नीरव मोदी की बहन और अंबानी की रिश्तेदार हैं पूर्वी मेहता, तो फिर पैंडोरा पेपर्स क्या कर लेगा

इंडियन एक्सप्रेस अख़बार के सूत्रों के मुताबिक नीरव मोदी की बहन पूर्वी (मोदी) मेहता ने पैंडोरा पेपर्स में नाम आने के बाद अपने स्विस बैंक अकाउंट में जमा करीब 275 करोड़ रुपये भारत सरकार को देने की पेशकश की है। गिरीश मालवीय ने फेसबुक पोस्ट पर लिखा है कि पूर्वी मोदी पर मोदी सरकार मेहरबान है, क्योंकि नीरव मोदी की बहन पूर्वी की शादी मयंक मेहता से हुई है। मयंक जो है वे मोना मेहता के सगे भाई हैं, जिनकी शादी रोजी ब्लू के मालिक रसेल मेहता से हुई है। मोना मेहता ओर रसेल मेहता की बेटी श्लोका मेहता मुकेश अम्बानी की बहू हैं और आकाश अम्बानी की पत्नी हैं। मोना मेहता की चचेरी बहन प्रीति की शादी मेहुल चोकसी से हुई है। यानी मुकेश अम्बानी की समधन की चचेरी बहन मेहुल चौकसी की पत्नी हैं।

क्या आप जानते हैं कि कुछ महीने पहले मोदी सरकार ने नीरव मोदी की बहन पूर्वी को पीएनबी के 13500 करोड़ रुपये घोटाले में माफी दे दी गई थी। पूर्वी ने सरकारी गवाह बनते हुए अपने लंदन के खाते से 17.25 करोड़ रुपये ईडी को ट्रांसफर कर दिए थे। पूर्वी मोदी जो अब पूर्वी मेहता हैं, ने घोटालों से जुड़ी जानकारी एजेंसी को बताने की पेशकश की थी, जिसे कुछ शर्त के साथ स्वीकार कर लिया गया। इसके बाद ईडी ने पूर्वी मेहता और उसके पति मयंक मेहता को पूछताछ से राहत देने के साथ माफी दे दी थी। लेकिन इंडियन एक्सप्रेस अख़बार कि रिपोर्ट से पता चला है कि स्विस बैंक में जमा रकम इसकी दस गुना से भी अधिक है यह सब बातें पैंडोरा पेपर्स के सामने आने के बाद हुई हैं।

इंडियन एक्सप्रेस ने पैंडोरा पेपर्स की पड़ताल करते हुए 4 अक्टूबर को खुलासा किया था कि जनवरी 2018 में जब नीरव मोदी भारत छोड़कर भागा था, उससे कुछ महीने पहले ही उसकी बहन पूर्वी ने ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड में ब्रुकटन मैनेजमेंट लिमिटेड नाम की कंपनी बनाई थी। ये कंपनी उनकी सिंगापुर स्थित कंपनी के डिपॉज़िट ट्रस्ट के प्रोटेक्टर के तौर पर काम करती थी। यानी वो अपनी सिंगापुर की कंपनी का पैसा इस कंपनी में डायवर्ट करती थीं।

ईडी ने 2018 में नीरव मोदी और उसके पिता दीपक मोदी, बहन पूर्वी मेहता, बहनोई मयंक मेहता, भाई नीशल मोदी और एक दूसरे रिश्तेदार निहाल मोदी सहित 23 लोगों के खिलाफ पीएनबी से जुड़े धोखाधड़ी के मामले में 12,000 पन्नों का आरोप-पत्र दायर किया था। यानी साफ है कि पूर्वी मेहता को भी आरोपी बनाया गया था, लेकिन अब उसे बचाया जा रहा है जबकि इस बात के पक्के सबूत भी ED के पास हैं कि कैसे पूर्वी मेहता का सक्रिय सहयोग नीरव मोदी को प्राप्त था।

