Thursday, April 25, 2024

दिल्ली में शुरू हुआ विश्व पुस्तक मेला 2023: देश-विदेश के कई प्रकाशन ले रहे हैं हिस्सा

नई दिल्ली। प्रगति मैदान में विश्व पुस्तक मेले का आगाज 25 फरवरी को हो गया है। कोविड महामारी के दो साल के अंतराल के बाद पुस्तक प्रेमियों के लिए एक बार फिर पुस्तकों का दरवाजा खुल गया है।

मेला आयोजक नेशलन बुक ट्रस्ट (एनबीटी) के अनुसार 1000 प्रकाशनों ने हिस्सा लिया। इसमें कुछ विदेशी प्रकाशक भी शामिल हैं। आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान आयोजित मेले की थीम भी अमृत महोत्सव पर आधारित है।

हर वर्ष पुस्तक मेले का आयोजन प्रगति मैदान के नए हॉल में किया जाता है। जहां हॉल नंबर दो में हिन्दी और क्षेत्रीय भाषाओं की किताबों के काउन्टर लगे हैं। जिसमें सभी धार्मिक, साहित्यिक और दलित साहित्य की पुस्तकें मौजूद हैं।

पुस्तक मेले के पहले दिन ज्यादा लोगों की भीड़ देखने को नहीं मिली। दो नंबर हॉल में दलित सहित्य से संबंधित पुस्तकें हैं। इस बड़े से हॉल में सिर्फ पांच दलित प्रकाशन का स्टॉल है। जिसमें कोरोना के बाद प्रकाशित हुई किताबें भी शामिल हैं।

दलित दस्तक के संपादक अशोक दास ने दो साल बाद लगे पुस्तक मेले के बारे में बात करते हुए जनचौक के संवाददाता को बताया कि कोरोना के बाद थोड़ा बदलाव तो आया है। नई किताबों को बारे में जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि इस साल उनके पास ‘इतिहास के आइने में दलित आंदोलन’, ‘डॉ. आंबेडकर और वाल्मीकि समाज’, ‘दलित एजेंडा 2050’, ‘करिश्माई कांशीराम’ किताबों के एडिशन मौजूद हैं।

सोशल मीडिया की ताकत पर बातचीत करते हुए वह कहते हैं कि अत्याचार जितना बड़ा है सोशल मीडिया के जरिए लोग उतना ही सशक्त होकर अपनी आवाज को बुलंद कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि इस बार बुक फेयर को 50 साल पूरे हो गए हैं। यह अपने आप में बड़ी बात है। किताबों के ही दम पर आज बहुजन समुदाय के लोग स्टॉल लगाकर दलित सहित्य को लोगों तक पहुंचा पा रहे हैं।

कोरोना के बाद लगे पुस्तक मेले में जयपुर से ‘बुद्धम पब्लिशर्स’ ने पहली बार बुक स्टॉल लगाया है। इसमें दलित सहित्य के साथ-साथ वेटरनिटी से संबंधित भी किताबें रखी गई हैं।

‘बुद्धम पब्लिशर्स’ के प्रकाशक डॉ.एम.एल परिहार ने बताया कि इससे पहले वह सिर्फ किताबें खरीदने के लिए ही आते थे, लेकिन इस बार हमने सोचा कि डॉ.भीमराव आंबेडकर के सहित्य को लोगों तक पहुंचाया जाए। इसलिए हमने इस बार स्टॉल लगाया है।

वह बताते हैं कि वह एक सरकारी ऑफिसर थे। लेकिन दलित सहित्य को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने अपनी नौकरी से वीआरएस ले लिया। स्टॉल में मेडिटेशन, संविधान, दलित सहित्य से संबंधित किताबों को रखा गया है।

वैसे तो पहले दिन मेले में भीड़ तो कम ही थी लेकिन लोगों का उत्साह देखने लायक था। पुस्तक मेले में कई स्कूली बच्चे अपने शिक्षकों के साथ आए थे। कई अभिभावक भी अपने साथ बच्चों को लेकर आए। अमृत महोत्सव के थीम पर आयोजित पुस्तक मेले में जगह-जगह पर इससे संबंधित चीजें रखी गई हैं। जहां लोग फोटो लेने में मसरूफ थे।

पुस्तक मेले में किताबों का ढेर है। फिर भी लोग अपनी पसंद की किताबें खोज ही ले रहे हैं। लेकिन ऑनलाइन पेमेंट करने में लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जहां एक तरफ पूरे देश को डिजिटल पेमेंट के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर पुस्तक मेले में पाठकों को ऑनलाइन पेमेंट के लिए नेट से दो-चार होना पड़ रहा है। इस कारण कई पाठक अपनी पसंदीदा किताबों नहीं खरीद पा रहे हैं।

(जनचौक की संवाददाता पूनम मसीह की रिपोर्ट।)

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