युवाओं के दमन के बजाय रोजगार को मौलिक अधिकार बनाए सरकारः अखिलेंद्र

लखनऊ। रोजगार को मौलिक अधिकार बनाने के लिए 5 सितंबर को हुए देशव्यापी आंदोलन में युवा मंच के 25 कार्यकर्ताओं पर पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज करने पर युवाओं में भारी रोष है। आंदोलन के दमन की इस कार्रवाई का चौतरफा विरोध हो रहा है। राष्ट्रीय नेता अखिलेंद्र प्रताप सिंह ने बयान जारी कर प्रशासन की इस कार्रवाई की कड़ी निंदा की है।

उन्होंने रोजगार के सवाल पर राष्ट्रीय पहल लेने के लिए युवा मंच के साथियों को बधाई दी है और इलाहाबाद में युवा मंच के कार्यकताओं पर पुलिस कार्रवाई की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा है कि सरकार को रोजगार के सवाल को मौलिक अधिकार बनाने की युवाओं की मांग पर कार्रवाई करनी चाहिए न की युवाओं का दमन।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष लाल बहादुर सिंह ने भी युवाओं पर मुकदमा दर्ज कर उत्पीड़न की कार्रवाई की तीखी भर्त्सना की है। उन्होंने कहा कि रोजगार को मौलिक अधिकार बनाने के लिए राष्ट्रीय आंदोलन वक्त की जरूरत है। मोदी सरकार की नीतियों से रोजगार का संकट और गहराता जा रहा है। 5 सितंबर के आंदोलन में शामिल युवा मंच के 25 कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज कराई गई एफआईआर की मीडिया से जानकारी मिलने के बाद बुलाई गई वर्चुअल मीटिंग में प्रस्ताव लेकर प्रशासन की उत्पीड़न की इस कार्रवाई की तीखी निंदा की गई और मुख्यमंत्री से मांग की गई कि तत्काल मुकदमा वापस लिया जाए।

बेरोजगार युवा ताली-थाली पीटते हुए।

प्रस्ताव में यह भी मांग की गई कि आगामी मानसून सत्र में रोजगार को मौलिक अधिकार बनाने का विधेयक पेश किया जाए और इसी सत्र में देश भर में 24 लाख से ज्यादा खाली पदों को भरने के लिए कानूनी प्रावधान किया जाए। युवा मंच के संयोजक राजेश सचान ने बताया कि रोजगार के सवाल पर अभियान के लिए जल्द ही वर्चुअल मीटिंग बुलाई जाएगी।

उधर, सोनभद्र में पूर्व जिला पंचायत सदस्य और लोकप्रिय नेता मुन्ना धांगर की गिरफ्तारी और रात भर उन्हें थाने में रखकर उत्पीड़ित करने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट, आदिवासी वनवासी महासभा और धांगर महासभा ने इस मामले में बड़े पैमाने पर हस्ताक्षर अभियान चलाने का फैसला किया है। इसमें कोरोना महामारी में बिना मास्क लगाए गिरफ्तारी करने वाले एसओ रामपुर बरकोनिया के खिलाफ कार्रवाई करने और पूरी घटना की जांच की मांग की जाएगी। इस मामले में जिलाधिकारी को पत्र भी भेजा गया है।

डीएम को पत्र भेजने के बाद प्रेस को जारी बयान में ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राज्य कार्यकारिणी सदस्य जीतेंद्र धांगर ने बताया कि इन्हीं मांगों पर प्रतिवाद पत्र जिला अधिकारी को दिया गया है। इसकी प्रतिलिपि माननीय मुख्यमंत्री, प्रमुख सचिव गृह, डीजीपी को भी आवश्यक कार्रवाई के लिए ई-मेल के माध्यम से भेजा गया है। उन्होंने कहा कि एक तरफ जनपद में भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लोग कोरोना महामारी के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करके खुलेआम कार्यक्रम कर रहे हैं। दूसरी तरफ महज राजनीतिक वैचारिक विरोधियों को सबक सिखाने के लिए उनका उत्पीड़न किया जा रहा है।

पत्र में डीएम को बताया गया कि मुन्ना धांगर दलित-आदिवासी समाज के बेहद सम्मानित व्यक्ति हैं। उन्हें शिक्षक दिवस पर पटना गांव में बच्चों ने कबड्डी की प्रतियोगिता के समापन पर बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया था। वहां वह बाकायदा मास्क लगाए हुए थे, शारीरिक दूरी का पालन करते हुए पुरस्कार वितरण कर रहे थे।

उसी समय भाजपा राज्यसभा सांसद के इशारे पर एसओ रामपुर बरकोनिया बिना मास्क लगाए वहां पहुंचे और उन समेत पूर्व प्रधान महेंद्र धांगर और अन्य तीन लोगों को गिरफ्तार कर लाए। अभी भी वहां पुलिस दमन जारी है। घरों में खड़ी मोटरसाइकिल के नंबरों की फोटो खींचकर दर्जनों लोगों का चालान काट दिया गया है। कई लोगों के नाम से और सैकड़ों लोगों की खिलाफ अज्ञात में मुकदमा किया  गया है। मुन्ना धांगर को रातभर जमानती धाराएं होने के बाद भी महज सबक सिखाने के लिए पुलिस थाने में रखा गया, जबकि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि कोरोना महामारी में जो भी सात साल से कम सजा की धाराएं हैं, उसमें किसी भी अभियुक्त को जेल न भेजा जाए और उसे रिहा कर दिया जाए।

उन्होंने कहा कि दरअसल भाजपा सरकार पुलिस और प्रशासन के बल पर विरोध की हर आवाज को कुचल देना चाहती है, जो लोकतंत्र के लिए शुभ नहीं है।

डीएम को भेजे पत्र में मांग की गई है कि लोकतंत्र की मजबूती के लिए प्रशासन और पुलिस का निष्पक्ष रहना बेहद जरूरी है, इसलिए इस पूरे मामले की वह अपने स्तर पर जांच करा लें, ग्रामीणों पर लादे मुकदमों को वापस कराएं और पुलिस को निर्देशित करें कि वह राजनीतिक बदले की भावना से किसी भी व्यक्ति या संगठन के विरुद्ध कार्रवाई न करें।

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