कड़कड़ाती ठंड में अखबार बांटकर फौजी बनने का सपना देखता है यह गौतम

देहरादून। पूरे उत्तर भारत में कड़कड़ाती ठंड का असर हिमालय की तलहटी वाले राज्य उत्तराखंड में जहां पूरे शबाब पर है तो कई इलाकों में तापमान शून्य से नीचे पहुंच गया है। ऐसे ही उत्तराखंड के चमोली जिले में अगर किसी सुबह हाथों में बांटने के लिए अखबार और आंखों में बेहतर भविष्य का सपना लिए कोई नई उम्र का युवा सड़कों पर दिखाई दे तो उसे आप बेहिचक गौतम कहकर पुकार सकते हैं। सिर्फ 17 ही तो उम्र है इस गौतम की जो ऐसी कड़ाके की ठंड में सुबह-सुबह हम लोगों के घरों में उस अखबार को पहुंचाता दिखता है जो हर शाम के साथ पुराना होकर रद्दी बन जाता है। गौतम की कहानी और संघर्ष, दोनों जितने झकझोरने वाले हैं, उतने ही प्रेरणादायक भी। 

उत्तराखंड राज्य की चीन सीमा से सटे चमोली जिले के गौचर क्षेत्र के पनाई गांव में जहां गौतम रहता है, वहां का तापमान इन दिनों शून्य डिग्री से भी कम चला जाता है। जिस उम्र में ज्यादातर नौजवान भविष्य के रंगीन सपने देख रहे होते हैं तो उस उम्र में अपने तमाम सारे शौक को दरकिनार कर रोजी-रोटी के जुगाड़ में अखबार बांटने वाला यह गौतम अभी राजकीय इंटर कॉलेज में 12वीं का छात्र है। गौतम के परिवार में उसकी माता, पिता, बड़ी बहन सहित कुल चार लोग हैं। गौतम के पिता फिलहाल बेरोजगार हैं तो उसकी बड़ी बहन भी अक्सर बीमार रहती है। 

ऐसे में परिवार का इकलौता बेटा होने के नाते घर चलाने की जिम्मेदारी किशोर अवस्था से युवक बनने की प्रक्रिया में गौतम के ही नाजुक कंधों पर आ गई। जिस जगह गौतम रहता है, वहां रोजगार के कोई साधन तो थे ही नहीं। दूसरी बात, कहीं बाहर किसी काम की तलाश में निकलने पर उसकी खुद की पढ़ाई भी बाधित होती। ऐसे में घर के खर्च को उठाने के लिए गौतम ने अखबार बेचने का काम शुरू किया। 

यह है गौतम की दिनचर्या

गौचर के जिस गौतम की जिंदगी का यह किस्सा है, उसकी सुबह तब शुरू होती है जब अक्सर महानगरों के लोग सोने के लिए जाते हैं। सुबह तीन बजे उठकर गौतम सबसे पहले अपनी किताबों से माथापच्ची करते हुए पढ़ाई करता है। डेढ़ घंटे की पढ़ाई के बाद में गौतम के लिए अब अग्निवीर भर्ती की तैयारी के लिए दौड़ लगाने का होता है। जहां वह अपना एक घंटा अपने अग्निवीर बनने के सपने को देता है। दौड़ के बाद घड़ी में साढ़े पांच बजते ही उसके कदम अखबार की उस एजेंसी की तरफ बढ़ने शुरू होते हैं, जहां “आज की ताजा खबर” की मुनादी करते अखबार के कुछ बंडल उसकी प्रतीक्षा कर रहे होते हैं। 

दुकान के लिए निकल जाता है और दौड़ते हुए शहर भर में अखबार बांटता है। सचमुच, गौतम के जज्बे को सैल्यूट करने का मन करता है। ऐसी कड़ाके की ठंड में जब हम में से ज्यादातर लोग घरों में दुबके रहते हैं। पहाड़ का ये नौजवान अपना भविष्य संवारने के लिए शहर की ठंडी सड़कों पर दौड़ लगाता है, साथ में अखबार भी बांटता है, ताकि परिवार का लालन-पालन कर सके। मेहनती गौतम अग्निवीर बनकर देश की सेवा करना चाहता है। 

पहाड़ में अब भी सेना का क्रेज

उत्तराखंड राज्य देश का इकलौता ऐसा राज्य है जहां पहाड़ के अधिकांश लोगों की नसों में खून के साथ सेना की सेवा का अहसास दौड़ता है। हाई स्कूल पास करते ही अधिकांश युवा सेना में भर्ती की तैयारी शुरू करते हैं। जो इंटर या उससे ऊपरी कक्षा में आते आते किसी न किसी रूप में सेना का हिस्सा बन जाते थे। लेकिन इस बीच केंद्र सरकार ने सेना भर्ती में युवाओं की नियमित भर्ती पर रोक लगाते हुए अग्निवीर योजना आरंभ की। जिसमें चार साल की सेना की सेवा के बाद 75 प्रतिशत कर्मियों को रिटायर्ड कर दिया जायेगा। लेकिन इसके बाद भी पहाड़ के युवाओं का सेना के प्रति मोह कम नहीं हुआ है।

पिछले साल की शुरुआत में भी सेना के प्रति युवाओं के जुनून को दिखाती एक ऐसी ही खबर नोएडा से भी तब आई थी, जब सेना में फौजी बनने का सपना आंखों में लिए उत्तराखंड के एक युवा प्रदीप मेहरा का देर रात 12 बजे शहर की सड़कों पर दौड़ने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। यह वीडियो वायरल होने के बाद तमाम संस्थान प्रदीप की मदद के लिए आगे आए थे। लेकिन गौचर का यह गौतम अभी लोगों की नजरों में इतना नहीं आ पाया है कि उसकी परेशानियों में कोई कमी आ सके। अपने अटूट हौसले के दम पर अग्निवीर बनने की चाहत में गौतम का अग्निपथ पर सफर जारी है।

(देहरादून से सलीम मलिक की रिपोर्ट।)

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments