हया यकलख़्त आई और शबाब आहिस्ता आहिस्ता! परेशान न हों, आप को ग़ज़ल सुनाने का मन नहीं है। सिर्फ़ यह…
गणेश कुमार
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हया यकलख़्त आई और शबाब आहिस्ता आहिस्ता! परेशान न हों, आप को ग़ज़ल सुनाने का मन नहीं है। सिर्फ़ यह…