उत्तर या उल्टा प्रदेश! फ़ेक एनकाउंटर का आरोपी ही कर रहा है विकास एनकाउंटर मामले की जांच

Estimated read time 1 min read

मीर तकी मीर की गजल की एक लाइन है ‘उल्टी हो गईं सब तदबीरें कुछ न दवा ने काम किया ‘कुछ ऐसी ही हालत उत्तर प्रदेश का हो गया है। पहले अपराधी विकास दुबे और कानपुर के चौबेपुर थाने की पुलिस के साथ मिलकर एक डीएसपी सहित 8 पुलिसकर्मियों की हत्या से सात दिन से हलकान पुलिस प्रशासन अभी विकास दुबे के आत्मसमर्पण/गिरफ़्तारी से कुछ राहत महसूस कर रहा था कि पता नहीं किसकी सलाह से विकास दुबे को कथित मुठभेड़ में मार गिराकर बर्रे के छत्ते में हाथ डाल दिया।

नतीजतन विपक्ष के हमले के साथ भाजपा के भीतर जातिवादी गोल बंदी का बवंडर शुरू हो गया है। योगी सरकार ने शनिवार को विकास दुबे के एनकाउंटर और उससे जुड़े सभी मामलों की जाँच को करने के लिए मुख्य अपर सचिव भूसरेड्डी की अध्यक्षता में जिस एसआईटी का गठन किया है उसमें डीआईजी जे रविन्द्र गौड़ को शामिल करने से एक नया विवाद उठ खड़ा हुआ है क्योंकि उनके खिलाफ ही फर्जी एनकाउंटर का आरोप है, जिसकी सीबीआई जाँच चल रही है।  

एसआईटी टीम को 31 जुलाई तक जांच पूरी करके रिपोर्ट हुकूमत को सौंपनी होगी। एडिशनल पुलिस महानिदेशक हरिराम शर्मा और डीआईजी जे रविन्द्र गौड़ को भी मेंबर के तौर पर टीम में रखा गया है। एसआईटी की टीम विकास दुबे के खिलाफ दर्ज तमाम मामलों और उनमें की गई कार्रवाई की जांच करेगी।

जे रविन्द्र गौड़ के खिलाफ फर्जी एनकाउंटर का आरोप है। इस केस में उनके खिलाफ सीबीआई जांच चल रही है। विकास दुबे केस में पुलिस पर शुरुआत से ही सवाल उठ रहे हैं। पहले चौबेपुर थाने के पुलिसकर्मियों की संलिप्ततता और विकास दुबे को संरक्षण देने का मामला आया। फिर एनकाउंटर के वक्त भी मुखबिरी की वजह से पुलिसकर्मियों की जान गई। आखिर में विकास दुबे को लाते समय हुए एनकाउंटर पर भी सवाल उठ रहे हैं। इसी बीच एसआईटी में डीआईजी जे रवींद्र गौड़ को शामिल किए जाने पर भी सवाल उठना ही था।

दरअसल उत्तर प्रदेश के बरेली में 30 जून 2007 को एक एनकाउंटर हुआ था, जिसमें दवा कारोबारी मुकुल गुप्ता और पंकज सिंह को बैंक लूटने के दौरान मार गिराया गया था। मुकुल गुप्ता के पिता ने पुलिस पर प्रमोशन के लिए फ़ेक एनकाउंटर करने का आरोप लगाया था। उन्होंने इसकी निष्पक्ष जाँच के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका डाली थी, जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने 2010 में मामले की जाँच सीबीआई को सौंप दी थी। 2014 में सीबीआई ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की, जिसमें उन्होंने जे. रवींद्र गौड़ समेत नौ पुलिस वालों को आरोपी बनाया।

जिस पर जाँच अभी भी जारी  है। मुकुल गुप्ता के पिता बृजेंद्र गुप्ता ने रवींद्र गौड़ पर आरोप लगाते हुए कहा था कि पुलिस ने गौड़ के इशारे पर ही उनके बेटे का फर्जी एनकाउंटर कराया था। इसी मामले पर 2015 में सीबीआई ने विशेष अदालत में जे. रवींद्र गौड़ के खिलाफ याचिका दायर की, जिसमें  सीबीआई ने गौड़ पर सबूतों से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया था।

इस केस में पुलिस का कहना है कि मुकुल अपने साथी पंकज सिंह के साथ एक बैंक लूटने जा रहा था। मुकुल गुप्ता के पिता बृजेंद्र गुप्ता ने आरोप लगाए थे कि पुलिसकर्मियों ने प्रमोशन के चक्कर में उनके बेटे को मार डाला। उन्हीं की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह केस सीबीआई को दे दिया। सीबीआई ने 26 अगस्त 2014 को चार्जशीट फाइल की थी। इसी मामले में जे रवींद्र गौड़ और नौ अन्य पुलिसकर्मी आरोपी हैं।

मुकुल गुप्ता के पिता ने अपने बेटे को इंसाफ दिलाने की ठान रखी थी। उन्होंने स्थानीय स्तर से लेकर हाईकोर्ट तक लड़ाई लड़ी और केस में सीबीआई जांच शुरू हो गई। इसी बीच 2015 में मुकुल के पिता बृजेंद्र गुप्ता और माता शन्नो देवी की हत्या कर दी गई। बदायूं में हुई इस हत्या में धारदार हथियार का इस्तेमाल किया गया। दोनों की हत्या के बाद सीबीआई की जांच के दायरे में वे पुलिस वाले भी आए, जो मुकुल गुप्ता एनकाउंटर केस में शामिल थे।

तीन सदस्यों वाली एसआईटी पूरे मामले की जांच करके 31 जुलाई तक रिपोर्ट सौंपेगी। जांच में यह जानने की कोशिश की जाएगी कि विकास दुबे के खिलाफ जितने भी मुकदमे चल रहे हैं, उनमें अभी तक क्या कार्यवाही की गई है? विकास दुबे के साथियों को सजा दिलाने के लिए की गई कार्रवाई क्या पर्याप्त थी? लंबी चौड़ी हिस्ट्रीशीट वाले विकास दुबे की जमानत कैंसल करने के लिए क्या कार्रवाई की गई?

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।) 

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author