‘इंडियन एक्सप्रेस’में एक रिपोर्ट में एक ईडी अधिकारी के हवाले से बताया गया था कि वो (पूर्वी) इस स्कैम में कम से कम 963 करोड़ की लाभार्थी हैं। इस स्कैम में मनी लॉन्ड्रिंग की प्रोसेस को कामयाब बनाने के लिए कई तरह की शेल कंपनियां (एक तरह की फर्जी कंपनी) बनाई गई थीं। पूर्वी इन्हीं कुछ शेल कंपनियों की डायरेक्टर या मालकिन हैं। 4 अक्टूबर को, द इंडियन एक्सप्रेस ने पैंडोरा पेपर्स में अपनी जांच के हिस्से के रूप में बताया था कि जनवरी 2018 में नीरव मोदी के भारत से भाग जाने से एक महीने पहले, पूर्वी मोदी ने कॉर्पोरेट रक्षक के रूप में कार्य करने के लिए ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स में ब्रुक्टन मैनेजमेंट लिमिटेड की स्थापना की थी। ट्राइडेंट ट्रस्ट कंपनी, सिंगापुर के माध्यम से गठित जमा ट्रस्ट का।

पैंडोरा पेपर्स में नित नए खुलासे हो रहे हैं। इंडियन एक्सप्रेस अख़बार इस पर पड़ताल कर रहा है। अख़बार के सूत्रों को मुताबिक नीरव मोदी की बहन पूर्वी मोदी ने पैंडोरा पेपर्स में नाम आने के बाद अपने स्विस बैंक अकाउंट में जमा करीब 275 करोड़ रुपये भारत सरकार को देने की पेशकश की है। पूर्वी मोदी के इस ऑफर पर भारत सरकार विचार कर रही है, जिसके तहत वो अपने अकाउंट्स की पूरी जानकारी देंगी। बदले में उन्हें सज़ा से आंशिक या पूर्ण माफी मिल सकती है।

इंडियन एक्सप्रेस ने 4 अक्टूबर को खुलासा किया था कि जनवरी 2018 में जब नीरव मोदी भारत छोड़कर भागा था, उससे कुछ महीने पहले ही उसकी बहन पूर्वी ने ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड में ब्रुकटन मैनेजमेंट लिमिटेड नाम की कंपनी बनाई थी। ये कंपनी उनकी सिंगापुर स्थित कंपनी के डिपॉज़िट ट्रस्ट के प्रोटेक्टर के तौर पर काम करती थी। यानी वो अपनी सिंगापुर की कंपनी का पैसा इस कंपनी में डायवर्ट करती थीं। हालांकि पूर्वी ने ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड में जो डॉक्यूमेंट्स दिए हैं, उनमें कहा है कि ब्रुकटन कंपनी में जो भी पैसा जमा हुआ, वो उनकी निजी आय का था और उनकी तनख़्वाह का था। वो आय, जो उनको फायरस्टार नाम की फर्म की क्रिएटिव डायरेक्टर रहते हुए अर्जित की। फायरस्टार वही फर्म है, जिस पर झूठे लेटर ऑफ अंडरस्टैंडिंग बनवाकर पंजाब नेशनल बैंक के साथ धोखाधड़ी करने का आरोप है।

पैंडोरा पेपर्स लीक दस्तावेजों का पुलिंदा है। लगभग 1 करोड़ 20 लाख लीक दस्तावेज हैं। 117 देशों के 600 से ज्यादा पत्रकारों ने इन पेपर्स की जांच की है। इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स के तहत उन्होंने ऑफशोर कंपनी खोलने में मदद करने वाली 14 सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों से जुड़े सोर्स से ये दस्तावेज जुटाए हैं। इन्हीं से पता चला है कि कैसे दुनिया के कई अमीर और शक्तिशाली लोग टैक्स बचाने के लिए अपनी संपत्ति छिपा रहे हैं। इस सूची में 380 भारतीयों के नाम भी हैं। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने इस सूची में से 60 प्रमुख कंपनियों और लोगों के नाम की पुष्टि की है।
(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल इलाहाबाद में रहते हैं।)

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments