फॉक्सकॉन-वेदांता समझौता रद्द, पीएम मोदी के लिए बड़ा झटका 

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भारतीय सेमीकंडक्टर योजना को भारी झटका लगा है। खबर आ रही है कि ताइवानी बहुराष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र की चोटी की कंपनी फॉक्सकॉन ने सोमवार को अपनी घोषणा में वेदांता समूह के साथ अपने अनुबंध को रद्द करने का फैसला लिया है। 

पिछले वर्ष सितंबर माह में इसको लेकर भारी विवाद भी सुनने में आया था, जब 19.5 अरब डॉलर से भारत में पहली चिप निर्माण का काम फॉक्सकान और वेदांता के संयुक्त उपक्रम के जरिये साकार होता। पहले यह उद्योग महाराष्ट्र सरकार के साथ तय हुआ था, लेकिन गुजरात चुनाव से कुछ माह पूर्व अचानक खबर आई कि अब यह प्लांट गुजरात में लगने जा रहा है। इसको लेकर महाराष्ट्र में बड़ा सियासी तूफ़ान देखने को मिला। गौरतलब है कि पूर्ववर्ती महाविकास अघाड़ी की सरकार के दौरान यह प्लांट महाराष्ट्र के लिए तय हुआ था। लेकिन गुजरात विधानसभा से पहले ही महाराष्ट्र में शिवसेना (शिंदे गुट) और भाजपा की सरकार बन जाने के बाद, सेमीकंडक्टर प्लांट को गुजरात में स्थानांतरित कर दिया गया। 

लेकिन अब ताजा खबर है कि फॉक्सकान ने अपना इरादा ही रद्द कर दिया है, और वह अब गुजरात में सेमीकंडक्टर एवं डिस्प्ले उत्पादन संयंत्र को स्थापित करने के लिए वेदांता लिमिटेड के साथ संयुक्त उद्यम खड़ा करने के करार से बाहर निकल रही है।

दोनों कंपनियों ने पिछले साल इस उद्देश्य के लिए 19.5 अरब डॉलर का निवेश करने के लिए एक समझौता किया था। बता दें कि फॉक्सकान ने सिर्फ सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में वेदांता के साथ गुजरात में प्लांट वाले समझौते को ही रद्द किया है। इसके अलावा भी फॉक्सकान का तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एप्पल आई फोन के लिए प्लांट स्थापित है, जिसमें फिलहाल 17,000 श्रमिक कार्यरत हैं। इस संयंत्र में अगले एक वर्ष में 53,000 श्रमिकों को नियुक्त किये जाने की योजना है। इस प्रकार अकेले तमिलनाडु में फॉक्सकान के पास कुल 70,000 कर्मचारी हो जायेंगे। इसके साथ ही बेंगलुरु में एप्पल के लिए एक और प्लांट लगाये जाने पर काम चल रहा है। लेकिन सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में हाथ पीछे खींचने का फैसला भारत के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है। 

रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी के एक बयान में कहा गया है, “फॉक्सकॉन अब वेदांता की पूर्ण स्वामित्व वाली इकाई से फॉक्सकॉन नाम को हटाने पर काम कर रही है।”

अनिल अग्रवाल के नेतृत्व वाले वेदांता समूह का इस बारे में अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

सुनने में आ रहा है कि रोल आउट रणनीतियों में मतभेदों के कारण पिछले कुछ समय से संयुक्त उद्यम में अधिक प्रगति नहीं देखी जा रही थी।

वेदांता ने हाल ही में कहा था कि वह सहयोगी कंपनी ट्विन स्टार टेक्नोलॉजीज से सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले इकाइयों में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण करेगी। ट्विन स्टार टेक्नोलॉजीज वोल्कन इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है जो एक तरह से वेदांता लिमिटेड की ही होल्डिंग कंपनी है।

अग्रवाल ने एक बयान में कहा था कि कंपनी भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स में आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

