
गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान पीएम मोदी से रोज एक सवाल पूछने की कड़ी में कांग्रेस के होने वाले अध्यक्ष राहुल गांधी ने आज 13वां सवाल किया है।
उन्होंने पूछा है कि लोकपाल कहां है जिसका उन्होंने वादा किया था। वे पूछते हैं कि-
22 सालों का हिसाब#गुजरात_मांगे_जवाब
13वां सवाल:
कहते थे देंगे जवाबदेह सरकार
किया लोकपाल क्यों दरकिनार?GSPC, बिजली-मेट्रो घोटाले, शाह-जादा पर चुप्पी हर बार
मित्रों की जेब भरने को हैं बेकरारलम्बी है लिस्ट
और ‘मौनसाहब’ से है जवाब की दरकार
किसके अच्छे दिन के लिए बनाई सरकार?— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 11, 2017
“कहते थे देंगे जवाबदेह सरकार, किया लोकपाल क्यों दरकिनार? GSPC, बिजली-मेट्रो घोटाले, शाह-जादा पर चुप्पी हर बार, मित्रों की जेब भरने को हैं बेकरार। लम्बी है लिस्ट और ‘मौनसाहब’ से है जवाब की दरकार, किसके अच्छे दिन के लिए बनाई सरकार?”
गुजरात मांगे जवाब?
राहुल गांधी ने “22 सालों का हिसाब #गुजरात_मांगे_जवाब” हैशटैग से प्रधानमंत्री मोदी के नाम इन सवालों का सिलसिला 28 नवंबर से अपने ट्विटर एकाउंट पर शुरू किया था। हालांकि उन्हें अपने एक भी सवाल का जवाब अब तक नहीं मिला है। यही वजह है कि आज उन्होंने अपने 13वें सवाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘मौनसाहब’ कहा है। आपको याद होगा कि 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और मोदी जी उस समय के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को ‘मौनमोहन’ सिंह कहकर उनकी आलोचना करते रहे हैं। अब यही रणनीति राहुल ने मोदी जी पर दोहराई है।
रोज़ एक सवाल
28 नवंबर को अपने पहले सवाल में राहुल गांधी ने उनसे गुजरात में उनके 50 लाख नए घर बनाकर देने के वादे के संदर्भ में सवाल पूछा था। इसके बाद ट्विटर पर रोज़ एक सवाल का सिलसिला शुरू हो गया। आइए पढ़ते हैं उनके अब तक के सवाल-
12वां सवाल
छोटे-मँझले कारोबारी त्रस्त
बड़े उद्योगपति हैं मस्त
GST और नोटबंदी की दोहरी मार
सूरत-राजकोट-अलंग-अंजार
नष्ट किए गुजरात के व्यापार
क्या जवाबदारी लेगी आपकी सरकार?
11वां सवाल
80% इंजीनियर बैठे हैं बेकार
टाटा नैनो जुमला, चली नहीं यह कार
नौकरी मांगने वालों को मिलती है गोली
युवा के भविष्य की लगा दी आपने बोली
बेची शिक्षा, बेची परीक्षा, स्कूल-कॉलेज बन गए दुकान
शिक्षा केंद्रों का मोदीजी क्यों बेच दिया ईमान?
22 सालों का हिसाब#गुजरात_मांगे_जवाब
10 वां सवाल:
आदिवासी से छीनी जमीन
नहीं दिया जंगल पर अधिकार
अटके पड़े हैं लाखों जमीन के पट्टे
न चले स्कूल न मिला अस्पताल
न बेघर को घर न युवा को रोजगारपलायन ने दिया आदिवासी समाज को तोड़
मोदीजी, कहाँ गए वनबंधु योजना के 55 हजार करोड़?— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 8, 2017
10वां सवाल: आदिवासी से छीनी जमीन, नहीं दिया जंगल पर अधिकार। अटके पड़े हैं लाखों जमीन के पट्टे, न चले स्कूल न मिला अस्पताल, न बेघर को घर न युवा को रोजगार। पलायन ने दिया आदिवासी समाज को तोड़, मोदीजी, कहाँ गए वनबंधु योजना के 55 हजार करोड़?
प्रधानमंत्री जी-9वां सवाल
न की कर्ज़ माफ़ी
न दिया फसल का सही दाम
मिली नहीं फसल बीमा राशि
न हुआ ट्यूबवेल का इंतजाम
खेती पर गब्बर सिंह की मार
छीनी जमीन, अन्नदाता को किया बेकार
PM साहब बतायें, खेडुत के साथ क्यों इतना सौतेला व्यवहार?
8वां सवाल
39% बच्चे कुपोषण से बेज़ार
हर 1000 में 33 नवजात मौत के शिकार
चिकित्सा के बढ़ते हुए भाव
डाक्टरों का घोर अभाव
भुज में ‘मित्र’ को 99 साल के लिए दिया सरकारी अस्पताल
क्या यही है आपके स्वास्थ्य प्रबंध का कमाल?
