कोलेजियम के 189 प्रस्तावों को दबा कर बैठी है सरकार

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उच्चतम न्यायालय ने उच्चतर न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए नामों की कोलेजियम की सिफारिशों पर केंद्र की ओर से कार्रवाई में देरी पर बुधवार 28 जनवरी को सख्त संज्ञान लिया और कहा कि यह बहुत ही चिंता का विषय है। कोर्ट ने कहा कि आज की तारीख में न्यायाधीशों की नियुक्ति संबंधी 189 प्रस्ताव लंबित हैं। साथ ही उच्चतम न्यायालय ने सरकार को अपने ताजा रुख से अवगत कराने को भी कहा।

चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एसके कौल और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल को इस बात से अवगत कराने को कहा कि हाई कोर्टों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कोलेजियम की सिफारिशों पर जवाब देने के लिए कानून मंत्रालय को कितने वक्त की जरूरत होगी। पीठ ने कहा, कि यदि आप कोलेजियम की सिफारिशों पर पांच महीने तक टिप्पणी नहीं करेंगे तो यह बहुत ही चिंता का विषय है।

दरअसल उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों के चार पद रिक्त हैं और अप्रैल 21 में वर्तमान चीफ जस्टिस एसए बोबडे भी सेवानिवृत्त हो जायेंगे। इसी तरह देश के विभिन्न हाईकोर्ट की ओर से नए जजों की नियुक्ति के लिए महीनों पहले जो सिफारिशें भेजी गईं थीं उन पर उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम ने अब तक कोई अंतिम फैसला नहीं लिया है।

उच्चतम न्यायालय में पहला पद नवंबर 2019 में भारत के तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के सेवानिवृत्त होने से रिक्त हुआ था। इसके बाद, जस्टिस दीपक गुप्ता, जस्टिस आर. भानुमति और जस्टिस अरूण मिश्रा भी सेवानिवृत्त हो गए। उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों के 34 पद हैं जिनमें से 30 ही भरे हैं। उच्चतम न्यायालय में इन रिक्त पदों को भरने के लिए सरकार को कॉलेजियम की ओर से कोई अनुशंसा नहीं भेजी गयी है। वहीं, न्यायाधीशों के सेवानिवृत्त होने, इस्तीफे देने तथा पदोन्नति होने के कारण अदालतों में रिक्त पदों की संख्या बढ़ती जा रही है।

उच्चतम न्यायालय तथा 25 उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया के तहत उच्चतम न्यायालय का कॉलेजियम उम्मीदवारों के नामों की सिफारिश सरकार को भेजती है जो या तो इन प्रस्तावों को स्वीकार कर लेती है या फिर प्रस्ताव को पुन: विचार के लिए लौटा देती है। कॉलेजियम में चीफ न्यायाधीश तथा उच्चतम न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीश होते हैं। उच्च न्यायालयों में 23 न्यायाधीशों को नियुक्त करने के लिए विभिन्न उच्च न्यायालयों के कॉलेजियम ने जो प्रस्ताव भेजे हैं उन पर उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम ने अब तक कोई निर्णय नहीं लिए हैं तथा ये प्रस्ताव कई महीनों से लंबित हैं। कुछ प्रस्ताव तो दो से तीन वर्ष से लंबित हैं।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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