Author: चंद्र प्रकाश झा

  • माकपा की कांग्रेस: कम्युनिस्टों की छोटी-बड़ी लाइन का द्वन्द्व 

    माकपा की कांग्रेस: कम्युनिस्टों की छोटी-बड़ी लाइन का द्वन्द्व 

    भारत की नई लोकसभा के 2024 में निर्धारित चुनाव के लिए नई मोर्चाबंदी की आहट है जो तेज नहीं तो बेआवाज भी नहीं है। नई  मोर्चाबंदी 2022 में ही तय राष्ट्रपति चुनाव में कुछ हद तक साफ हो सकती है। यह सोचना अव्वल दर्जे की मूर्खता होगी कि नई मोर्चाबंदी से इंडिया दैट इज भारत …

  • कवि केदारनाथ सिंह होने के मायने

    कवि केदारनाथ सिंह होने के मायने

    वह एक कविता थे, लंबी सी इक तस्वीर थे, खूबसूरत सी वह एक कहानी थे, सुंदर सी एक शिक्षक थे, बेहतरीन से एक इंसान थे, उम्दा से एक नागरिक थे, सजग से वह एक मुकम्मल व्यक्ति थे केदारनाथ सिंह की एक कविता है – मुक्ति, जो उन्होंने अपने निधन से 31 बरस पहले 1978 में…

  • सीपी कमेंट्री: इति वोटिंग अथ काउंटिंग कथा-2022

    सीपी कमेंट्री: इति वोटिंग अथ काउंटिंग कथा-2022

    उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर की विधान सभाओं के बरस 2022 में नए चुनाव की सभी सीटों पर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) से दर्ज वोटों की काउंटिंग के परिणाम 10 मार्च को सूर्यास्त तक निकल जाने की आशा है। नई सरकार जिसकी भी जितनी जल्दी या देरी से बने ये ही परिणाम 18…

  •   भारत सरकार की उपलब्धियां गिनाता आर्थिक सर्वे

      भारत सरकार की उपलब्धियां गिनाता आर्थिक सर्वे

    आज संसद के पटल पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021-22 का आर्थिक सर्वे पेश किया। स्थापित तथ्य है कि आर्थिक सर्वे भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार द्वारा तैयार किया जाता है, भले ही उसे वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। क्रेडिट स्युसे ग्रुप एजी और जूलियस बायर ग्रुप के आला कार्यपालक अधिकारी रहे…

  • शहीद दिवस पर विशेष: गांधी जिंदा हैं क्योंकि सत्य कभी नहीं मरता

    शहीद दिवस पर विशेष: गांधी जिंदा हैं क्योंकि सत्य कभी नहीं मरता

    मोहनदास करमचंद गांधी यानि महात्मा गांधी (02  अक्टूबर 1869 : 30 जनवरी 1948 ) भारतीय संविधान में वर्णित “हम भारत के लोग ” ही नहीं पूरी दुनिया में सत्य और अहिंसा के  ‘मेटाफर’ हैं जिसे हिंदी में सर्वनाम या पर्याय कह सकते हैं। बहुतेरों ने हाड़-मांस के इंसान के रूप में महात्मा गांधी को कभी…

  • भारतीय गणतंत्र : कुछ खुले-अनखुले पन्ने

    भारतीय गणतंत्र : कुछ खुले-अनखुले पन्ने

    भारत को ब्रिटिश हुक्मरानी के आधिपत्य से 15 अगस्त 1947 को राजनीतिक स्वतन्त्रता प्राप्ति के 894 दिन बाद 26 जनवरी 1950 को गणराज्य घोषित किया गया। तब राजधानी नई दिल्ली में कनाट प्लेस के पार्श्व में तत्कालीन इर्विन स्‍टेडियम में भारतीय संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ। राजेन्‍द्र प्रसाद ने 21 तोपों की सलामी के बीच…

  • सीपी कमेंट्री-1: महामारी में चुनावी बहार और राष्ट्रपति चुनाव-2022 के अनखुले पन्ने

    सीपी कमेंट्री-1: महामारी में चुनावी बहार और राष्ट्रपति चुनाव-2022 के अनखुले पन्ने

    अब तो चुनाव ही चुनाव हैं। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर राज्यों के ही नहीं बल्कि भारत गणराज्य के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति से लेकर लोकसभा के डिप्टी स्पीकर और राज्यसभा के 75 नए सदस्य के भी। राष्ट्रपति पद पर राम नाथ कोविन्द का पाँच बरस का मौजूदा कार्यकाल जुलाई 2022 में खत्म हो…

  • सफदर स्मृति दिवस: ‘लड़ें तो जीत भी सकते हैं, ना लड़ें तो हार तय है’!

    सफदर स्मृति दिवस: ‘लड़ें तो जीत भी सकते हैं, ना लड़ें तो हार तय है’!

    हम सब कॉमरेड सफदर हाशमी के पार्थिव शरीर की अंत्येष्टि के लिए दिल्ली में यमुना तट पर निगमबोध घाट के इलेक्ट्रिक क्रिमेटोरियम ले जाने के लिए विट्ठल भाई पटेल (वीपी) हाउस परिसर से रवाना होने वाले थे। मैं उस परिसर की बाउंड्री वाल से लगे यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया(यूएनआई) समाचार एजेंसी के अपने ऑफिस से…

  • सीपी कमेंट्री: चे ग्वेरा की क्रांतिकारी विरासत का नया चेहरा हैं चिली के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति गेब्रियल बोरिक

    सीपी कमेंट्री: चे ग्वेरा की क्रांतिकारी विरासत का नया चेहरा हैं चिली के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति गेब्रियल बोरिक

    चिली में युवा वामपंथी, गेब्रियल बोरिक की राष्ट्रपति चुनाव में जीत अमेरिका जैसे साम्राज्यवादियों को चौंकाने वाली नहीं है, चिंताजनक भले हो। ये जीत दुनिया भर में तानाशाही, सैन्यवाद, फासीवाद के खिलाफ और लोकतंत्र की हिफाजत के लिए अरसे से लड़ रही अवाम के लिए निश्चय ही आह्लादकारी है।  बोरिस महान क्रांतिकारी चे ग्वेरा की…

  • बरसी पर विशेष: छोटे जीवन में बड़ी भूमिका निभा गए विनोद मिश्र

    बरसी पर विशेष: छोटे जीवन में बड़ी भूमिका निभा गए विनोद मिश्र

    भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी लेनिनवादी लिबेरेशन (सीपीआई एमएल) यानि भाकपा माले के दिवंगत संस्थापक महासचिव विनोद मिश्र को बहुत सारे लोग नहीं जानते हैं। जो जानते रहे उनमें से अधिकतर उन्हें शायद भूलते जा रहे हैं। वे 1975 से लेकर 1998 में अपने निधन तक पार्टी के महासचिव रहे थे। वह 1968 में क्रांतिकारी…