सत्रहवीं लोकसभा का गठन हुए 16 महीने हो चुके हैं। यानी उसका एक चौथाई कार्यकाल बीत गया है। इस बीच…
अगर जसवंत सिंह की चली होती तो कश्मीर मसला शायद हल हो गया होता!
अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार में अलग-अलग समय में वित्त, विदेश और रक्षा जैसे अहम मंत्रालयों की…
जनता से ज्यादा सरकारों के करीब रहे हैं हरिवंश
मौजूदा वक्त में जब देश के तमाम संवैधानिक संस्थान और उनमें शीर्ष पदों पर बैठे लोग अपने पतन की नित-नई…
एक नशेड़ी अभिनेता की लाश पर चुनावी रोटियां सेंकने की तैयारी
बिहार का एक बड़ा हिस्सा अभी भी बाढ़ से उपजी समस्याओं से जूझ रहा है। वहां कोरोना का संक्रमण तेजी…
प्रशांत भूषण प्रकरण: जस्टिस मिश्रा के फैसले से सुप्रीम कोर्ट की हुई हेठी!
सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक अवमानना के अभूतपूर्व मामले में दोषी ठहराए गए जाने-माने वकील प्रशांत भूषण पर अभूतपूर्व सजा के…
महामारी और गोपनीयता की आड़ में लोकतंत्र को पंगु बनाने की साजिश
कोरोना महामारी की वैश्विक चुनौती के संदर्भ में हमारे समय के विद्वान-दार्शनिक और इतिहासकार युवाल नोहा हरारी का एक लेख…
कांग्रेस के लिए गांधी परिवार वैसे ही ज़रूरी है जैसे भाजपा के लिए संघ
जब भी कोई राजनीतिक दल अपने बुरे दौर से गुजर रहा होता है तो उसमें कुछ न कुछ खटपट चलती…
कोरोना के सामने खुद ही बीमार साबित हो गईं भारत की स्वास्थ्य सेवाएं
भारत में कोरोना महामारी से निबटने के लिए आज से पांच महीने पहले जब देशव्यापी लॉकडाउन लागू किया गया था,…
लाल किले के प्राचीर से अधूरे सच, सफेद झूठ और आत्म प्रशंसा से भरा भाषण
अधूरा सच, सफेद झूठ, परनिंदा, नए-नए शिगूफे, धार्मिक और सांप्रदायिक प्रतीकों का इस्तेमाल और आत्म प्रशंसा! यही पांच प्रमुख तत्व…
राज्यपालों की पतन गाथा: मोदी राज में कई नए अध्याय जुड़े
पंचतंत्र में चालाक बंदर और मूर्ख मगरमच्छ की एक कहानी है, जिसमें बंदर अपना कलेजा खाने को आतुर मगरमच्छ से…