नई दिल्ली। इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रयागराज में पिछले 873 दिनों से चल रहे छात्र संघ बहाली व कुलपति की अवैध नियुक्ति तथा 400% शुल्क वृद्धि के विरोध में पिछले 97 दिनों से आमरण अनशनरत छात्रों ने विश्वविद्यालय अनुदान का घेराव किया।

आंदोलनकारी छात्रों ने कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय में लोकतंत्र खत्म हो चुका है। एक ऐसे दौर में जबकि पूरा मुल्क कोरोना की चपेट में था और इसकी मार हर कोई महसूस कर रहा था। इसके मद्देनजर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने सभी विश्वविद्यालयों को इस दौर की छात्रों की फीस वापस करने का निर्देश दिया था। कहां तो विश्वविद्यालय प्रशासन को अनुदान आयोग के इस आदेश का पालन करते हुए कोरोना के दौर की फीस वापसी कर कोरोना महामारी से उबरने में लोगों की मदद करनी थी। लेकिन उसने ऐसा न कर संवेदनहीनता की सारी सीमाएं लांघते हुए शुल्क में 400 फीसदी की बढ़ोत्तरी कर दी।

आंदोलनकारी छात्रों ने कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति की नियुक्ति अवैध है और उनको तत्काल उनके पद से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को बर्खास्त करना चाहिए। इस मांग को लेकर छात्रों ने विश्वविद्यालय के 36000 छात्र-छात्राओं के हस्ताक्षर वाले पत्र को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को सौंपा और उनकी तत्काल बर्खास्तगी की मांग की।

छात्रों का एक डेलीगेशन विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सचिव से मिला और इलाहाबाद विश्वविद्यालय में 400% शुल्क वृद्धि, कुलपति की अवैध नियुक्ति और छात्र संघ बहाली के मुद्दों के बारे में उन्हें अवगत कराया। सचिव ने आश्वासन दिया कि छात्रों की समस्याओं का जल्द से जल्द निस्तारण होगा और कुलपति की नियुक्ति के मसले पर पर भी विचार किया जाएगा।
इस मौके पर छात्र नेता अजय यादव सम्राट, राहुल पटेल, हरेंद्र यादव, मुबाशिर हारून, डॉक्टर कंचन यादव, आइसा के राष्ट्रीय महासचिव प्रसेनजीत, मुलायम सिंह यादव, विजय पाल, सूरजभान सिंह, गौरव गोड, राहुल सरोज,अतीक अहमद, सिद्धार्थ गोलू, अंकित कुमार, आनंद सांसद, विनोद पटेल, शैलेंद्र यादव, ललित आदि लोग मौजूद रहे।
(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)
छात्रों का यह संघर्ष अपनी मंजिल तय करेगा। जिस लगन, मेहनत और ईमानदारी से छात्र इस आंदोलन को आगे बढ़ा रहे हैं उससे उनका सफल होना तय है। बस उन्हें अपना धैर्य बनाए रखते हुए मंजिल का रास्ता तय करना होगा।