्होंने तबलीगी जमातियों को आतंकी बताया था। कोरोना संक्रमितों के इलाज को लेकर जमातियों और एक समुदाय विशेष पर टिप्पणी के वायरल वीडियो से विवादों में घिरीं जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, कानपुर की प्राचार्य प्रो. आरती लाल चंदानी को ट्रांसफर करके उन्हें चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक लखनऊ से सम्बद्ध कर दिया गया है। जून में ही तबादला आदेश के बाद प्रो. कमल ने पदभार ग्रहण कर लिया है और प्रो. आरती लाल चंदानी को रिलीव कर दिया गया है।

प्रो. आरती लाल चंदानी ने 10 अक्तूबर 2018 को प्राचार्य के रूप में कार्यभार संभाला था। वायरल वीडियो के बाद तमाम सामाजिक संगठनों ने तगड़ा विरोध किया था। उसे लेकर शासन स्तर पर हलचल थी। इससे पहले भी उनको झांसी मेडिकल कॉलेज भेजे जाने की चर्चा थी, लेकिन बाद में उस पर विराम लग गया।

प्राचार्य का वीडियो वायरल होने से चौतरफा दबाव बढ़ने पर मुख्यमंत्री ने शासन से रिपोर्ट तलब की थी। प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा डॉ. रजनीश दुबे ने जिलाधिकारी डॉ. ब्रह्मदेव राम तिवारी से रिपोर्ट मांगी थी। इस पर डीएम ने एडीएम सिटी एवं एसपी क्राइम को जांच सौंपते हुए प्रकरण की रिपोर्ट देने के आदेश दिए थे। डीएम ने शासन को जांच रिपोर्ट भेज दी थी, जिसके बाद उन्हें हटाया गया।

डॉ. आरती लाल चंदानी का सोशल मीडिया पर जो वीडियो वायरल है वो लगभग दो महीने पुराना था । दरअसल यह वीडियो किसी ने आपसी बातचीत के दौरान बना लिया था। इस वीडियो को दो महीने बाद सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया गया। वीडियो वायरल होने के बाद मुस्लिम धर्म गुरुओं ने इस टिप्पणी का विरोध किया था। एसपी विधायक इरफान सोलंकी ने प्राचार्य को पद से हटाए जाने की मांग की थी।

विवादित वीडियो वायरल होने के मामले में मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. आरती लाल चंदानी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए अलग-अलग लोगों ने शहर के अलग-अलग थानों में तहरीर दी। यहां तक कि मामले में डीएम को ज्ञापन सौंपकर कार्रवाई की मांग की गई और डीआईजी को तहरीर देकर एफआईआर दर्ज कराने की मांग की गई है।

सपा नेता हसन रूमी सोमवार को प्रिंसिपल के खिलाफ तहरीर देने के लिए स्वरूप नगर थाने पहुंचे। वहां पर इंस्पेक्टर ने तहरीर लेने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि इस मामले में जहां सपा नेता का निवास है उसी थाने में जाकर तहरीर दें जिसके बाद रूमी चकेरी थाने पहुंचे। वहां पर उन्होंने प्रिंसिपल के खिलाफ तहरीर दी। उनका कहना था कि इस तरह का वीडियो अपराध है। उन्होंने कहा कि यदि पुलिस इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं करेगी तो कोर्ट का सहारा लिया जाएगा।

इसी तरह से एमएमए जौहर फैंस एसोसिएशन के फाउंडर और नेशनल प्रेसीडेंट हयात जफर हाशमी ने चमनगंज थाने में प्रिंसिपल के खिलाफ तहरीर देकर एफआईआर दर्ज कराने की मांग की थी। मोहम्मद नासिर खान ने डीआईजी को प्रार्थना पत्र देकर मामले में एफआईआर दर्ज कराने की मांग की थी । शहर काजी अब्दुल कुद्दूस हदी ने डीएम को ज्ञापन सौंपकर कार्रवाई की मांग की थी ।

(वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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