हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में शुरू हुआ गिरावट का सिलसिला फिलहाल थमता हुआ नजर नहीं आ रहा। अडानी ग्रुप के कुछ शेयर तो ऐसे टूटे हैं कि उन्हें अपने 52 वीक के हाई लेवल को हासिल करने के लिए 400 फीसदी तक की रैली की जरूरत है।
टूटते शेयरों की वजह से कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन घटा है। इस वजह से गौतम अडानी के नेटवर्थ में भी भारी गिरावट आई है। कभी दुनिया के दूसरे सबसे अमीर शख्स के पायदान पर काबिज होने वाले गौतम अडानी की संपत्ति अब 50 अरब डॉलर के नीचे आ गई है और फ़ोर्ब्स की सूची में वो 26वें स्थान पर पहुंच गये हैं।
मंगलवार 21 फरवरी को भी अडानी ग्रुप के शेयरों में गिरावट देखने को मिली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अडानी प्रकरण से जुड़े मामले में याचिकाकर्ताओं में से एक के सुझाव और हिंडनबर्ग रिसर्च समूह की ओर से धोखाधड़ी के आरोप लगाए जाने के बाद अडानी समूह के शेयरों में गिरावट पर फोर्ब्स की ओर से प्रकाशित रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लेने से इनकार कर दिया है।
अडानी ग्रीन एनर्जी के शेयर सोमवार के कारोबार में 597.50 रुपये के निचले स्तर पर पहुंच गए। इस कीमत पर स्टॉक को 19 अप्रैल 2022 के 3,048 रुपये के अपने 52 वीक के हाई लेवल को फिर से हासिल करने के लिए 410 प्रतिशत की रैली की आवश्यकता है।
अडानी ट्रांसमिशन 875.05 रुपये के निचले स्तर पर पहुंचा है। अब इस स्टॉक को 16 सितंबर 2022 के अपने 52 सप्ताह के उच्च स्तर 4,238.55 रुपये पर पहुंचने के लिए 384 प्रतिशत की छलांग की जरूरत है।
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अडानी टोटल गैस के शेयर बुरी तरह से टूटे हैं। गिरावट के साथ ये अपने सबसे लो लेवल 922.95 रुपये पर आ गया है। इस स्टॉक को अपने 52 वीक के हाई लेवल 3,998.35 रुपये तक पहुंचने के लिए 332 प्रतिशत की जोरदार छलांग लगाने की जरूरत है।
अडानी पोर्ट्स को 565.55 रुपये के स्तर से अपने 52 वीक के हाई लेवल पर पहुंचने के लिए 75 प्रतिशत की छलांग लगाने की जरूरत थी। इसका 52 वीक का हाई लेवल 987.90 रुपये है।
आंकड़ों से पता चलता है कि जनवरी में अडानी समूह के कुछ शेयरों में म्युचुअल फंडों ने हिस्सेदारी कम कर दी थी। अडानी एंटरप्राइजेज के मामले में म्यूचुअल फंडों ने 31 जनवरी को 1,16,54,223 शेयर या 1.02 प्रतिशत की कटौती की, जो 31 दिसंबर को 1,32,12,030 शेयर या 1.16 प्रतिशत थी।
अडानी समूह के शेयरों में 133 बिलियन डॉलर की बिकवाली भारत की वार्षिक जीडीपी के 4.16 प्रतिशत के बराबर है, जिसका अनुमान 3.17 ट्रिलियन डॉलर है।अडानी समूह के शेयरों में मूल्य क्षरण भी अंगोला की वार्षिक जीडीपी के बराबर है।
अडानी समूह के दस शेयरों ने मंगलवार के इंट्राडे सौदों में 8,20,915 करोड़ रुपये के संयुक्त एम-कैप का आदेश दिया, जो कि 82.76 रुपये की डॉलर विनिमय दर पर 99 अरब डॉलर मूल्य का था।
यह 19,19,888 करोड़ रुपये के मूल्य से 10,98,973 करोड़ रुपये ($133 बिलियन) कम था, जिसकी कमान समूह ने 24 जनवरी को संभाली थी। यह वही दिन था जब हिंडनबर्ग रिसर्च ने समूह पर स्टॉक हेरफेर और लेखांकन धोखाधड़ी के आरोप लगाए थे। तब से, गौतम अडानी की निजी संपत्ति में 100 बिलियन डॉलर से अधिक की गिरावट आई है, जिससे वह वैश्विक अरबपतियों की सूची में 26वें स्थान पर आ गए हैं।
