Author: जयसिंह रावत

  • माओवाद व्यवस्था की विसंगतियों की उपज है, वह गोली से नहीं मरेगा

    माओवाद व्यवस्था की विसंगतियों की उपज है, वह गोली से नहीं मरेगा

    गृह मंत्रालय की ताजा आधिकारिक घोषणा के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वामपंथी उग्रवाद मुक्त भारत की परिकल्पना को साकार करने तथा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उग्रवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत गृह मंत्रालय देशभर में वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई के अंतिम चरण में पहुंच गया है। इस…

  • उत्तराखंड: समान नागरिक संहिता से राजनीतिक संकट का सामना

    उत्तराखंड: समान नागरिक संहिता से राजनीतिक संकट का सामना

    विधानसभा समेत विभिन्न विभागों में अपने-अपनों को नौकरियों की रेवड़ियां बांटने के खिलाफ उत्तराखण्ड में मचे बवंडर को शांत करने के लिये प्रदेश सरकार ने पहले भूकानून समिति की रिपोर्ट खुलवा कर फायर फाइटिंग का प्रयास किया और जब वह हथियार बेअसर हो गया तो अब समान नागरिक संहिता का अपना बचा खुचा हथकण्डा चला…

  • नियुक्ति घोटालों के कारण महफूज नहीं है धामी सरकार

    नियुक्ति घोटालों के कारण महफूज नहीं है धामी सरकार

    उत्तराखण्ड के बहुचर्चित सरकारी नौकरियों में बैकडोर नियुक्ति के मामले में विधानसभा अध्यक्षा द्वारा जांच कराये जाने की घोषणा के बाद घोटालों की गेंद भले ही विधानसभा अध्यक्षा के पाले में चली गयी हो मगर सरकार के सिर से यह बला अभी टली नहीं है। क्योंकि मनमानी और गलत तरीके से नियुक्तियों की ज्यादा शिकायतें…

  • उत्तराखण्ड की नौकरशाही पर मुख्यमंत्री के करीबी की पुलिसिया हुकूमत

    उत्तराखण्ड की नौकरशाही पर मुख्यमंत्री के करीबी की पुलिसिया हुकूमत

    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की करीबी के चलते 1996 बैच के आईपीएस अभिनव कुमार की उत्तराखण्ड की सत्ता के गलियारे में धाक कम होने का नाम नहीं ले रही है, जबकि शासन में बैठी आईएएस ही नहीं बल्कि पीसीएस लॉबी भी अभिनव की धार को कुन्द करने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है। उत्तराखण्ड…

  • 26 मई, 2014 को स्वतंत्रता दिवस मानने वालों की निगाह में क्या है कुर्बानियों का मोल?

    26 मई, 2014 को स्वतंत्रता दिवस मानने वालों की निगाह में क्या है कुर्बानियों का मोल?

    फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत अकेली भारतीय नागरिक नहीं जो कि यह मानती हैं कि भारत को असली आजादी 15 अगस्त, 1947 को नहीं बल्कि 26 मई, 2014 को मिली थी। इस धारणा के लोगों की संख्या निरन्तर बढ़ती जा रही है। इसलिये आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाने के लिये चल रहे हर घर तिरंगा अभियान…

  • हर घर तिरंगा: कहीं राष्ट्रध्वज के भगवाकरण का अभियान तो नहीं?

    हर घर तिरंगा: कहीं राष्ट्रध्वज के भगवाकरण का अभियान तो नहीं?

    आजादी के आन्दोलन में स्वशासन, भारतीयता और भारतवासियों की एकजुटता का प्रतीक रहा तिरंगा आजादी के बाद भारत की सम्प्रभुता, शक्ति, साहस, शांति, सत्य, विकास और उर्वरता का प्रतीक बना वही तिरंगा आज राजनीति का जरिया बन गया है। राजनीति के इस दलदल में विपक्ष जहां सत्ता पक्ष पर तिरंगे पर अपना भगवा रंग चढ़ाने…

  • अग्निपथ:पूर्व सैनिकों की पेंशन भस्म करने का रास्ता 

    अग्निपथ:पूर्व सैनिकों की पेंशन भस्म करने का रास्ता 

    केन्द्र की मोदी सरकार एक ओर पूर्व सैनिकों को एक रैंक एक पेंशन देकर अपनी पीठ खुद थपथपाने के साथ ही चुनाव में अपने इस निर्णय का लाभ भी उठा रही है और दूसरी ओर अपने ही इस निर्णय की काट के लिये अग्निपथ जैसे तरीके भी तलाश रही है ताकि पूर्व सैनिकों को पेंशन…

  • श्रीदेव सुमन: राजभक्त जिसकी मौत बनी राजशाही की मौत का कारण

    श्रीदेव सुमन: राजभक्त जिसकी मौत बनी राजशाही की मौत का कारण

    राजतंत्रों के इतिहास में शायद ही ऐसे मौके आये होंगे जब किसी राजभक्त की मौत राजशाही के अन्त का कारण बनी होगी। ऐसा उदाहरण भारत की तत्कालीन हिमालयी रियासतों में से सबसे बड़ी टिहरी रियासत में ज़रूर मिलता है, जहां राजभक्त श्रीदेव सुमन की राजशाही की जेल में 84 दिन की भूख हड़ताल के बाद…

  • भारत भी डूब रहा है कर्ज में, डरा रहा है श्रीलंका का महासंकट

    भारत भी डूब रहा है कर्ज में, डरा रहा है श्रीलंका का महासंकट

    प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने 2014 में जब देश का शासन संभाला तब से लेकर अब तक कुछ ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल हुयीं तो नोटबंदी जैसी कुछ बड़ी भूलें भी हुयीं। विकास और शासन-प्रशासन के क्षेत्र में नये प्रयोग भी हुये जिनमें से कुछ सफल रहे तो कुछ के नतीजे आने बाकी…

  • शोषित, उत्पीड़ित और उपेक्षितों की बुलन्द आवाज अवधेश कौशल नहीं रहे

    शोषित, उत्पीड़ित और उपेक्षितों की बुलन्द आवाज अवधेश कौशल नहीं रहे

    कभी बंधुआ मजदूरों तो कभी जंगलवासी गुज्जरों और कभी घायल मसूरी की बेजुबान पहाड़ियों की लड़ाई सड़क से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लड़ने वाले पद्मश्री अवधेश कौशल नहीं रहे। 86 वर्षीय कौशल ने मंगलवार को देहरादून के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। यद्यपि कौशल काफी समय से अस्वस्थ थे फिर भी वह महत्वपूर्ण…