यूपी के पंचायत चुनावों में आरक्षण प्रकिया पर हाईकोर्ट की रोक

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने पंचायत चुनावों में आरक्षण प्रकिया पर रोक लगाते हुए योगी सरकार को फटकार भी लगाई है। हाईकोर्ट ने कहा है कि 2015 की आरक्षण प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। 17 मार्च को उत्‍तर प्रदेश सरकार आरक्षण की अंतिम सूची जारी करने वाली थी।

जस्टिस ऋतुराज अवस्थी और जस्टिस मनीष माथुर की खंडपीठ ने इन चुनावों के लिए आरक्षण प्रकिया पर रोक लगा दी। खंडपीठ ने आरक्षण और आवंटन कार्रवाई पर रोक लगा दी है। इस बारे में सभी जिलों के डीएम को आदेश भेज दिया गया है। खंडपीठ ने आरक्षण प्रकिया पर उत्‍तर प्रदेश सरकार को फटकार भी लगाई। हाईकोर्ट ने कहा कि 2015 की आरक्षण प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है।अजय कुमार की जनहित याचिका पर खंडपीठ ने यह फैसला लिया है। सोमवार को यूपी सरकार अपना जवाब दाखिल करेगी।

गौरतलब है कि 17 मार्च को यूपी सरकार पंचायत चुनावों के लिए आरक्षण की अंतिम सूची जारी करने वाली थी। हाईकोर्ट के फैसले के बाद अब इस पर ब्रेक लग गया है। अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने हाईकोर्ट के फैसले के बाद सभी डीएम को आरक्षण प्रकिया पर रोक लगाने संबंधी आदेश जारी कर दिया है।

अजय कुमार की याचिका में आरक्षण की नियमावली को चुनौती दी गई थी। पीआईएल में फरवरी महीने में जारी किए गए शासनादेश को चुनौती दी गई है। सीटों का आरक्षण साल 2015 में हुए पिछले चुनाव के आधार पर किए जाने की मांग की गई है। पीआईएल में 1995 से आगे के चुनावों को आधार बनाए जाने को गलत बताया गया है।

17 मार्च तक फाइनल आरक्षण लिस्ट आने के बाद 25-26 मार्च तक पंचायत चुनावों की अधिसूचना जारी कर देने की संभावना जताई जा रही थी, पर अब हाई कोर्ट के आदेश के बाद पंचायत चुनाव की तारीखें और लंबी खिंच सकती हैं। इससे पहले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए राज्य निर्वाचन आयोग के निर्देश पर जिलों में आरक्षण सूची जारी कर दी गई थी। इसके बाद कई जिलों से आपत्ति आने के बाद अब सभी आपत्तियों के निस्तारण का काम गति पकड़ चुका था। साल 2015 में 59 हजार 74 ग्राम पंचायतें थीं, वहीं इस बार इनकी संख्या घटकर 58 हजार 194 रह गई है।

इससे पहले उत्तर प्रदेश के पंचायती राज मंत्री भूपेंद्र सिंह चौधरी ने मुताबिक प्रदेश में 20 मार्च के बाद राज्य चुनाव आयोग कभी भी पंचायत चुनाव के लिए मतदान की तिथियों की घोषणा कर सकता है। 25 अप्रैल तक चारों चरणों के चुनाव पूरे होने की उम्मीद है। मई में जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुखों का चुनाव होना है। मंत्री ने बताया कि शासन से चुनाव की तैयारियों की चर्चा कर आयोग चुनाव की तिथियां घोषित करेगा। पूरी पारदर्शिता से त्रिस्तरीय पंचायत के वार्डों का आरक्षण हुआ है। दरअसल इस बार रोटेशन के आधार पर आरक्षण किया गया।

इस समय सभी जिलों में फाइनल आरक्षण लिस्ट तैयार हो रही है। अभी आरक्षण लिस्ट पर आईं आपत्तियों को दूर करने का काम चल रहा है। शेड्यूल के हिसाब से 15 फरवरी तक आरक्षण सूची जारी हो  जानी चाहिए। दो और तीन मार्च को सभी जिलों में आारक्षण लिस्ट जारी हुई थी। इन लिस्ट पर 4 मार्च से 8 मार्च तक क्षेत्र पंचायत कार्यालय में आपत्तियां मांगी गई थीं। 9 मार्च को जिला पंचायत राज अधिकारी के कार्यालय पर आपत्तियों को एकत्र किया गया। 10 मार्च से 12 मार्च के बीच आपत्तियों का निस्तारण करना था। इसके बाद अंतिम सूची का प्रकाशन होना था।

आरक्षण के फॉर्मूले को लेकर कुछ दिनों से प्रदेश सरकार और पार्टी में जद्दोजहद चल रहा था। सूत्रों के अनुसार पार्टी में आरक्षण फार्मूले को लेकर असंतोष अब सतह पर आ गया था। पार्टी के कई सांसदों, विधायकों और जिलाध्यक्षों ने शीर्ष नेतृत्व से यह शिकायत भी की है कि उनके लोग पंचायत चुनाव लड़ने की तैयारी किए बैठे थे मगर आरक्षण के फार्मूले की वजह से उनके लोग चुनाव लड़ने से वंचित हो गए।

पंचायती राज विभाग में इस मुद्दे पर पिछले कई दिनों से गंभीर मंथन चल रहा है। चूंकि हाईकोर्ट ने समयबद्ध ढंग से 15 मई तक पूरी चुनाव प्रक्रिया सम्पन्न करवाने के आदेश दे रखे हैं और पंचायतों के पदों की सीटों के आरक्षण की अंतिम सूची भी जारी हो चुकी है जिस पर दावे और आपत्तियां मांगे जाने का समय भी सोमवार 8 मार्च को बीत गया इसलिए अब आरक्षण के फार्मूले में बदलाव की गुंजाइश तो नहीं थी।

25-26 मार्च तक पंचायत चुनावों की अधिसूचना जारी कर देने की संभावना जताई जा रही थी, पर अब हाई कोर्ट के आदेश के बाद पंचायत चुनाव की तारीखें और लंबी खिंच सकती हैं। इससे पहले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए राज्य निर्वाचन आयोग के निर्देश पर जिलों में आरक्षण सूची जारी कर दी गई थी। इसके बाद कई जिलों से आपत्ति आने के बाद अब सभी आपत्तियों के निस्तारण का काम गति पकड़ चुका था। साल 2015 में 59 हजार 74 ग्राम पंचायतें थीं, वहीं इस बार इनकी संख्या घटकर 58 हजार 194 रह गई है।

 (वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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