वेदांता समूह के अनुसार सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले ग्लास विनिर्माण भारत के लिए एक बड़े विकास अवसर का प्रतिनिधित्व करता है।

कहा जा रहा है कि फॉक्सकान-वेदांता करार के निरस्त होने से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बड़ा झटका लग सकता है। गुजरात में इस प्रोजेक्ट को अहमदाबाद के पास लगाये जाने की योजना थी। यह अपने तरह का भारत में सबसे बड़ा निवेश माना जा रहा था, जिसमें गुजरात में 1 लाख लोगों को रोजगार मिलने की संभावना थी। यदि सब कुछ ठीक चल रहा होता तो 2024 के अंत तक प्लांट बनकर तैयार हो जाता। करीब 12 अरब डॉलर से डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग यूनिट और 7.58 अरब डॉलर के निवेश से चिप निर्माण का काम होना था। यदि यह निवेश संभव हो जाता तो इसके बाद चीन से अन्य कई कंपनियों के भारत में आकर बड़े पैमाने पर उत्पादन करने का रास्ता खुल जाता। पश्चिमी देश हाल के दिनों में अमेरिकी-चीन टकराव में चीन में पश्चिमी निवेश और निर्भरता को कम करने के लिए भारत को एक विकल्प के रूप में देख रहे हैं। 

पीएम मोदी की हालिया अमेरिकी यात्रा भी इसी कड़ी में देखी जा रही थी। यही करण है कि जहां एक तरफ भारत जी-20 की अध्यक्षता कर रहा है, और इसके लिए पूरे एक साल से बेहद धूमधाम से इसका प्रचार और देश के कोने-कोने में इसकी बैठकें की जा रही हैं, उसकी तुलना में इसी वर्ष कुछ दिन पहले ही भारत की अध्यक्षता में एससीओ (शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन) की बैठक वर्चुअल की गई, जबकि कोविड-19 महामारी से दुनिया उबर चुकी है। यूरेशिया में सुरक्षा सहयोग और आर्थिक एकीकरण के लिहाज से एससीओ एक रणनीतिक महत्व का संगठन है, जबकि जी-20 वास्तव में देखें तो जी-7 देशों के दिशा-निर्देश को आगे बढ़ाने के उपकरण से अधिक उपयोगिता नहीं रखता।

बहरहाल फॉक्सकान का यह फैसला किन कारणों से हुआ के बारे में ठोस रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता। लेकिन पिछले सप्ताह चीन की ओर से सेमीकंडक्टर के उत्पादन में लगने वाले दो महत्वपूर्ण उत्पाद गैलियम और जर्मेनियम के निर्यात पर रोक लगा दी थी। चीन ने यह फैसला अमेरिका द्वारा लगातार चीन के खिलाफ नए प्रतिबंधों को लगाने के जवाब में लिया है। ऐसा माना जाता है कि सेमीकंडक्टर के निर्माण में इनकी बेहद महत्वपूर्ण भूमिका है, और चीन ही इसके उत्पादन के लिए जाना जाता है। चिप निर्माण की पूरी श्रृंखला में यदि कोई भी कंपोनेंट छूट जाए, तो समूचे उत्पाद का कोई मोल नहीं रह जाता। इसका विकल्प तैयार करने में पश्चिमी देशों को 2 वर्ष लग सकते हैं। संभवतः अमेरिका की चीन+ के रूप में भारत में दिलचस्पी और फॉक्सकान के निवेश ने भी इस प्रक्रिया को गति प्रदान की हो। लेकिन फिलहाल इसे एक झटके के रूप में देखा जा रहा है, हालांकि 90% आबादी के लिए इन नए निवेशों और इससे हासिल होने वाली जीडीपी में हिस्सेदारी न के बराबर है।

(रविंद्र पटवाल जनचौक संपादकीय टीम के सदस्य हैं।) 

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