मेरे बचपन में नाथपंथी जोगियों का जत्था गांव में आकर हमारे दालान के पास बड़े अब्बा के नीम के पेड़…
सांप्रदायिकता को देश के लिए सबसे घातक मानते थे नेहरू
आज आजादी के पचहत्तरवें वर्ष भी पं.जवाहर लाल नेहरू चर्चा में हैं। उन पर आरोप -प्रत्यारोप की बारिश हो रही…
दिवाली का आधुनिक कलेवर मुग़ल काल में ही निर्मित हुआ
दिवाली का जश्न पौराणिक के साथ-साथ भारतीय संस्कृति का प्रतीक है। शास्त्रों में इसे मान्यता भी प्राप्त है और इस…
जीते जी किसी के सामने न झुकने वाले मज़रूह को मौत के बाद झुकाने की कोशिश
मजरूह सुल्तानपुरी के गृह जनपद सुल्तानपुर जिसके कुशभवनपुर होंने की चर्चा आम है, में एक पार्क इस इंक़लाबी शायर के…
पुण्यतिथि पर विशेष: बनारस की सियासी तारीख के अहम किरदार थे विशु दा
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और उत्तर प्रदेश ट्रेड यूनियन के जनक जुझारू वामपंथी नेता कामरेड विशेश्वर मुख़र्जी उर्फ विशु दा की…
मजाज़ः आंसू पोंछकर आंचल को परचम बनाने की बात करने वाला शायर
असरार उल हक ‘मजाज़’ उर्दू साहित्य के उन महत्वपूर्ण शायरों में से एक हैं, जिनकी नज़्मों में इश्क़ो-मुहब्बत तो था…
गांधी जयंती पर विशेष: बतख मियां न होते तो गांधी युग भी न होता
भारत की आज़ादी के आंदोलन की वैश्विक पहचान के पीछे महात्मा गांधी का महत्वपूर्ण व्यक्तित्व है और आज उनका जन्मदिन…
पुण्यतिथि पर विशेष : ‘कुछ पल गिरीश के साथ’
बात 1990 के दशक की है जब मैं प्रो. इरफान हबीब के एक आमंत्रण पर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इतिहास,…