गुजरात में भी डेंगू और चिकनगुनिया के मामले बढ़े

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अहमदाबाद। पिछले महीने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय रूपानी ने दावा किया था कि राज्य पूरी तरह से कारोना के लहर से निपटने को तैयार है। कॉरोना की तीसरी लहर आने से पहले डेंगू के कहर ने नगर निगम और सरकार की पोल खोल दी है। अहमदाबाद नगर निगम ने कल पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष मच्छरों से होने वाली बीमारियों के आंकड़े जारी किए हैं। नगर निगम के आंकड़ों के अनुसार पिछले वर्ष की तुलना में डेंगू के मामले तीन गुना बढ़ गए हैं। पिछले वर्ष जनवरी-सितंबर में नगर निगम ने डेंगू के 255 मामले दर्ज किए थे। जबकि इस वर्ष 684 डेंगू के मामले दर्ज हुए हैं। पिछले वर्ष कालरा का कोई केस नहीं था। जबकि इस वर्ष अब तक 64 मामले दर्ज हुए हैं। ये आंकड़े केवल सरकारी अस्पताल के हैं। प्राइवेट अस्पतालों की संख्या जोड़ी जाए तो संख्या लगभग दस गुना हो जाएगी।

शहर में मच्छरों और गंदगी से फैलने वाली बीमारी बहुत तेज़ी से पांव पसार रही है। तो दूसरी तरफ नगर निगम अधिकारियों की बीमारी को रोकने की इच्छाशक्ति में भी कमी दिख रही है। पिछले वर्ष सितंबर तक 2156 लोगों के सीरम सैंपल लिए गए थे जबकि इस वर्ष अब तक मात्र 441 लोगों के सीरम सैंपल लिए गए हैं। पिछले वर्ष की तुलना में ब्लड सैंपल में भी कमी आई है। प्राइवेट क्लीनिक चलाने वाले डॉक्टर ऊवेश के अनुसार ” डेंगू, मलेरिया के अलावा चिकन गुनिया के केसों में तेज़ी से बढ़ोत्तरी हो रही है। इन केसों को सभी प्राइवेट डॉक्टर देख भी नहीं रहे हैं। गरीब मोहल्लों के डॉक्टर चिकनगुनिया और डेंगू के मरीज़ को सरकारी या बड़े अस्पताल के लिए रेफर कर रहे हैं। ताकि वहां बेहतर इलाज हो सके।” पिछले वर्ष जनवरी-सितंबर के दरम्यान चिकनगुनिया के 196 केस निगम ने रजिस्टर कर लिए थे। इस वर्ष यह दोगुनी होकर 412 हो गई। इसी प्रकार मलेरिया के मामले भी बढ़े हैं।

नगर निगम पार्षद इकबाल शेख बताते हैं, “मच्छर और गंदगी से फैलने वाली बीमारी से पूरा अहमदाबाद प्रभावित है। बेहरामपुर, दानी लीमड़ा और राणीप अधिक प्रभावित वार्ड हैं। आपको बता दें अहमदाबाद का कचरा डंप स्टेशन बेहरापुरा में ही है। जिसका एक पहाड़ एक सप्ताह पहले गिर गया था। जिस कारण एक आम रास्ता बंद हो गया है। कचरे के पहाड़ ढह जाने से धोराजी सोसाइटी और सिटीज़न नगर प्रभावित हैं। पहाड़ ढह जाने से बारिश का पानी कई जगह एकत्र है। जो बीमारी का कारण बन रहा है। पार्षद इकबाल शेख के अनुसार नगर निगम के पास इन बीमारियों से लड़ने की कोई ठोस योजना नहीं है। जब केस बढ़ते हैं तो नगर निगम फॉगिंग और पानी में दवा डालते हैं। इसके अलावा अधिकारी कुछ और नहीं करते।

ऐसा नहीं है कि जल जनित रोग से केवल अहमदाबाद प्रभावित है। राज्य के दूसरे शहरों में भी डेंगू, चिकनगुनिया के केसों में उछाल है। बड़ौदा नगर निगम के अनुसार वर्ष 2020 में 224 डेंगू के केस सरकारी अस्पतालों में रजिस्टर किए गए थे। इस वर्ष सितंबर तक 659 डेंगू के केस नोटिस किए जा चुके हैं। इसी प्रकार से चिकनगुनिया, वायरल हैपेटाइटिस, टायफायड, मलेरिया और कालरा के केस भी पिछले वर्ष की तुलना में अधिक हैं। 5 अगस्त तक बड़ौदा नगर निगम ने 29 केस वायरल हैपेटाइटिस, 65 केस टायफायड और कालरा के 49 मामले दर्ज किए थे। 

अहमदाबाद मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. किरीट गढ़वी का कहना है, “जुलाई के मध्य तक डेंगू और चिकनगुनिया के केसेस कम आ रहे थे। उसके बाद मामले तेज़ी से बढ़े हैं। कोविड के चलते लोगों में जागरूकता है बुखार आने पर लोग तुरंत कोविड टेस्ट कराते हैं। टेस्ट के बाद डेंगू और चिकनगुनिया डायग्नोज होते हैं।” अहमदाबाद फेमिली फिजीशियन एसोसिएशन के सेक्रेटरी डॉक्टर प्रग्नेश वाच्चा रजनी कहते हैं कि दस-पन्द्रह दिन पहले हम लोग 1- 2 डेंगू, चिकनगुनिया के केस देख रहे थे। अब 10 -12 केस आ रहे हैं। 2020 की तुलना में वेक्टर जन्य बीमारी में बड़ा जंप आया है। इसके लिए वर्तमान मौसम जिम्मेदार है।

अधिकतर का मानना है कि बदले वातावरण, रुक रुक कर बरसात होने से तथा पानी एकत्र होने से डेंगू और चिकनगुनिया के मामले अधिक आ रहे हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले वर्ष की तुलना में वेक्टर जन्य बीमारियों में 110 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है।

(अहमदाबाद से जनचौक संवाददाता कलीम सिद्दीकी की रिपोर्ट।)

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