कोविड काल के दौरान बच्चों में सीखने की प्रवृत्ति का हुआ बड़े स्तर पर ह्रास

कोविड काल में बच्चों में सीखने की प्रवृत्ति का काफी बड़ा नुकसान हुआ है। इसका खुलासा ज्ञान विज्ञान समिति झारखण्ड, के द्वारा सूबे के 17 जिलों के 5118 परिवारों के 1 से 8 वर्ग के छात्रों व अभिभावकों से बातचीत के बाद हुआ है।

भारत ज्ञान विज्ञान समिति के राष्ट्रीय महासचिव डॉक्टर काशीनाथ चटर्जी के अनुसार झारखंड के सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों पर कोविड काल में पड़ने वाले प्रभाव पर किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि बड़े पैमाने पर बच्चे पिछली पढ़ाई के साथ और कई चीजें भूलने लगे हैं। ऑनलाइन शिक्षा पूरी तरह असफल है, क्योंकि 95% बच्चों के पास अपना मोबाइल नहीं है। नतीजा यह है कि छात्र न स्कूल जा पा रहे हैं, ना ही ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इस कारण वे तेजी से भूलने लगे हैं। इसे हम 18 महीने में लर्निंग लॉस भी कह सकते हैं। इसका खामियाजा पूरे समाज को आने वाले दिनों में भुगतना पड़ेगा।

वे बताते हैं कि सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि 10% बच्चे धीरे-धीरे बाल श्रमिक के रूप में परिवर्तित हो रहे हैं। इस सर्वे के आधार पर ज्ञान विज्ञान समिति झारखंड, शिक्षा सचिव से बात की और इसके बाद हमने गांव के लोगों के साथ इस सर्वेक्षण को लेकर बातचीत की।

ज्ञान विज्ञान समिति सर्वेक्षण के आधार पर ग्रामीणों से बातचीत के साथ-साथ क्षेत्र के नौजवानों को स्वयंसेवी भावना से बच्चों को पढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने बताया कि आज हम पूरे झारखंड में 348 सामुदायिक शिक्षण केंद्र चला रहे हैं। इसमें नौजवान स्वयंसेवक निशुल्क श्रमदान दे रहे हैं। वे बच्चों को जो भूल गए हैं, उनको पढ़ा रहे हैं। यह पढ़ाई खेल-खेल में है। उन्होंने बताया कि हम बच्चों को कोविड के विषय पर जागरूक कर रहे हैं।

काशीनाथ चटर्जी बताते हैं कि हमारी कोशिश है बच्चों को हम खेल खेल में शिक्षा दें। साथ में नैतिक शिक्षा भी दें। इसके लिए हम अपने स्वयंसेवकों को ऑनलाइन और फिजिकल प्रशिक्षण भी दे रहे हैं। देश के जाने-माने शिक्षाविद स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित कर रहे हैं। लोक शिक्षण केंद्र चलाने का हमारा मुख्य उद्देश है, जो बच्चे पिछले 18 महीने से स्कूल नहीं गए हैं, उनको पुनः स्कूल जाने के लिए तैयार करना, उन्हें भय मुक्त करना, उनके परिवार और उन्हें जो आर्थिक चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, उस पर संवाद करना और साथ-साथ स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित करके एक ऐसी फौज तैयार करना, जो आने वाले दिनों में शिक्षा पर लगातार काम करे। समुदाय को सशक्त करे। इस उद्देश्य से हमने सामुदायिक शिक्षण केंद्र का शुरुआत किया है। हमारा मकसद है कि हमारे काम से सरकारी स्कूलों को मदद हो और जो बच्चे आज शिक्षा से दूर हटे हैं वह पुन: शिक्षा के प्रकाश में सम्मिलित हो।

(झारखंड से वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट।)

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