बैठक के बाद गठबंधन के नेता।

फारूक अब्दुल्ला बने जम्मू-कश्मीर के 7 दलीय गठबंधन पीएजीडी के अध्यक्ष

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की बहाली के लिए गठित 7 दलों के गठबंधन ने नेशनल कांफ्रेंस नेता फारुक अब्दुल्ला और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती को क्रमश: अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुन कर औपचारिक रूप ग्रहण कर लिया है। नेताओं ने यह भी साफ किया कि यह समूह राष्ट्र विरोधी नहीं है।

वरिष्ठ सीपीएम नेता एमवाई तारीगामी को संयोजक बनाया गया है जबकि दक्षिण कश्मीर से लोकसभा सदस्य हसनैन मसूदी को पीपुल्स एलायंस फॉर गुपकार डेक्लेरेशन (पीएजीडी) के तौर पर जाने जाने वाले इस गठबंधन का कोआर्डिनेटर नियुक्त किया गया है।

इसके अलावा पीपुल्स कांफ्रेंस के सज्जाद गनी लोन को गठबंधन का प्रवक्ता बनाया गया है।

मुफ्ती के घर पर हुई एक बैठक के बाद फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि गठबंधन जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे की बहाली के लिए लड़ रहा है और यह एक बीजेपी विरोधी गठबंधन है न कि राष्ट्र विरोधी।

उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि “मैं आप को यह बताना चाहता हूं कि बीजेपी द्वारा फैलाया गया यह दुष्प्रचार है कि पीएजीडी राष्ट्र विरोधी है। मैं उन्हें यह बताना चाहता हूं कि यह सच नहीं है। इस बात में कोई शक नहीं है कि यह बीजेपी विरोधी है लेकिन यह राष्ट्र विरोधी नहीं है।”

फारुक अब्दुल्ला ने यह आरोप लगाया कि अनुच्छेद 370 को खत्म करने और जम्मू-कश्मीर को दो हिस्सों में विभाजित करने के जरिये बीजेपी संघीय ढांचे को तोड़ने की कोशिश की है। नेशनल कांफ्रेंस अध्यक्ष ने कहा कि “उन्होंने देश के संविधान को ध्वस्त करने की कोशिश की है जिसको हम लोगों ने उनके 5 अगस्त के फैसले में देखा।”

उन्होंने कहा कि “मैं उन्हें यह बताना चाहता हूं कि यह (पीएजीडी) राष्ट्रविरोधी जमात नहीं है। हमारा लक्ष्य यह है कि जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के लोग अपने अधिकारों को फिर से हासिल करें। हमारी लड़ाई उसी जगह है। हमारी लड़ाई उससे ज्यादा कुछ नहीं है।“

यह कहते हुए कि जम्मू और देश के दूसरी जगहों पर बीजेपी पीएजीडी के घटकों के खिलाफ दुष्प्रचार कर रही है उन्होंने कहा कि “वो हमें धर्म के नाम पर बांटने की कोशिश कर रहे हैं। उनका यह प्रयास सफल नहीं होगा। यह कोई धार्मिक युद्ध नहीं है। यह हमारी पहचान के लिए लड़ाई है। और उसी पहचान के लिए हम एक साथ खड़े हैं।”

गठन के बाद पहली बार हुई गठबंधन की बैठक में यह फैसला हुआ कि पिछले एक साल के सूबे के शासन पर वह एक ह्वाइट पेपर लेकर आएगा। यह बात बैठक के बाद गठबंधन के प्रवक्ता लोन ने बतायी।

उन्होंने कहा कि “श्वेत पत्र लफ्फाजी नहीं होगा। यह बिल्कुल तथ्य और आंकड़ों पर आधारित होगा। और उसे जम्मू-कश्मीर समेत पूरे देश को सामने रखा जाएगा…..एक इस तरह की छवि बनायी जा रही है कि जम्मू-कश्मीर में पूरा भ्रष्टाचार था।”

गठबंधन ने अपनी अगली बैठक एक पखवाड़े बाद जम्मू में करने का फैसला किया है। और उसके बाद 17 नवंबर को श्रीनगर में एक कन्वेंशन होगा। गठबंधन ने खत्म किए गए राज्य के झंडे को अपना झंडा बनाया है।

हालांकि कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के कश्मीर हेड एआर टिक्कू गठबंधन में शामिल हैं। लेकिन जम्मू एंड कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने चुपचाप गठबंधन से अपनी दूरी बना रखी है।

जेकेपीसीसी चीफ गुलाम अहमद मीर जो गठबंधन के औपचारिक तौर पर गठन से पहले हुई बैठकों में शामिल थे लेकिन पिछली दो बैठकों में वह नहीं आए। इस पर जेकेपीसीसी ने एक बयान जारी कर कहा था कि डाक्टरों की सलाह के चलते मीर बैठक में शामिल नहीं हो सके।

गठबंधन की घोषणा पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए जम्मू-कश्मीर के बीजेपी चीफ रविंदर रैना ने कहा कि ‘गुपकार गैंग का षड्यंत्र’ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और कोई भी जो भारत की एकता और अखंडता को चुनौती दे रहा है वह जेल में होगा।

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि 26 अक्तूबर को राज्याभिषेक दिवस के तौर पर मनाया जाएगा और उसके जरिये यह बिल्कुल स्पष्ट संदेश दिया जाएगा कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है।

उन्होंने कहा कि हम लोग महाराजा हरि सिंह द्वारा भारत में विलय पर किए गए हस्ताक्षर के दिन को ‘विलय दिवस’ के रूप में मनाएंगे। और दीवाली तथा स्वतंत्रता के समारोह जैसा होगा।

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