देश में नई कम्युनिस्ट पार्टी भाकपा (माले) क्रांतिकारी पहल का गठन

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नई दिल्ली। देश में एक नई कम्युनिस्ट पार्टी का उदय हुआ है। इसका नाम है भाकपा (माले) क्रांतिकारी पहल। यह पार्टी भाकपा (माले) रेड स्टार से टूट कर बनी है। इस सिलसिले में 10-11 दिसम्बर, 2022 को चेन्नई में ‘विशेष प्रतिनिधि सभा’ का आयोजन किया गया था। इसमें उन प्रतिनिधियों ने भाग लिया जो 25 से 29 सितम्बर, 2022 तक केरल के कालीकट में आयोजित भाकपा (माले) रेड स्टार के पार्टी महासम्मेलन से बहिर्गमन करने के लिए बाध्य हुए थे। 

नई पार्टी के नेताओं का कहना था कि उक्त संगठन के निवर्तमान महासचिव केएन रामचन्द्रन की अगुवाई में नेतृत्व के बहुमत ने घोर संकीर्णतावादी और असंवैधानिक सांगठनिक प्रक्रिया अपनाया था। उन्होंने बताया कि चेन्नई प्रतिनिधि सभा में कुछ अन्य कामरेड भी शामिल हुए जो पूर्व में उनके साथ थे, लेकिन आगे चलकर उनके गैर जनवादी सांगठनिक तरीके और कुछ मुद्दों पर अवैज्ञानिक अवस्थानों के ख़िलाफ संघर्ष के पक्ष में खड़े होकर हमारे द्वारा शुरू की गई प्रक्रिया में शामिल हुए। चेन्नई के “विशेष प्रतिनिधि सभा” में देश के 12 राज्यों – केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, आन्ध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, झारखण्ड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और पंजाब से 82 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। 

उमाकांत ने जनचौक को बताया कि प्रतिनिधि सभा की शुरुआत पूर्णतः जनवादी तरीके से अध्यक्ष मंडल, संचालन समिति एवं अन्य कमेटियों के चुनाव के साथ हुई। तत्पश्चात कामरेड शिवराम और शर्मिष्ठा का स्मरण किया गया और उन तमाम शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए दो मिनट का मौन रखा गया जिन्होंने भारत की आजादी के लिए और फिर “साम्राज्यवाद, भारतीय बड़े पूंजीपति और भूस्वामी वर्ग” के गठजोड़ के शोषण से मुक्त समाज को साकार करने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी है।

प्रतिनिधि सभा ने एक नए कम्युनिस्ट क्रांतिकारी संगठन का गठन करने का एकमत से निर्णय लिया जिसका नाम “भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी लेनिनवादी) “क्रांतिकारी पहल”, संक्षेप में भाकपा (माले) क्रांतिकारी पहल होगा।

इसके पश्चात प्रतिनिधि सभा में “मसौदा पार्टी कार्यक्रम” को स्वीकार किया गया, पार्टी संविधान के कुछेक धाराओं को संशोधित किया गया, जैसे कि पार्टी झण्डा और पार्टी शपथ कुछ धाराओं में संशोधन। उल्लेखनीय रूप से, इस प्रतिनिधि सभा ने पार्टी में “अल्पमत विचार” रखने वाले साथियों के अधिकारों की रक्षा के लिए, विशेष रूप से पार्टी महासम्मेलन की प्रक्रिया चलने के दौर में, संविधान में कुछेक प्रावधान किया है।

प्रतिनिधि सभा ने “एकता प्रस्ताव” पर भी चर्चा की। नेताओं का कहना है कि यह प्रतिनिधि सभा ऐसे समय में आयोजित की गयी है जब फ़ासीवादी ताक़त आरएसएस -भाजपा द्वारा देश पर फ़ासीवादी क़ब्जे़ का ख़तरा मंडरा रहा है, इसलिए प्रतिनिधि सभा ने इस ख़तरे के ख़िलाफ़ मजदूर वर्ग, किसानों और समाज के अन्य सभी शोषित व उत्पीड़ित तबकों – दलितों, आदिवासियों, विकलांगों, धार्मिक व राष्ट्रीय अल्पसंख्यकों को गोलबंद कर और साथ ही आरएसएस-भाजपा के ख़िलाफ़ सभी फ़ासीवाद-विरोधी व गैर-फासीवादी ताक़तों को एकजुट कर जीवन-मरण का संघर्ष छेड़ने तथा राजनैतिक रूप से एक सशक्त जन आन्दोलन खड़ा करने व साम्प्रदायिक नफ़रत, ब्राह्मणवाद और मनुवाद की विचारधारा से लड़ने का निर्णय लिया है।

प्रतिनिधि सभा के अंतिम सत्र में 24 सदस्यीय केन्द्रीय सांगठनिक कमेटी का चुनाव किया गया। कामरेड प्रदीप सिंह इसके सचिव चुने गए। यह भी तय किया गया कि पार्टी मुखपत्र का नाम “क्रांतिकारी पहल” होगा। केन्द्रीय सांगठनिक कमेटी के सदस्य इस प्रकार हैं: 1. प्रदीप सिंह ठाकुर, 2. संजय सिंघवी, 3. अलिक चक्रवर्ती, 4. उमाकांत, 5. विमल, 6. जैकब 7. प्रवीण नाडकर, 8. डीएच पुजार, 9. जीव कुमार,10. दीपा, 11. प्रज्वल,12. पीके मुरलीधरन, 13. रवी पालूर, 14. ए मन्नार, 15. जी सदानन्दम, 16. भीमराव येडके, 17. निर्वाणप्पा, 18. केबी गोनाल 19. बाबूराम शर्मा, 20. उजागर सिंह, 21. बिबेक रंजन, 22. अनिल मिस्त्री, 23. शुक्ला भुईमाली और 24. योकेश्वरन।

केन्द्रीय सांगठनिक कमेटी ने पार्टी की रोजमर्रा की गतिविधियों और विभिन्न जन संगठनों में अपने कार्यकर्ताओं को नेतृत्व देने के लिए एक 10 सदस्यीय कोर कमेटी का चयन किया।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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