पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब पुलिस के बर्खास्त डीएसपी बलविंदर सिंह सेखों और उनके सहयोगी प्रदीप शर्मा को सोशल मीडिया पर हाईकोर्ट के न्यायाधीशों की न्यायिक कार्यवाही के खिलाफ ‘दुर्भावनापूर्ण’ और ‘अपमानजनक’ वीडियो प्रसारित करने के लिए अवमानना मामले में 6 महीने की कैद की सजा सुनाई है।
जस्टिस जीएस संधावालिया और जस्टिस हरप्रीत कौर जीवन की खंडपीठ ने आरोपी पर 2000 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। यह घटनाक्रम हाईकोर्ट द्वारा मामले में दोनों को गिरफ्तार करने के आदेश के चार दिन बाद आया।
इससे पहले 15 फरवरी को खंडपीठ ने सेखों को आपराधिक अवमानना का नोटिस जारी किया, क्योंकि उन्होंने स्वेच्छा से अपने व्यक्तिगत हितों को हासिल करने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अदालत ने कहा कि सेखों, जिन्होंने 2021 में सेवा से बर्खास्तगी के आदेश को चुनौती देते हुए रिट याचिका दायर की, अन्य न्यायाधीशों द्वारा संचालित न्यायिक कार्यवाही से संबंधित वीडियो प्रसारित कर रहे थे।
खंडपीठ ने यह भी कहा कि एक वीडियो में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के 10 से अधिक न्यायाधीशों और सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा न्यायाधीश का जिक्र करते हुए सेखों द्वारा निंदनीय आरोप लगाए गए, इसलिए न्यायालय के आदेश की प्रति और आरोप का जवाब देने के लिए सेखों को वीडियो कार्यवाही का प्रतिलेख भेजा गया।
खंडपीठ ने कहा, कि सोशल साइटों पर सामग्री डालकर उन्होंने न केवल दृश्य प्रतिनिधित्व से इस अदालत के अधिकार को बदनाम किया और कम किया, साथ ही न्यायिक कार्यवाही के दौरान हस्तक्षेप किया। न्याय के प्रशासन में बाधा डाली है। इस प्रकार, न्यायालय की अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 2 (सी) (i) से (iii) के तहत अवमानना की।
गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने आरोपी सेखों के खिलाफ बीते सोमवार को अरेस्ट वारंट जारी किए थे। सेखों ने हाईकोर्ट जज पर भ्रष्टाचार व सरकारों से मिलीभगत सहित कई आरोप लगाए थे। उसने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी व शब्दावली का इस्तेमाल किया था। हाईकोर्ट ने इस मामले में एक पत्रकार के खिलाफ भी अवमानना का नोटिस जारी किया था। वहीं आरोपी डीएसपी बलविंदर सेखों का कहना है कि वह पंजाब के लोगों के हित में लड़ाई लड़ रहे हैं और किसी से डरने वाले नहीं है।
बलविंदर सेखों ने पंजाब में बढ़ रहे नशे के संबंध में हाईकोर्ट में याचिका लगाई है। इसमें उन्होंने पंजाब के दो पूर्व डीजीपी सुरेश अरोड़ा, दिनकर गुप्ता व अकाली दल समेत कई पार्टियों के नेताओं द्वारा नशा बेचने के आरोप लगाए हैं। इसके बाद बर्खास्त डीएसपी ने केस की सुनवाई कर रहे जजों के खिलाफ अभद्र शब्दावली का इस्तेमाल किया था।
सेखों का कहना था कि अदालत मामले में एक्शन नहीं ले रही। जबकि उनके ऐसा कहने से दो दिन पहले केस की सुनवाई हुई थी। अदालत ने मामले में डेढ़ महीने बाद 28 मार्च की तिथि निर्धारित की है।
बलविंदर सिंह सेखों पूर्व मंत्री भारत भूषण आशू से विवाद होने के बाद सामने आए थे। इसके बाद से सेखों लगातार हाईकोर्ट के जजों के खिलाफ रोष प्रकट करते रहे हैं। 12 फरवरी को उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की थी।
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि संविधान ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी है, लेकिन यह असीमित नहीं है। आम तौर पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करते हुए हम दखल नहीं देते हैं लेकिन यहां पर न्यायपालिका की छवि को धूमिल करने के उद्देश्य से प्रेस वार्ता कर इसे सोशल मीडिया पर डाला जा रहा है।
कोर्ट ने कहा कि सेखों और प्रदीप शर्मा ने इरादतन न्यायपालिका की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया है और ऐसे में दोनों को हिरासत में लेना जरूरी है। वीडियो में इस प्रकार की टिप्पणियां की गई हैं जिन्हें आदेश में लिखवाया भी नहीं जा सकता। कुछ वीडियो में तो जजों की तुलना इस तरह से की गई है जिसे मार्यादित नहीं कहा जा सकता।
साल 2019 में बलविंदर सिंह सेखों नगर निगम में बतौर डीएसपी तैनात थे। उस समय कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशू के साथ उनकी बातचीत की एक ऑडियो वायरल हुआ था। इसमें वह एक दूसरे को काफी बुरा-भला बोल रहे थे। इस ऑडियो क्लिप के बाद दोनों में काफी दूरियां बढ़ गई थीं।
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के जजों के खिलाफ अभद्र टिप्पणी करने के आरोपी पंजाब पुलिस के बर्खास्त डीएसपी बलविंदर सिंह सेखों को सोमवार को गिरफ्तार कर लिया गया था। उनकी गिरफ्तारी हाईकोर्ट की ओर से सोमवार को जारी वारंट के बाद हुई थी। हाईकोर्ट ने लुधियाना पुलिस कमिश्नर को आदेश जारी किया था कि सेखों और उनके साथी प्रदीप शर्मा को जल्द गिरफ्तार किया जाए।
बर्खास्त डीएसपी बलविंदर सिंह सेखों ने कुछ दिन पहले एक प्रेसवार्ता की थी। इसमें उन्होंने हाईकोर्ट के जजों के खिलाफ गलत टिप्पणी की थी। उसके बाद उन्होंने टिप्पणी के वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर कर दिए थे।
(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं।)
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