पेगासस स्पाइवेयर के पीड़ितों ने सुप्रीमकोर्ट का दरवाजा खटखटाया

पेगासस स्पाइवेयर हैकिंग से व्यक्तिगत रूप से प्रभावित हुए लोगों ने भी उच्चतम न्यायालय में अपने निजता के अधिकार की दुहाई देकर याचिका दाखिल की है। चार भारतीय पत्रकारों और एक एक्टिविस्ट ने निजता के अपने मौलिक अधिकार की रक्षा के लिए उच्चतम न्यायालय  का दरवाजा खटखटाया है। पांचों का नाम पेगासस स्पाइवेयर टारगेट की संभावित लिस्ट में शामिल था। उनका कहना है कि पेगासस जैसी मिलिट्री ग्रेड की तकनीक का इस्तेमाल आईटी एक्ट के तहत ‘हैकिंग’ के बराबर है। ये अवैध है, और आईटी एक्ट की धारा 43 का उल्लंघन है, क्योंकि इसमें कंप्यूटर सिस्टम तक पहुंचना, डिवाइस को नुकसान पहुंचाना और उससे डेटा निकालना शामिल है।

पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता, एसएनएम आब्दी, प्रेम शंकर झा, रूपेश कुमार सिंह और एक्टिविस्ट ईप्सा शताक्षी की तरफ से ये याचिकाएं बहुत महत्वपूर्ण हैं,  क्योंकि ये उन लोगों द्वारा दायर की जाने वाली पहली याचिका है, जो कथित हैकिंग से व्यक्तिगत रूप से प्रभावित हुए हैं। इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट में पेगासस स्पाइवेयर को लेकर याचिका दायर की गई है, लेकिन ये याचिका उन लोगों की तरफ से दाखिल नहीं की गई है जो सीधे इसका शिकार हुए हैं। ये याचिका वकील एमएल शर्मा, पत्रकार एन राम और शशि कुमार और राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास ने दायर की है। इस याचिका में पेगासस स्पाइवेयर की गई है।

नए याचिकाकर्ताओं में, गुहा ठाकुरता और आब्दी दोनों के फोरेंसिक एनालिसिस ने पुष्टि की है कि पेगासस प्रोजेक्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, पेगासस का उपयोग करके उनके फोन से छेड़छाड़ की गई थी। एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड प्रतीक चड्ढा के माध्यम से दायर पांच याचिकाओं को, पुरानी याचिकाओं के साथ, 5 अगस्त को भारत के चीफ जस्टिस एनवी रमना और जस्टिस सूर्यकांत के सामने लिस्टेड होने की उम्मीद है।

उनका ये भी तर्क है कि पेगासस का इस्तेमाल इन धाराओं का उल्लंघन करता है। आईटी एक्ट की धारा 66 बी – जो चोरी किए गए डेटा को बेईमानी से प्राप्त करने के लिए दंडित करती है। आईटी एक्ट की धारा 72 – जो प्राइवेसी के उल्लंघन के लिए दंडित करती है। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि इस तरह स्पाइवेयर के इस्तेमाल को वैध निगरानी के रूप में उचित नहीं ठहराया जा सकता है। केंद्र को याचिकाओं में प्रतिवादी के रूप में नामित किया गया है, क्योंकि केंद्र सरकार भारतीय नागरिकों के खिलाफ पेगासस को खरीदने और इस्तेमाल करने से इंकार करने में विफल रही है, और एनएसओ ग्रुप ने बार-बार कहा है कि वो अपनी टेक्नोलॉजी केवल सरकारों को बेचती है।

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि राज्य प्रायोजित अवैध हैकिंग हुई है, जो संविधान के आर्टिकल 19 और 21 के तहत उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है। प्रेस के सदस्यों के खिलाफ पेगासस के इस्तेमाल के बारे में चार पत्रकारों ने विशेष रूप से कुछ सवालों को उठाया है। याचिका में कहा गया है कि पत्रकारों और रिपोर्टरों पर लगातार निगरानी आर्टिकल 19(1)(a) के तहत अधिकारों का उल्लंघन करती है और उस स्वतंत्रता को प्रभावित करती है जो प्रेस को निष्पक्ष कवरेज के लिए जरूरी है।

ये तर्क दिया गया है कि इस तरह की जासूसी को संविधान के आर्टिकल 19 (2) में मिली अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कभी भी उचित प्रतिबंध  नहीं माना जा सकता है, क्योंकि ये केवल उनके भाषण पर नहीं, बल्कि पत्रकारों पर हमला करता है।याचिका में उच्चतम न्यायालय से मांग की गयी है कि वो केंद्र को पेगासस के इस्तेमाल के लिए जांच, ऑथोराइजेशन और आदेशों से जुड़े सभी दस्तावेजों को पेश करने और उनका खुलासा करने का निर्देश दे। यह भी मांग की गयी है कि वो केंद्र सरकार को पेगासस जैसे “साइबर हथियारों” के इस्तेमाल से भारतीय नागरिकों की रक्षा के लिए कदम उठाने का निर्देश दे।

इस बीच पेगासस जासूसी मामले को लेकर पूर्व गृह मंत्री पी चिदम्बरम ने सरकार से बताने के लिए कहा है कि वह स्‍पाईवेयर बनाने वाली इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप की ग्राहक है या नहीं। वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तथा वरिष्‍ठ भाजपा नेता कप्तान सिंह सोलंकी ने मामले में जांच का समर्थन किया है।

 दरअसल पेगासस जासूसी मामले में सरकार चौतरफा घिरती जा रही है। पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने सरकार से जवाब मांगा है। उन्‍होंने कहा है कि केंद्र सरकार को यह बताने में इतनी मुश्किल क्यों हो रही है कि क्या वह भी इस स्पाईवेयर के निर्माता एनएसओ ग्रुप की ग्राहक थी। चिदंबरम ने यह भी कहा कि 40 सरकारें और 60 एजेंसियां एनएसओ समूह की ग्राहक थीं।

पूर्व राज्यपाल और वरिष्ठ भाजपा नेता कप्तान सिंह सोलंकी ने पेगासस जासूसी मामले में जांच का समर्थन किया है। उन्‍होंने कहा है कि संसद का गतिरोध दूर करने के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष को आपसी बातचीत से कोई रास्ता निकालना चाहिए।

पेगासस मामले पर विपक्ष को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का साथ मिल गया है। जेडीयू एनडीए का पहला सहयोगी दल है जिसने विपक्ष के साथ पेगासस मामले में जांच की मांग की है। नीतीश कुमार ने कहा कि फोन टैपिंग की बात इतने दिनों से आ रही है तो इस पर चर्चा होनी चाहिए। सीएम नीतीश ने कहा कि निश्चित रूप से इस पर मेरी समझ से जांच कर लेनी चाहिए, ताकि जो भी सच हो, सामने आ जाए और कभी भी कोई किसी को डिस्‍टर्ब करने के लिए, परेशान करने के लिए, इस तरह का काम करता है तो नहीं होना चाहिए।

कई मीडिया समूहों के एक अंतरराष्ट्रीय संगठन ने हाल में खबर दी थी कि दो मंत्रियों, 40 से अधिक पत्रकारों, विपक्ष के तीन नेताओं, उच्चतम न्यायालय के  एक न्यायाधीश, उद्योगपतियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं समेत विभिन्न लोगों के 300 से अधिक मोबाइल नंबर को स्पाईवेयर के जरिये हैकिंग के लिए निशाना बनाया गया। सरकार का कहना है कि ये आरोप भारतीय लोकतंत्र को बदनाम करने के लिए लगाए गए हैं।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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