सुप्रीम कोर्ट में 17 जुलाई को सुनवाई, सर्व सेवा संघ के संघर्ष का 55वां दिन

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वाराणसी। ‘सर्व सेवा संघ’ के मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। अब मामले की सुनवाई 17 जुलाई को होगी। कोर्ट में भारत सरकार के सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता उपस्थित होकर सरकार का पक्ष रखने के लिए कोर्ट से समय मांगा। ‘सर्व सेवा संघ’ के रामधीरज कहते हैं कि हमें अदालत से न्याय की उम्मीद है। शुक्रवार को ‘सर्व सेवा संघ’ परिसर में 74 सत्याग्रहियों ने दिनभर उपवास रखा और ईश्वर से सत्य की रक्षा व विजय के लिए प्रार्थना किया!

समाजवादी चिंतन शिविर के संयोजक अवधेश आनंद ने समाजवादी पार्टी की ओर से आंदोलन का समर्थन किया और कहा कि हम लोहिया के लोग हैं और हम इस गांधी और जेपी की विरासत के लिए अंतिम दम तक लड़ेंगे। ‘लोक चेतना समिति’ की महिला साथी शर्मिला ने कहा यह सरकार गांव और शहर हर जगह लोगों को उजाड़ने का काम कर रही है। सरकार का काम लोगों के कल्याण का है, उजाड़ना और परेशान करना नहीं है।

कांग्रेस पार्टी के प्रजानाथ शर्मा ने बताया कि मोहन होना तो बहुत आसान काम है लेकिन महात्मा गांधी होना बहुत कठिन है। आज भारत में जितने भी धरोहर हैं बनारस की गलियां हैं, मंदिर हैं, मोहल्ले हैं, सब उजाड़ दिए जा रहे हैं। सत्ता में बैठी भाजपा सरकार का कोई इतिहास नहीं है। इसलिए वह भारत के इतिहास को मिटाने और उजाड़ने का काम कर रही है।

जागृति राही ने कहा कि जैसे चिपको आंदोलन में महिलाओं ने चिपक करके पेड़ों को बचाया था उसी तरह हम लोग विनोबा व जेपी के इस विरासत को बचाएंगे।

राम धीरज ने कहा अहिंसा के रास्ते चलते हुए हमने आजादी लिया है। अहिंसा के रास्ते ही हम अपनी इस विरासत को बचाएंगे। सर्व सेवा संघ की जमीन को हम किसी भी कीमत पर सरकार को कब्जा नहीं करने देंगे।

कांग्रेस के नेता देवेंद्र भाई ने कहा कि यह सरकार भाई-भाई को लड़ा रही है। आपस में लड़ते हैं तो घर बंटता है! आज फिर से देश में बंटवारे का खतरा पैदा हो गया है।

एनएसयूआई के छात्र नेता राजीव नयन ने कहा कि हम सरकार से डरेंगे नहीं सवाल पूछते रहेंगे मुकाबला करते रहेंगे। किसान नेता लक्ष्मण मौर्य ने कहा यह सरकार किसानों के आंदोलन का भी दमन कर रही थी और आज ‘सर्व सेवा संघ’ के ऊपर बुलडोजर चलाने के लिए आमादा है।

समाजवादी नेता जनेश्वर मिश्रा के निजी सचिव रहे डॉ अंबुज ने समाजवादी आंदोलन की चर्चा करते हुए कहा कि थोड़े से समाजवादी थे लेकिन उन्होंने पूरे देश में समाजवाद का परचम लहरा दिया इसलिए फर्क संख्या से नहीं पड़ता; बात सिद्धांतों, मूल्यों और इरादों का है।

जेपी आंदोलन की सेनानी ओमप्रकाश अरुण ने 74 के आंदोलन की चर्चा करते हुए बताया कि उस समय भी हम लोग सत्ता के मनमानी और तानाशाही के खिलाफ लड़ रहे थे। आज यह सरकार जो पगलाई और बौराई है उसके खिलाफ हम अंतिम क्षण तक लड़ेंगे।

जितेन्द्र भाई ने कहा कि हमारे इस आंदोलन का उद्देश्य केवल ‘सर्व सेवा संघ’ परिसर को बचाने का ही नहीं है बल्कि इस सांप्रदायिक सरकार से देश बचाने का है। यह आंदोलन मोदी के तानाशाही सरकार के पतन का प्रमुख कारण बनेगा और इसकी शुरुआत विनोबा व जेपी के इस परिसर से हो चुकी है।

आज के सत्याग्रह में मुख्य रूप से बक्सर से ‘महिला एकता परिषद’ कि महिलाएं व रणजीत राय, ‘लोक चेतना समिति’ की 20 महिलाएं, चुनार से लोक सेवक राजेन्द्र मिश्र, विद्याधर, जौनपुर से शीराज अहमद, डॉ. राजेन्द्र सिंह, ‘लोक समिति’ के रामबचन, आशा राय व सोनी, प्रयागराज से सत्येन्द्र, रचना और बीएचयू के छात्र उपस्थित रहे।

(जनचौक की रिपोर्ट।)

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