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संस्कृति-समाज

रोजी-रोटी और पलायन के जटिल परतदार प्रश्न को मधुर समानुभूति के साथ दो मुल्कों की ज़मीन पर उकेरता एक अद्भुत गीत

रोजी-रोटी और पलायन के जटिल परतदार प्रश्न को मधुर समानुभूति के साथ दो मुल्कों की ज़मीन पर उकेरता एक अद्भुत गीत: इन दिनों एक कविता [more…]

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संस्कृति-समाज

नरेश सक्सेना की कविता ‘चंबल एक नदी का नाम’ ब्राह्मण मिथकों को दिलाती है प्रमाणिकता

“प्रगतिशील कविता मिथक के साथ न तो बह सकती है ना ही उसमें डूब सकती है, उसे मिथक पर तैरने की छूट ज़रूर है और अगर [more…]

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संस्कृति-समाज

फैज़ अहमद फैज़ की कविता और प्रेम, देह, प्रतिरोध पर एक नज़रिया

‘मुझसे पहली सी मोहब्बत मिरी महबूब न मांग’  फैज़ अहमद फैज़ की बेहद मशहूर नज़्म, इतनी मशहूर कि कुछ लोग इसे ‘कालजयी’ रचना कहते हैं, [more…]

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बीच बहस

दलित स्त्री-3: स्त्रीवाद और दलित स्त्री/भ्रामक अवधारणा बनाम वास्तविक संघर्ष

1841 में भारत के वर्तमान महाराष्ट्र प्रांत में एक महार दलित परिवार में पैदा हुई मुक्ता साल्वे, जो जोतिबा फुले और सावित्री बाई फुले द्वारा [more…]

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बीच बहस

दलित स्त्री-2: आंबेडकर के आंदोलन में शामिल हुईं कई दलित स्त्रियां

इस समस्त कवायद का उद्देश्य यही है यह बात अच्छी तरह साफ़ हो कि जिसे हम भारतीय सन्दर्भ में पितृसत्ता कहते है वो केवल पितृसत्ता [more…]

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बीच बहस

दलित स्त्री-1: कुछ सवाल

भारतीय समाज एक स्तरीकृत असमानता पर आधारित समाज है और जाति नाम की संरचना इस समाज की बुनियादी और कई अर्थों में अनोखी विशेषता यानि  [more…]

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बीच बहस

बाबा साहेब के गहरे वैचारिक पक्षों को सामने लाती है ‘….आंबेडकर एक जीवनी’

डॉ. भीम राव आंबेडकर के व्यक्तित्व और उनके अवदान को लेकर भारत के बौद्धिक वर्ग में आम तौर पर दो तरह का नजरिया देखने को [more…]

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ज़रूरी ख़बर

उत्तराखंड क्यों दलितों के लिये सबसे खतरनाक जगह है?

कई बार कह चुका हूँ कि उत्तराखंड दलितों के लिये सबसे खतरनाक जगह बन गयी है, क्योंकि यहाँ दलित उत्पीड़न एक सामाजिक सांस्कृतिक ताने बाने [more…]