22 सालों का हिसाब#गुजरात_मांगे_जवाब
प्रधानमंत्रीजी-7वाँ सवाल:
जुमलों की बेवफाई मार गई
नोटबंदी की लुटाई मार गई
GST सारी कमाई मार गई
बाकी कुछ बचा तो –
महंगाई मार गईबढ़ते दामों से जीना दुश्वार
बस अमीरों की होगी भाजपा सरकार? pic.twitter.com/1S8Yt0nI7B— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 5, 2017
7वां सवाल: जुमलों की बेवफाई मार गई/नोटबंदी की लुटाई मार गई/GST सारी कमाई मार गई
बाकी कुछ बचा तो -महंगाई मार गई
बढ़ते दामों से जीना दुश्वार, बस अमीरों की होगी भाजपा सरकार?
प्रधानमंत्री जी छठा सवाल
भाजपा की दोहरी मार
एक तरफ युवा बेरोजगार
दूसरी तरफ़ लाखों
फिक्स पगार और कांट्रैक्ट कर्मचारी बेज़ार
7वें वेतन आयोग में 18000 मासिक होने के बावजूद फिक्स और कांट्रैक्ट पगार 5500 और 10000 क्यों?
22 सालों का हिसाब,#गुजरात_मांगे_जवाब
प्रधानमंत्रीजी- 5वाँ सवाल:
न सुरक्षा, न शिक्षा, न पोषण,
महिलाओं को मिला तो सिर्फ़ शोषण,
आंगनवाड़ी वर्कर और आशा,
सबको दी बस निराशा।गुजरात की बहनों से किया सिर्फ़ वादा,
पूरा करने का कभी नहीं था इरादा। pic.twitter.com/yXvCRbxsXW— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 3, 2017
5वां सवाल: न सुरक्षा, न शिक्षा, न पोषण, महिलाओं को मिला तो सिर्फ़ शोषण, आंगनबाड़ी वर्कर और आशा, सबको दी बस निराशा। गुजरात की बहनों से किया सिर्फ़ वादा, पूरा करने का कभी नहीं था इरादा।
चौथा सवाल
सरकारी स्कूल-कॉलेज की कीमत पर
किया शिक्षा का व्यापार
महँगी फ़ीस से पड़ी हर छात्र पर मार
New India का सपना कैसे होगा साकार?
सरकारी शिक्षा पर खर्च में गुजरात देश में 26वें स्थान पर क्यों? युवाओं ने क्या गलती की है?
प्रधानमंत्री जी से तीसरा सवाल:
2002-16 के बीच 62,549 Cr की बिजली ख़रीद कर 4 निजी कंपनियों की जेब क्यों भरी?
सरकारी बिजली कारख़ानों की क्षमता 62% घटाई पर निजी कम्पनी से 3/ यूनिट की बिजली 24 तक क्यों ख़रीदी?
जनता की कमाई, क्यों लुटाई?
दूसरा सवाल
1995 में गुजरात पर क़र्ज़-9,183 करोड़।
2017 में गुजरात पर क़र्ज़-2,41,000 करोड़।
यानी हर गुजराती पर 37,000 क़र्ज़।
आपके वित्तीय कुप्रबन्धन व पब्लिसिटी की सज़ा गुजरात की जनता क्यों चुकाए?
गुजरात के हालात पर प्रधानमंत्रीजी से पहला सवाल:
2012 में वादा किया कि 50 लाख नए घर देंगे।
5 साल में बनाए 4.72 लाख घर।
प्रधानमंत्रीजी बताइए कि क्या ये वादा पूरा होने में 45 साल और लगेंगे?”
आपने इन सवालों में गौर किया होगा कि राहुल गांधी की कोशिश मोदी जी को उनके ही किए गए विकास के वादों पर घेरने की रही है। एक भी सवाल ऐसा नहीं है कि मुद्दा इधर से उधर से हो जाए। साथ ही कई सवाल शेरो-शायरी के अंदाज़ में किए गए हैं। कई सवाल बेहद चुटीले और तीखे हैं। अपने दसवें सवाल के बाद गुजरात में पहले चरण के मतदान से एक दिन पहले 8 दिसंबर को राहुल ने मोदी जी पर बड़ा तीखा प्रहार किया कि
“गुजरात में 22 सालों से भाजपा की सरकार है। मैं केवल इतना पूछूंगा-
क्या कारण है इस बार प्रधानमंत्री जी के भाषणों में ‘विकास’ गुम है?
मैंने गुजरात के रिपोर्ट कार्ड से 10 सवाल पूछे, उनका भी जवाब नहीं।
पहले चरण का प्रचार ख़त्म होने तक घोषणा पत्र नहीं।
तो क्या अब ‘भाषण ही शासन’ है?”
अपने सवालों के अलावा भी अन्य ट्विट में राहुल ने बड़े शायराना ढंग से कटाक्ष किए हैं। एक ट्विट में वे कहते हैं कि
चेहरे पर शिकन, माथे पर पसीना
डरे-डरे से साहेब नज़र आते हैं
शाह-जादा, राफेल के सवालों पर
जाने क्यूँ इनके होंठ सिल जाते हैं— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 27, 2017
राहुल गांधी निर्विरोध कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के तौर पर चुने जा रहे हैं। उपाध्यक्ष से अध्यक्ष की इस यात्रा खासकर गुजरात चुनाव की शुरुआत से आप राहुल गांधी में कुछ परिवर्तन तो नोट कर रहे होंगे। यह बदलाव उनके भाषणों से लेकर उनके ट्विट तक दिखाई दे रहा है। अब देखना है कि यह बदलाव कांग्रेस पार्टी की कार्यसंस्कृति के साथ गुजरात में भी बदलाव लाता है या नहीं।
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