नई दिल्ली। अमेरिका में सिएटल सिटी कौंसिल ने एकमत से सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया है। प्रस्ताव को सदन में भारतीय-अमेरिकी सिटी कौंसिल सदस्य क्षमा सावंत ने पेश किया। इस प्रस्ताव में भारतीय संसद से संशोधित कानून को वापस लेने की मांग की गयी है साथ ही एनपीआर पर रोक लगाने के लिए भी कहा गया है। इसने भारत से संविधान का पालन करने के लिए कहा है। इसके साथ ही शरणार्थियों को यूनाइटेड नेशंस में शामिल विभिन्न प्रावधानों और समझौतों के तहत सहायता और सहयोग करने के लिए कहा गया है।
प्रस्ताव में सिएटल को सभी के लिए स्वागत योग्य बताया गया है। साथ ही बगैर किसी धार्मिक, जातीय या फिर लैंगिक भेदभाव के दक्षिण एशिया के सभी लोगों के साथ एकताबद्धता प्रदर्शित किया। प्रस्ताव में कहा गया है कि ‘प्रतिज्ञा के साथ सीएटल सिटी कौंसिल भारत में एनआरसी और सिटीजन्स अमेंडमेंट एक्ट का विरोध करती है। और इस बात को मानती है कि ये नीतियां मुसलमानों, उत्पीड़ित जातियों, महिलाओं, देसी लोगों और एलजीबीटी समुदाय के खिलाफ है।’
आपको बता दें कि 1955 के सिटीजन्स एक्ट में बदलाव 11 दिसंबर को किया गया और इसे 10 जनवरी को लागू कर दिया गया।
पीटीआई के मुताबिक भारतीय अमेरिकी कौंसिल के प्रेसिडेंट अहसान खान ने बताया कि सिएटल सिटी का सीएए की निंदा करने का फैसला उन सभी के लिए एक संदेश होना चाहिए जो धार्मिक स्वतंत्रता और बहुलता को दरकिनार करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि वे नफरत और कट्टरता के साथ गलबहियां करने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ स्वीकार्यता की अपेक्षा नहीं कर सकते हैं।
भारतीय अमेरिकी मुस्लिम कौंसिल के सिएटल चैप्टर के प्रवक्ता जावेद सिकंदर ने सीएए और एनआरसी को काला कानून करार दिया। ये कानून गैरसंवैधानिक हैं। और उन्हें एक फासीवादी राज्य के निर्माण की दिशा में करोड़ों मुसलमानों, दलितों और दूसरे अल्पसंख्यकों की नागरिकता छीनने के लिए तैयार किया गया है।
सिएटल कौंसिल अमेरिका में पहला ऐसा लेजिस्लेटिव निकाय है जिसने सीएए और एनपीआर पर प्रस्ताव पारित किया है। सिएटल में दक्षिण एशियाई समुदाय और सहयोगी संगठनों ने इस कानून का विरोध किया है।
इक्वलिटी लैब्स के थेनमोझी सौंदराराजन ने प्रस्ताव का स्वागत किया और उसके लिए सिएटल कौंसिल को सही रुख अपनाने के लिए धन्यवाद दिया।
+ There are no comments
Add yours