फडनवीस पर पद के दुरूपयोग का आरोप, एक्सिस बैंक प्रकरण में नोटिस

बाम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस समेत एक्सिस बैंक और स्टेट बैंक प्रबंधन को नोटिस जारी किया है। जस्टिस  सुनील शुक्रे और न्यायमूर्ति अनिल पानसरे की खंडपीठ ने 4 सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया। बॉम्‍बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका दाखिल करके कहा था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए एक्सिस बैंक को फायदा पहुंचाया था क्‍योंकि उनकी पत्नी अमृता फडनवीस एक्सिस बैंक में उच्च पद पर कार्यरत हैं। याचिका के साथ 2017 का एक सरकारी परिपत्र इसके लिए सबूत के रूप में प्रस्तुत किया गया है।

मोहनीश जबलपुरे की याचिका में देवेंद्र फडनवीस पर एक्सिस बैंक को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया गया है। याचिकाकर्ता के मुताबिक, एक्सिस बैंक में फडनवीस की पत्नी के कार्यरत होने से लाभ पहुंचाया गया। याचिका के अनुसार, फडनवीस के मुख्यमंत्री रहने के दौरान गृह विभाग ने 11 मई 2017 को एक परिपत्रक जारी किया था। परिपत्रक में पुलिस, विधि विभाग, शहरी विकास समेत राज्य सरकार के अधीन वाले विभाग के वेतन खाते राष्ट्रीयकृत बैंकों से एक्सिस बैंक में स्थानांतरित किए जाने का उल्लेख है। राज्य सरकार ने विभिन्न बैंकों के खातों से संजय निराधार योजना में लाभार्थियों के खातों में जमा होने वाली राशि का वितरण भी एक्सिस बैंक से करने का निर्देश दिया था।

याचिका में आरोप लगाया गया कि जब फडनवीस मुख्यमंत्री और गृहमंत्री रहे थे तो उन्‍होंने उनके अधीन आने वाले पुलिस कर्मचारी सहित राज्य सरकार के कई अलग-अलग विभागों के खाते भी एक्सिस बैंक में ट्रांसफर करने के लिए पत्र जारी किया था। इसी याचिका की सुनवाई के दौरान बॉम्‍बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने याचिकाकर्ता की सारी दलील सुनने के बाद नोटिस जारी किया है।

पूर्व मुख्‍यमंत्री देवेंद्र फडनवीस को प्रतिवादी बनाते हुए दोबारा नोटिस जारी किया है, इससे पहले 5 मार्च 2020 को भी इसी मामले में उन्‍हें नोटिस जारी किया था लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया था। जिसके बाद फिर से इस मामले में नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है।

याचिका के माध्यम से सरकारी कर्मचारियों के बैंक खातों के स्थानांतरण मामले में जिम्मेदारों के खिलाफ जांच और कार्रवाई की मांग की गई है। न्यायालय ने नोटिस जारी कर 4 सप्ताह के भीतर पक्ष रखने का आदेश दिया है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सतीश ऊके ने पक्ष रखा।

हालांकि, फडनवीस का कार्यकाल समाप्त होने के बाद उनके पते में बदलाव के कारण, उन्हें नोटिस नहीं दिया जा सका। इसलिए जस्टिस एसबी शुक्रे और एएल पानसरे की बेंच ने उन्हें नया नोटिस जारी किया। खंडपीठ ने नव-प्रतिवादियों, भारतीय स्टेट बैंक और एक्सिस बैंक को भी नोटिस जारी किया।

याचिकाकर्ता को फडनवीस के नेतृत्व वाली सरकार के संजय गांधी निराधार योजना के सभी बैंक खातों को एक्सिस बैंक में स्थानांतरित करने के फैसले के बारे में पता चलने के बाद याचिका दायर की गई, जो न केवल एक निजी बैंक था, बल्कि जहां पूर्व सीएम की पत्नी उपाध्यक्ष थीं। सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत याचिकाकर्ता द्वारा प्राप्त दस्तावेजों का हवाला देते हुए, जनहित याचिका में कहा गया है कि 2017 में राज्य के गृह विभाग के माध्यम से फडनवीस के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा जारी किए गए परिपत्र ने निजी बैंक को बढ़ावा दिया और राष्ट्रीयकृत बैंकों को नुकसान हुआ। याचिकाकर्ता ने यह भी दावा किया कि यह भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा जांच के लिए एक उपयुक्त मामला है।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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