अडानी एंटरप्राइजेज की हालिया कमाई की घोषणा में, अडानी समूह ने कहा कि उसने आकलन किया है कि उक्त आरोपों के संबंध में 31 दिसंबर, 2022 को समाप्त तिमाही और नौ महीने के समेकित वित्तीय परिणामों के लिए कोई भौतिक वित्तीय समायोजन नहीं हुआ है।
अडानी ने खुद कहा, कि बाजार में अस्थिरता अस्थायी थी और अडानी एंटरप्राइजेज विस्तार और विकास के रणनीतिक अवसरों को देखते हुए उत्तोलन को कम करना जारी रखेगा। 60 वर्षीय अडानी की कुल संपत्ति पिछली गणना के अनुसार 49 बिलियन डॉलर है। यह सितंबर 2022 में उनके पास 150 अरब डॉलर की संपत्ति के मुकाबले है।
मूल्य के लिहाज से अडानी टोटल गैस को बाजार मूल्य में 3.3 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। अंतिम गणना में, अडानी टोटल गैस ने 24 जनवरी को 4.27 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले 96,657 करोड़ रुपये का एम-कैप हासिल किया।
अडानी एंटरप्राइजेज (2.08 लाख करोड़ रुपये), अडानी ट्रांसमिशन (2.14 लाख करोड़ रुपये) और अडानी ग्रीन एनर्जी (2.13 लाख करोड़ रुपये) समूह के तीन शेयरों में से प्रत्येक का बाजार मूल्य 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक कम हो गया है।
अडानी पावर (39,977 करोड़ रुपये से नीचे), अडानी पोर्ट्स एंड एसईजेड (36,938 करोड़ रुपये से नीचे), अंबुजा सीमेंट्स (27,690 करोड़ रुपये से नीचे) और अडानी विल्मर (17,942 करोड़ रुपये) के मूल्य में भी गिरावट देखी गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अडानी प्रकरण से जुड़े मामले में याचिकाकर्ताओं में से एक के सुझाव और हिंडनबर्ग रिसर्च समूह की ओर से धोखाधड़ी के आरोप लगाए जाने के बाद अडानी समूह के शेयरों में गिरावट पर फोर्ब्स की ओर से प्रकाशित एक रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लेने से इनकार कर दिया है।
चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पी. एस. नरसिम्हा और जस्टिस जे बी पारदीवाला की पीठ ने एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील के अनुरोध को खारिज कर दिया।
पीठ ने कहा, “नहीं, हम इसे रिकॉर्ड में नहीं लेंगे।” पीठ ने 17 फरवरी को शेयर बाजार के लिए नियामक उपायों को मजबूत करने के उद्देश्य से विशेषज्ञों की एक प्रस्तावित समिति पर सीलबंद लिफाफे में केंद्र के सुझाव को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था।
निवेशकों के हितों में पूरी पारदर्शिता बनाए रखने की बात का उल्लेख करते हुए पीठ ने कहा था कि वह सीलबंद लिफाफे में केंद्र के सुझाव को स्वीकार नहीं करेगा। पीठ ने 10 फरवरी को कहा था कि अडानी समूह के ‘स्टॉक रूट’ की पृष्ठभूमि में भारतीय निवेशकों के हितों को बाजार की अस्थिरता के खिलाफ संरक्षित करने की आवश्यकता है।
पीठ ने नियामक तंत्र को मजबूत करने संबंधी निगरानी के लिए केंद्र से किसी पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की एक समिति की स्थापना पर विचार करने के लिए कहा था।
इस मुद्दे पर वकील एमएल शर्मा और विशाल तिवारी, कांग्रेस नेता जया ठाकुर और कार्यकर्ता मुकेश कुमार ने अब तक शीर्ष अदालत में चार जनहित याचिकाएं दायर की हैं।
(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं)
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