रिसर्च स्कॉलर्स का देशव्यापी प्रदर्शन, फेलोशिप बढ़ाने की मांग

देशभर के रिसर्च स्कॉलर्स ने अखिल भारतीय शोधार्थी संघ के बैनर तले फेलोशिप में बढ़ोत्तरी समेत कई अन्य मांगों को लेकर 17 फरवरी को राष्ट्रीय स्तर पर अपने-अपने संस्थानों के सामने धरना-प्रदर्शन किया।

इस मौके पर अखिल भारतीय शोधार्थी संघ ने कहा कि देशभर के रिसर्च स्कॉलर्स फेलोशिप में बढ़ोत्तरी सहित तीन सूत्रीय मांगों को लेकर पहले भी उच्च शिक्षा और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव से अनुरोध कर चुके हैं। 2018 में इन विषयों पर हुई एक बैठक में आश्वासन भी दिया गया था कि शोध छात्रों के बिना धरने-प्रदर्शन के उनकी मांगों पर कार्यवाही की जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

अखिल भारतीय शोधार्थी संघ ने कहा कि शोध छात्रों को हर चार वर्ष में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के दरवाजे पर दस्तक देनी पड़ती है, लेकिन अभी तक विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव की तरफ से कोई भी आधिकारिक ज्ञापन जारी नहीं हुआ है। जबकि देश भर के शोध छात्र 6 महीने से इन्तजार कर रहे हैं।

भूवनेश्वर में छात्रों का प्रदर्शन

शोधार्थी संघ ने कहा कि शोध छात्रों को अपनी मांगो को लेकर अपनी प्रयोगशाला छोड़कर सड़कों पर उतरने के लिये मजबूर होना पड़ा है। उन्हें अपनी मांगों पर सरकार का ध्यान आकर्षित कराने के लिए अपने-अपने संस्थानों में धरना-प्रदर्शन करना पड़ रहा है।

शोध छात्रों का कहना है कि “आत्मनिर्भर भारत” की संकल्पना को मूर्त रूप देने के लिए देश के शोध संस्थानों में स्वस्थ्य एवं समृद्ध वातावरण की जरूरत है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “जय विज्ञान और जय अनुसंधान” का नारा दिया है। लेकिन आज भारतीय शोध संस्थानों में छात्रों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है।

शोधार्थी संघ ने कहा कि शोध छात्र आत्महत्या के शिकार हो रहे हैं, उनका मानसिक/शारीरिक/बौद्धिक/आर्थिक शोषण बढ़ता ही जा रहा है। संस्थानों में दबाव व तनावपूर्ण वातावरण है। ऐसे में “जय अनुसंधान” की संकल्पना को कैसे मूर्त रूप मिलेगा?

जमशेदपुरमें शोध छात्रों का प्रदर्शन

अखिल भारतीय शोधार्थी संघ ने ज्ञापन के माध्यम से प्रधानमंत्री, केंद्रीय शिक्षा मंत्री, केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री एवं अपने संस्थानों के निदेशकों को संबोधित करते हुए कहा है कि देश में शोधार्थियों की स्थिति लगातार बदतर होती जा रही है। इस पर सरकार को तत्काल ध्यान देने की जरूरत है।

शोधार्थी संघ ने कहा कि हाल ही में MANIT, भोपाल IISER, पुणे तथा BHU जैसे कुलीन संस्थानों में आत्महत्याओं और उत्पीड़न के मामले दर्ज हुये हैं, बावजूद इसके संस्थान दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। शोध छात्र न्याय की भी मांग रहे हैं।

शोध छात्रों का विरोध प्रदर्शन

इसके अतिरिक्त पिछले पांच वर्षों में देशभर में कई रिसर्च स्कॉलर्स ने आत्महत्या की है, उनका मानसिक, शारीरिक एवं बौद्धिक शोषण हो रहा है। साथ ही सुपरवाइजर, प्रोफेसर्स की मनमानी बढ़ती जा रही है।

शोधार्थी संघ ने कहा कि 2019 के बाद से फेलोशिप में कोई वृद्धि नहीं हुई है, जबकि पिछले 4 वर्षों में महंगाई काफी तेजी से बढ़ी है। वर्तमान में जे.आर.एफ को 31,000 रुपये और एस.आर.एफ को 35,000 रुपये फेलोशिप मिलती है। जो कि 2019 में निर्धारित हुई थी, इसमें 62% की वृद्धि के साथ 16% से 21% एचआरए मिलना चाहिए।

धनबाद में शोध छात्रों का प्रदर्शन

शोधार्थी संघ की तीन प्रमुख मांगें –

1- बढ़ती महंगाई के मद्देनजर भारत सरकार द्वारा पूरे देश के पी.एच.डी शोधार्थियों की फेलोशिप की राशि में 62% की वृद्धि की जाए।

2- बिना किसी व्यवधान के पी.एच.डी शोधार्थियों को पूरे पांच वर्षों तक हर महीने फेलोशिप दी जाये। इसके साथ-साथ टीचिंग असिस्टेंटशिप की राशि भी सुनिश्चित की जाए। एच.आर.ए. की राशि भी वर्तमान दर से दी जाए।

3- पी.एच.डी. शोधार्थियों को सुपरवाइजर द्वारा रिसर्च के अलावा कोई अन्य घरेलू व व्यक्तिगत कार्य ना दिए जाए। सुपरवाइजर्स/संस्थान प्रबंधन द्वारा पी.एच.डी. शोधार्थियों का शारीरिक/मानसिक/आर्थिक/ बौद्धिक शोषण करने पर दोषी व्यक्ति के खिलाफ तुरंत कार्रवाई का प्रावधान किया जाए एवं उन्हें तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया जाए। पीएचडी शोधार्थियों का उत्पीड़न पूर्णतः बंद किया जाए।

शोध छात्रों का प्रदर्शन

शोधार्थी संघ की ने कहा कि इन सभी मांगों को लेकर छात्र कई वर्षों से आंदोलनरत हैं लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है। यदि रिसर्च स्कॉलर्स की मांगें नहीं मानी जाती हैं, तो शोधार्थीयों को मजबूर होकर उन्हें अपनी प्रयोगशाला छोड़कर जंतर-मंतर पर अनशन पर उतरना पड़ेगा।

(वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट)

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