विश्व भर में पंजाबियों ने इस बार मनाई ‘लोहड़ी धीआं दी’ यानी ‘लड़कियों की लोहड़ी’

पंजाब और देश-विदेश में बसे पंजाबियों ने 13 जनवरी को लोहड़ी का ऐतिहासिक पर्व धूमधाम के साथ मनाया। लेकिन एक बहुत बड़े तथा महत्वपूर्ण परिवर्तन के साथ। इस बार हर जगह लोहड़ी लड़कियों के नाम रही। इसे बाकायदा बैनर भी दिया गया, ‘लोहड़ी धीआं दी’। यानी ‘लड़कियों की लोहड़ी’। कभी पंजाबियों का यह पर्व लड़कों के जन्म की खुशी में मनाया जाता था और अब इसका लड़कियों के प्रति ऐसा उत्साहवर्धक समर्पण व्यापक पंजाबी समुदाय में आए सुखद बदलाव का सबब है। समूचे पंजाब से हासिल जानकारी के मुताबिक मुटियारों (लड़कियों) ने भी जगह जगह लोहड़ी पर जमकर धमाल किया। खुलकर पतंगबाजी भी की। इस पर गबरुओं का एकाधिकार माना जाता था।

कभी पंजाब में ‘कुड़ी मार’ (यानी भ्रूण हत्या) की कुप्रथा का प्रचलन था और सूफी- संतों की इस जमीन पर इसमें लगातार दशकों तक इजाफा होता रहा। नतीजतन लिंगानुपात (आखिरी जनगणना और स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक) 35.65 का रह गया था। अब यह अंतर बहुत मामूली स्तर पर है। ‘लोहड़ी धीआं दी’ का औपचारिक-अनौपचारिक खास कार्यक्रम पटियाला में आयोजित किया गया। इस मौके पर प्रतीक स्वरूप 51 लड़कियों को सम्मानित किया गया। इसमें मुख्य मेहमान के तौर पर पहुंचे पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने कहा कि यह बड़ी चिंता का विषय है कि अभी भी राज्य में लड़कियों की संख्या लड़कों से कम है। उसे पूरी तरह बराबरी पर लाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यह बिकम सुखद तथ्य नहीं कि साल 2022 में 1000 में से 989 लड़कियां हैं। यह एक संतोषजनक पहलू है कि लिंगानुपात बराबरी के स्तर पर आ रहा है।

उधर, जालंधर में ‘लोहड़ी धीआं दी’ के तहत केंद्रीय वाणिज्य व उद्योग राज्यमंत्री सोमप्रकाश ने इसी तर्ज पर 31 लड़कियों को सम्मानित किया। जिस संस्थान के परिसर में कार्यक्रम आयोजित किया गया वहां बड़ी तादाद में लड़कियों ने शिरकत की और विशिष्ट वक्ताओं ने संयुक्त मंच से एक सुर में कहा कि कन्या भ्रूण हत्या पाप है और अब पंजाबी धीरे-धीरे समझ रहे हैं कि लड़की व लड़के में कोई अंतर नहीं होता है।

सामाजिक सुरक्षा और महिला व बाल विकास विभाग की ओर से अमृतसर के नारी निकेतन में इसी तर्ज पर यह पर्व मनाया गया और 51 लड़कियों को विशेष रूप से सम्मानित किया गया। पुष्पा गुजराल नारी निकेतन, जालंधर में भी ‘लोहड़ी धीआं दी’ की धूम रही। लड़कियों ने सामूहिक गिद्दा डाला और लोकगीत गाए। प्रमुख पंजाबी अखबार ‘अजीत’ कि निदेशक गुरजोत कौर ने अगुवाई करते हुए कहा कि अब वक्त आ गया है कि हम सभी को लड़कियों की लोहड़ी मनानी चाहिए।

इसी तरह की खबरें पंजाब के तमाम जिलों अथवा शहरों और गांव तक से मिल रही हैं। सुदूर विदेशों से भी। 2023 की लोहड़ी में भंगड़े से ज्यादा गिद्दे का धमाल हुआ। भंगड़ा लड़कों की नृत्य कला है तो गिद्दा लड़कियों की। पंजाब के लोग के लोकाचार पर खास काम कर रही चंडीगढ़ की गुणवंत कौर मिन्हास ने कहा कि इस बार की लोहड़ी के मायने बेहद खुशगवार हैं। इतने बड़े पैमाने पर सूबे सहित शेष देश और विदेशों में लड़कियों द्वारा बढ़-चढ़कर लोहड़ी का त्यौहार मनाने की जो खबरें मिल रही हैं, उसके संकेत साफ हैं कि यकीनन अब भ्रूण हत्या में भी कमी आएगी और लड़कियों में नई चेतना का प्रसार होगा।

(वरिष्ठ पत्रकार अमरीक की रिपोर्ट।)

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