पूर्व आईएएस कन्नन ने ईवीएम पर उठाए गंभीर सवाल, कहा- वीवीपैट ने ईवीएम कवच को भेदने का किया है काम

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पूर्व आईएएस अधिकारी कन्नन गोपीनाथन ने कहा है कि चुनाव आयोग बार-बार दावा करता है कि वीवीपैट (वीवीपीएटी) और ईवीएम के साथ किसी एक्सटर्नल डिवाइस यानी बाहरी मशीन को जोड़ा नहीं जाता, लेकिन ईवीएम और वीवीपैट बनाने वाली कंपनी बीइएल के मैनुअल से स्पष्ट है कि वीवीपेट को शुरू करने के लिए बाहरी लैपटॉप या कंप्यूटर की ज़रूरत होती है। कन्नन ने पूछा है कि अगर वीवीपैट स्टैंडअलोन डिवाइस है तो उसकी कमीशनिंग के लिए लैपटॉप या कंप्यूटर की ज़रूरत क्यों पड़ती है? कन्नन गोपीनाथ के इन सवालों से चुनाव आयोग का यह दावा संदेह के दायरे में आ गया है कि ईवीएम एक स्डैंडअलोन मशीन है, जिसे किसी बाहरी मशीन से नहीं जोड़ा जाता।

कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने ईवीएम की विश्वसनीयता पर एक बार फिर से गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने इस सिलसिले में पूर्व आईएएस अधिकारी कन्नन गोपीनाथन के उठाए प्रश्नों का समर्थन करते हुए चुनाव आयोग से उनका जवाब देने की मांग भी की है। कांग्रेस नेता ने कहा है कि कन्नन गोपीनाथन ने ईवीएम को लेकर जो खुलासे किए हैं, उनसे चुनाव आयोग के दावों पर सवालिया निशान लग गया है। दिग्विजय सिंह ने कहा है कि आयोग दावा करता रहा है कि ईवीएम एक स्डैंडअलोन मशीन है, जिसे किसी बाहरी मशीन से नहीं जोड़ा जाता, लेकिन कन्नन गोपीनाथ ने जो जानकारियां दी हैं, उनसे आयोग का यह दावा संदेह के दायरे में आ गया है।

दिग्विजय सिंह ने कहा है कि चुनाव आयोग बार-बार दावा कर चुका है कि ईवीएम में वन टाइम प्रोग्रामेबल चिप होती है, यानी एक ऐसी चिप जिसे एक ही बार प्रोग्राम किया जा सकता है, लेकिन ऐसी बहुत सी रिपोर्ट्स हैं, जिनमें दावा किया गया है कि वीवीपैट में मल्टी प्रोग्रामेबल चिप लगी है। मल्टी प्रोग्रामेबल चिप का मतलब है ऐसी चिप जिसे बार-बार प्रोग्राम किया जा सकता है। दिग्विजय सिंह ने कहा है कि अगर ऐसा है तो इसका यह भी मतलब हो सकता है कि कंट्रोल यूनिट को मैसेज देने का काम वीवीपैट से किया जाता है, बैलेट यूनिट से नहीं।

दिग्विजय सिंह ने कहा है कि निर्वाचन आयोग को कन्नन गोपीनाथन के उठाए गंभीर सवालों का जवाब ज़रूर देना चाहिए। कांग्रेस नेता ने कहा कि कन्नन खुद चुनाव संपन्न कराने की प्रक्रिया में शामिल रह चुके हैं। ऐसे में निर्वाचन आयोग को उनकी शंकाओं का जवाब जरूर देना चाहिए, लेकिन क्या आयोग जवाब देगा? देखते हैं।

दरअसल कन्नन गोपीनाथन ने ईवीएम को लेकर कई बेहद गंभीर सवाल खड़े किए हैं। कन्नन ने कहा है कि चुनाव आयोग बार-बार दावा करता है कि वीवीपैट और ईवीएम के साथ किसी एक्सटर्नल डिवाइस यानी बाहरी मशीन को जोड़ा नहीं जाता, लेकिन कन्नन ने ईवीएम और वीवीपैट बनाने वाली कंपनी बीइएलके मैनुअल के हवाले से बताया है कि वीवीपैट को शुरू करने के लिए बाहरी लैपटॉप या कंप्यूटर की ज़रूरत होती है। कन्नन ने पूछा है कि अगर वीवीपैट स्टैंडअलोन डिवाइस है तो उसकी कमीशनिंग के लिए लैपटॉप या कंप्यूटर की ज़रूरत क्यों पड़ती है? पूर्व आईएएस अधिकारी ने इसके लिए उपयोग में लाए जाने वाले एक एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर की बात भी उठाई है।

गोपीनाथन ने बताया है कि एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर के ज़रिए ईवीएम और वीवीपैट पर उम्मीदवारों के नाम और उनके चुनाव चिन्हों को लोड करने के लिए लैपटॉप का इस्तेमाल किया जाता है। कन्नन ने इसकी पूरी प्रक्रिया पर भी कई ट्वीट किए हैं। उन्होंने ईवीएम-वीवीपैट मशीनों की मैन्युफैक्चरिंग और खरीद को लेकर भी सवाल उठाए हैं।

कन्नन का कहना है कि चुनाव आयोग दावा करता है कि ये मशीनें बीइएल/इसीआईएल द्वारा बनाई जाती हैं, लेकिन उनका दावा है कि बीईएल की ई-प्रोक्योरमेंट साइट पर मशीन की पीसीबी समेत कई कंपोनेंट के लिए टेंडर मंगाए गए हैं। कन्नन ने सवाल उठाया है कि अगर उपकरणों का निर्माण बीइएल/इसीआईएल  द्वारा किया जाता है, तो पीसीबी के लिए टेंडर क्यों आमंत्रित किए गए?

गोपीनाथन ने इन सभी सवालों पर चुनाव आयोग से जवाब मांगे हैं। गोपीनाथन ने निर्वाचन आयोग के प्रवक्ता को टैग करते हुए लिखा है कि अगर मैं गलत हूं तो मुझे जवाब देने और गलत साबित करने की ज़िम्मेदारी आपकी है, ताकि मैं भ्रामक जानकारी न फैला सकूं और अगर मेरी बात में सच्चाई है, तो इसे संज्ञान में लेकर सुधार करना भी आपकी जिम्मेदारी है। कन्नन का कहना है कि चुनाव आयोग की ओर से उन्हें कोई जवाब नहीं मिला है।

गौरतलब है कि चुनाव परिणाम में हेराफेरी करने के लिए किसी निर्वाचन क्षेत्र में 100 प्रतिशत ईवीएम में छेड़छाड़ करने की कोई आवश्यकता नहीं होती। विशेषज्ञों का कहना है कि निर्वाचन क्षेत्रों में पांच-दस फीसद  ईवीएम को हैक करना पूरे चुनाव परिणाम को बदलने के लिए पर्याप्त है।

कश्मीर में लगाए गए प्रतिबंधों का हवाला देते हुए भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा देने वाले अधिकारी कन्नन गोपीनाथन ने दावा किया है कि पेपर ट्रेल मशीनों ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) को छेड़छाड़ की चपेट में ले लिया। उल्लेखनीय है कि साल 2017 के गोवा विधानसभा चुनावों के बाद से सभी ईवीएम के साथ मतदाता-सत्यापित पेपर ऑडिट ट्रेल मशीनों का इस्तेमाल किया गया है।

आम चुनाव के दौरान दादर और नगर हवेली में निर्वाचन अधिकारी रहे गोपीनाथ ने फरवरी 2019 में चुनाव आयोग द्वारा प्रकाशित ‘मैनुअल ऑन इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन और वीवीपीएटी’ के नए संस्करण का हवाला देते हुए कहा है कि मैं अभी भी अपने इस पक्ष पर कायम हूं, सिवाय इसके कि वीवीपैट के साथ हुए पहले चुनाव ने मेरा भरोसा छीन लिया है। वीवीपैट ने ईवीएम कवच में एक छेद कर दिया है और इस प्रक्रिया को हैकिंग के लिए उत्तरदायी बना दिया है।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और इलाहाबाद में रहते हैं।)

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