योगी राज में मानवाधिकारों की सरेआम उड़ रही हैं धज्जियां: महिला संगठन

Estimated read time 1 min read

आज मानवाधिकार दिवस के अवसर पर लखनऊ के शहीद स्मारक पर महिला संगठनों ऐपवा, ऐडवा, महिला फेडरेशन व साझी दुनिया व नागरिक समाज के तत्वावधान में संकल्प सभा का आयोजन किया गया। इसे सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने उप्र सरकार व प्रशासन द्वारा प्रदेश के नागरिकों के मानवाधिकारों, लोकतांत्रिक व संवैधानिक अधिकारों के लगातार हनन पर गहरी चिंता व्यक्त की और कहा कि प्रदेश की कानून व्यवस्था भी पूरी तरह से चरमरा गई है ।

पिछले कुछ वर्षों से लखनऊ समेत पूरे उप्र में महिला संगठनों सहित प्रदेश के सामाजिक, सांस्कृतिक, छात्र व युवा संगठनों तथा सामाजिक कार्यकर्ताओ के लोकतांत्रिक व संवैधानिक अधिकारों पर बढ़ते हमले चिंता का विषय हैं। प्रदेश में योगी सरकार के आने के बाद विशेषकर महिलाओं , दलितों , अल्पसंख्यकों व समाज के कमजोर वर्गों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है । प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की “ठोक दो ” नीति के कारण उप्र पुलिस ने फर्जी एनकाउंटर के तहत तमाम मुस्लिम व दलित नवयुवकों को निशाना बनाया है, विवेक तिवारी से लेकर गोरखपुर के होटल में कानपुर के मनीष गुप्ता व कासगंज में अल्ताफ की पुलिस द्वारा की गई हत्याओं का यह सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है । पुलिस का इतना बर्बर चेहरा पहले कभी देखने में नहीं आया है।‌ इन घटनाओं ने प्रदेश व देश के हर संवेदनशील नागरिक को विचलित कर दिया है। इसी प्रकार प्रदेश में दलितों पर हिंसा की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं।

प्रयागराज के फाफामऊ क्षेत्र के एक दलित परिवार के चार सदस्यों की हत्या व उस परिवार की बेटी के साथ बलात्कार की दिल दहलाने वाली घटना इसका ताजा उदाहरण है ।‌ गांव के दबंग ठाकुरों द्वारा यह दलित परिवार काफी समय से प्रताड़ित किया जा रहा था जिसकी शिक़ायत व रिपोर्ट स्थानीय थाने में दर्ज थी किन्तु पुलिस ने दबंगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की और अब उन्हें बचाने के लिए एक दलित नौजवान पर आरोप मढ़ा जा रहा है जो जांच का विषय है ।

महिलाओं और बच्चियों पर बढ़ती हिंसा और अपराधियों को राजनैतिक संरक्षण देने के मामले में उप्र सरकार ने बेशर्मी की हदें पार कर दी हैं । उन्नाव व हाथरस के मामलों ने सत्ता के घिनौने चेहरे को बेनकाब किया है। आज भी हाथरस पीड़िता का परिवार दबंगों के गांव में डर के साए में जी रहा है। सरकार के तमाम अभियानों व दावों के बावजूद महिलाओं व बच्चियों के खिलाफ हो रही दरिंदगी रुकने का नाम नहीं ले रही है। दरअसल रस्म अदायगी से इस तरह की घटनाओं पर रोक नहीं लग सकती है। ‌इसके लिए साफ नीयत और निष्पक्षता के साथ ठोस कदम उठाने की जरूरत है ।‌

धर्मांतरण के नाम पर भी एक विशेष समुदाय के लोगों के खिलाफ हिंसा व झूठे मुकदमों की लंबी फेहरिस्त है ।‌ उप्र सरकार के द्वारा नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों का लगातार हनन किया जा रहा है ।‌नागरिकता कानून का विरोध कर रहे सामाजिक व राजनैतिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ झूठे मुकदमे किये गये। उप्र में UAPAकानून का भी दुरुपयोग हो रहा है । ऐसे ही एक काले कानून AFSPA के साये में जीते पूर्वोत्तर के नगालैंड में 14 निर्दोष नागरिकों की हाल ही में हत्या कर दी गई।

बेरोजगारी व नियुक्तियों के सवाल पर विरोध करने वालों पर पुलिस लाठियां भांजती है । देश में महंगाई चरम पर है। हमारे प्रदेश की आम जनता महंगाई की मार से बेहाल है ।नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार हमारा प्रदेश गरीबी सूचकांक में तीसरे नंबर पर है ।‌ हर नागरिक को भरपेट भोजन उसका मूलभूत अधिकार है किन्तु आज एक ओर जहां आम जनता बिगड़ती कानून व्यवस्था से परेशान है वहीं भूख ग़रीबी बेकारी ने उसका जीवन दूभर कर दिया है ।‌

सभा मे उपस्थित लोगों में प्रमुख थीं- साझी दुनिया की रूपरेखा वर्मा, ऐडवा की मधु गर्ग, महिला फेडरेशन की आशा मिश्रा, ऐपवा की मीना सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता नाइस हसन, कवियित्री तस्वीर नकवी, आइसा की प्राची मौर्या और नितिन राज।

You May Also Like

More From Author

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments