केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्‍पन को इलाहाबाद हाईकोर्ट से मिली बेल, 2 साल बाद जेल से आएंगे बाहर

केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्‍पन को मनी लॉन्ड्रिंग और यूएपीए मामले में जमानत मिल गई है। करीब दो साल बाद वह जेल से बाहर आ रहे हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उनके खिलाफ शुरू किए गए धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) मामले में जमानत दे दी जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की एकलपीठ ने कप्पन को जमानत दी। अभिव्‍यक्ति की स्‍वतंत्रता’ की दुहाई देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर में कप्‍पन की जमानत मंजूर कर दी थी। लेकिन मनी लॉन्ड्रिंग केस में जमानत नहीं मिलने के कारण उन्हें जेल में ही रहना पड़ा था।

लखनऊ कोर्ट द्वारा इस मामले में जमानत देने से इनकार करने के बाद कप्पन ने अक्टूबर 2022 में जमानत के लिए हाईकोर्ट का रुख किया था। कप्पन के खिलाफ दर्ज अन्य सभी मामलों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जमानत दिए जाने के 3 महीने बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश ने जेल से रिहाई का मार्ग प्रशस्त किया।

गौरतलब हो कि सुप्रीम कोर्ट ने 9 सितंबर को हाथरस साजिश मामले में 6 अक्टूबर, 2020 से यूपी पुलिस की हिरासत में रहे कप्पन को जमानत दे दी थी। भारत के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित और जस्टिस एस रवींद्र भट की पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ कप्पन द्वारा दायर अपील को स्वीकार किया जिसमें हाईकोर्ट ने कप्पन को जमानत देने से इनकार कर दिया था।

कप्पन को हाथरस में एक दलित नाबालिग लड़की के सामूहिक बलात्कार-हत्या के बाद दंगे भड़काने की कथित साजिश के लिए यूएपीए की धारा 17/18, धारा 120बी, 153ए/295ए आईपीसी, 65/72 आईटी अधिनियम के तहत कथित अपराधों के लिए हिरासत में रखा गया।

कप्पन को अक्टूबर 2020 में यूपी पुलिस द्वारा अन्य आरोपियों के साथ गिरफ्तार किया गया था, जब वे हाथरस बलात्कार-हत्या अपराध की रिपोर्ट करने के लिए आगे बढ़ रहे थे। शुरुआत में उन्हें शांति भंग करने की आशंका के तहत गिरफ्तार किया गया था। बाद में उस पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि वह और उनके सह-यात्री हाथरस गैंगरेप-हत्या के मद्देनजर सांप्रदायिक दंगे भड़काने और सामाजिक सद्भाव को बाधित करने की कोशिश कर रहे थे।

कप्पन, जो लगभग दो साल सलाखों के पीछे रहा है। कप्पन को अन्य आरोपियों के साथ अक्टूबर 2020 में यूपी पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया था, जब वे हाथरस बलात्कार-हत्या अपराध की रिपोर्ट करने के लिए जा रहा था। प्रारंभ में उन्हें शांति भंग करने की आशंका के तहत गिरफ्तार किया गया और उन्हें उप-मंडल मजिस्ट्रेट की एक अदालत के समक्ष पेश किया गया, जिसने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया। इसके बाद, उन पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया। इसमें आरोप लगाया गया कि वह और उनके सह-यात्री हाथरस सामूहिक बलात्कार-हत्या मामले के मद्देनजर सांप्रदायिक दंगे भड़काने और सामाजिक सद्भाव को बाधित करने की कोशिश कर रहे थे।

उत्तर प्रदेश के मथुरा में एक स्थानीय अदालत द्वारा पिछले साल जुलाई में उनकी जमानत याचिका खारिज करने के बाद कप्पन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया था। कप्पन को जमानत देने से इनकार करते हुए, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि उनके पास हाथरस में कोई काम नहीं था।

23 अगस्त को, कप्पन के सह-आरोपी कैब चालक मोहम्मद आलम को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत पर रिहा कर दिया था। जमानत आदेश में यह देखा गया कि कप्पन के कब्जे से “अपमानजनक सामग्री” बरामद की गई थी, लेकिन आलम से ऐसी कोई सामग्री बरामद नहीं हुई थी।

एडवोकेट पल्लवी प्रताप के माध्यम से दायर विशेष अनुमति याचिका में, कप्पन ने प्रस्तुत किया था कि उनकी यात्रा का इरादा हाथरस बलात्कार / हत्या के कुख्यात मामले पर रिपोर्टिंग के अपने पेशेवर कर्तव्य का निर्वहन करना था। हालांकि, उन्हें “ट्रम्प अप” आरोपों के आधार पर हिरासत में ले लिया गया था

इस महीने की शुरुआत में लखनऊ की एक अदालत ने कप्पन और छह अन्य के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत आरोप तय किए थे, जिसका मतलब था कि मुकदमा शुरू हो सकता है। इस केस में अन्य आरोपी केए रऊफ शेरिफ, अतीकुर रहमान, मसूद अहमद, मोहम्मद आलम, अब्दुल रज्जाक और अशरफ खादिर हैं।

पुलिस ने दावा किया था कि ये लोग तब से प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और इसकी छात्र शाखा, कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) के सदस्य हैं। पुलिस के मुताबिक, इन लोगों ने आतंकी गतिविधियों या टेरर फंडिंग में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया है। उन लोगों ने तर्क दिया है कि वे केवल पत्रकारिता के काम के लिए हाथरस की यात्रा कर रहे थे. कप्पन और तीन सह-अभियुक्तों -अतीकुर रहमान, मोहम्मद आलम और मसूद अहमद को यूपी पुलिस ने मथुरा में गिरफ्तार किया था।

यूपी पुलिस को कप्‍पन की कार में कुछ ‘पैम्‍फलेट्स’ मिले थे। इनके आधार पर कप्‍पन के खिलाफ इंडियन पीनल कोड की धारा सेक्‍शन 124ए (राजद्रोह), 153ए (नफरत फैलाने) और 295ए (जानबूझकर भड़काने) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। कप्‍पन पर यूएपीए और इन्‍फॉर्मेशन टेक्‍नोलॉजी एक्‍ट की धाराएं भी लगाई गईं।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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