कॉरपोरेट भक्त सरकार की आर्त विनती

19 सितंबर 2019 के दिन को भारतीय पूंजीवाद के इतिहास के ऐसे स्वर्णिम दिन के रूप में याद किया जायेगा…

लूट की अर्थव्यवस्था को खत्म करने के लिए सत्ता के सरदार का गिरेबान पकड़ना जरूरी

मोदी जी समझते हैं कि वे जितना कहते हैं, लोग उतना ही समझते हैं। कहने वाले और सुनने वाले के…

राजनीति में काल्पनिक आशंकाओं पर आधारित विवाद है एनआरसी

नई दिल्ली के इंडियन सोसाइटी आफ़ इंटरनेशनल लॉ में इसी 8 सितंबर को एक ‘जन पंचायत’ बैठी जिसमें असम में…

राजनीति को ठीक किए बगैर नहीं होगी अर्थव्यवस्था दुरुस्त

मोदी जी समझते हैं कि वे जितना कहते हैं, लोग उतना ही समझते हैं। कहने वाले और सुनने वाले के…

वर्तमान सत्ता के मद का निकृष्टतम उदाहरण है प्रोफेसर रोमिला थापर का अपमान

प्रोफ़ेसर रोमिला थापर से जेएनयू प्रशासन ने उनका सीवी, अर्थात् उनके अकादमिक कामों का लेखा-जोखा माँगा है ताकि वह उनको…

खास राजनीति से जुड़ा हुआ है यह आर्थिक संकट

काला धन और सफ़ेद धन का फ़र्क़ यही है कि जिस धन में से सरकार के राजस्व का शोधन कर…

न्यायपालिका पर मंडराता खतरा उसकी अपनी पहचान का संकट है!

सेवानिवृत्ति के दो दिन पहले अनायास ही, बिना किसी आधार के, पी चिदंबरम को आईएनएक्स मीडिया मामले में घूसख़ोरी और…

रिजर्व बैंक के रिजर्व कोष पर सरकार का पंजा

रिजर्व बैंक से अंतत: एक लाख छियत्तर हज़ार करोड़ रुपये केंद्र सरकार ने लेकर दिवालिया हो रही निजी कंपनियों के…

कश्मीर में कार्रवाई का आख़िर इनका लक्ष्य क्या है?

अमित शाह ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर को अब भारत में मिलाया गया है । अर्थात्, वे भी अब तक…

मंदी और राजनीति-शून्य आर्थिक सोच की विमूढ़ता

अति-उत्पादन पूँजीवाद के साथ जुड़ी एक जन्मजात व्याधि है । इसीलिये उत्पादन की तुलना में माँग हमेशा कम रहती है…