निर्माण मजदूरों का दिल्ली के मुख्यमंत्री कार्यालय पर प्रदर्शन; ऐक्टू ने कहा- तत्काल पेंशन जारी करे सरकार

Estimated read time 1 min read

नई दिल्ली। दिल्ली के कई इलाकों में कार्यरत निर्माण मज़दूरों ने मंगलवार को 60 वर्ष से ऊपर के पंजीकृत निर्माण-श्रमिकों की पेंशन रिलीज़ नही होने के खिलाफ दिल्ली के मुख्यमंत्री के समक्ष प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में दिल्ली के हैदरपुर, समयपुर, बादली, वज़ीराबाद, संत-नगर, करावल नगर, गांधी विहार, मुस्तफाबाद, संगम विहार और ओखला में रहने वाले मजदूरों ने हिस्सेदारी की।

निर्माण मजदूरों ने सिविल लाइंस से मुख्यमंत्री के कैम्प कार्यालय तक जुलूस निकाल कर अपना विरोध दर्ज कराया। गौरतलब है कि निर्माण बोर्ड में पंजीकृत श्रमिकों को पिछले वर्ष के नवंबर माह से पेंशन का भुगतान नहीं किया गया है, जिससे उन्हें काफी आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। निर्माण मजदूरों ने तत्काल पेंशन जारी करने की मांग करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार उनकी सुध नहीं ले रही है।

घटते रोजगार से त्रस्त हैं मजदूर

ऐक्टू से सम्बद्ध बिल्डिंग वर्कर्स यूनियन के महासचिव वी के एस गौतम ने प्रदर्शन में मौजूद श्रमिकों को संबोधित करते हुए कहा कि दिल्ली में रोजगार की भारी कमी के कारण निर्माण श्रमिक बहुत परेशान हैं। 60 वर्ष के ऊपर के श्रमिकों की पेंशन को अकारण रोक दिए जाने के कारण मज़दूरों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

निर्माण मजदूरों का प्रदर्शन

उन्होंने कहा कि निर्माण मज़दूरों के लिए बने वेलफेयर बोर्ड में पंजीकरण को लेकर पहले से ही दिल्ली में काफी गड़बड़ियां रही हैं। ऐसे में तकनीकी कारणों के चलते पंजीकरण को बंद किया जाना सरासर गलत है। ऑनलाइन पंजीकरण बन्द होने की स्थिति में दिल्ली सरकार को मैन्युअल पंजीकरण प्रक्रिया तत्काल शुरू कर देनी चाहिए।

केंद्र व दिल्ली सरकार मजदूर-अधिकारों के प्रति उदासीन

निर्माण मजदूरों के विरोध प्रदर्शन को ऐक्टू की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुचेता डे ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि कॉर्पोरेट-घरानों को खुश करने के लिए लाये गए श्रम-कोड मज़दूरों को गुलामी की ओर धकेल देंगे। आये दिन दिल्ली में हो रही औद्योगिक दुर्घटनाओं में मज़दूरों की हो रही मौत के बावजूद दिल्ली सरकार मज़दूरों की सुरक्षा के प्रति उदासीनता बनाये हुए है।

निर्माण मजदूरों को संबोधित करतीं सुचेता डे

सुचेता डे ने कहा कि दिल्ली व केंद्र सरकार, दोनों ने ही ट्रेड यूनियनों के साथ वार्ता करना बंद कर दिया है। यह बहुत दुख की बात है। ऐक्टू व इससे जुड़ी यूनियनें आगे भी इन मांगों को लेकर संघर्ष जारी रखेंगी।

(विज्ञप्ति पर आधारित)

You May Also Like

More From Author

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments