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भूषण, सिन्हा और शौरी ने फिर उठाया राफेल का मामला, कहा- सीबीआई करे जांच, वरना खटखटाएंगे फिर से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण, पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी ने प्रेस कांफ्रेंस करके सीबीआई से राफेल मामले की जांच करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि सीबीआई को सबसे पहले इस मामले में एफआईआर दर्ज करनी चाहिए। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कोर्ट की निगरानी में मामले की जांच संबंधी पुनर्विचार याचिका को रद्द कर दिया था। हालांकि इसके साथ ही उसने यह भी कहा है कि वह संवैधानिक प्रावधानों के तहत बंधा हुआ है और इस मामले में सीबीआई को सरकार से अनुमति लेकर जांच करनी चाहिए थी।

प्रशांत भूषण ने दिल्ली स्थित प्रेस क्लब में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी यह सीबीआई की जिम्मेदारी बनती है कि वह हम लोगों की शिकायत पर मामले की जांच करे। उन्होंने कहा कि अगर सीबीआई ऐसा करने में नाकाम रहती है तो वो सभी फिर से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। हालांकि सिन्हा इस मौके पर मौजूद नहीं थे।

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली बेंच ने गुरुवार को यह फैसला सुनाया था। लेकिन इसके साथ ही बेंच में शामिल एक दूसरे जज जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा था कि देश की प्रमुख एजेंसी सीबीआई से सरकार से बिल्कुल स्वतंत्र होकर काम करने की उम्मीद की जाती है। और उससे आशा की जाती है कि वह न केवल उच्च स्तर पर पेशेवर होने का परिचय देगी बल्कि खुद को इस रूप में पेश करेगी कि वह गैरसमझौतावादी और बिल्कुल निष्पक्ष है। 

भूषण ने कांफ्रेंस में केएम जोसेफ के ही फैसले का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि सीबीआई के पास सरकार से इजाजत लेकर मुकदमा चलाने के लिए तीन महीने का समय है। उन्होंने कहा कि सीबीआई अगर ऐसा नहीं करती है तो उसे इसके पीछे के कारणों को स्पष्ट करना होगा।

उन्होंने कहा कि ‘द हिंदू’ की स्टोरी से साफ हो गया था कि रक्षा मंत्रालय के साथ ही पीएमओ भी डील कर रहे थे। अजीत डोभाल डील कर रहे थे। हमारी याचिका में मांग थी कि पूरे मामले की सीबीआई की जांच कराई जाए, पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट जांच करने में सक्षम ही नहीं। हम तो यह कह ही नहीं रहे थे। सुप्रीम कोर्ट में हमारी प्रेयर को समझा ही नहीं।

प्रशांत भूषण ने कहा कि अगर सरकार इतनी ही पाक साफ है तो हम सरकार से मांग करते हैं कि वह खुद पूरे मामले की सीबीआई जांच कराए। हम सीबीआई निदेशक से मांग करते हैं कि वे ख़ुद सरकार से राफ़ेल पर जांच करने की अनुमति मांगें।

आपको बता दें कि पिछले साल अक्तूबर में सिन्हा, शौरी और भूषण ने राफेल मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। 14 दिसंबर 2018 को दिए अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि निर्णय संबंधी प्रक्रिया पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है। उसके बाद तीनों याचिकाकर्ताओं ने 14 दिसंबर के फैसले की समीक्षा करने के लिए नई याचिका दायर की थी। जिस पर गुरुवार को यह फैसला आया है।

इसके साथ ही कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी जस्टिस केएम जोसेफ के फैसले का हवाला देते हुए सीबीआई से मामले की जांच करने की मांग की है।

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