Sunday, June 4, 2023

राम पुनियानी

आरएसएस-बीजेपी के दिल में बसता है गोडसे

गत 2 अक्टूबर (गाँधी जयंती, 2021) को ट्विटर पर ‘नाथूराम गोडसे अमर रहें’और ‘नाथूराम गोडसे जिंदाबाद’की ट्वीटस का अंबार लग गया। ये नारे उस दिन भारत में ट्विटर पर ट्रेंड कर रहे थे। यह देखकर कई लोगों को बहुत...

असम में दिखी घृणा और नफरत की इंतिहा

असम के सिपाझार में हाल में हुई घटना, हम सब ऐसे लोगों के लिए आंखें खोलने वाली है जो मानवता और बंधुत्व के मूल्यों में आस्था रखते हैं। वहां बीजोय बेपारी नाम का एक फोटोग्राफर, पुलिस की मौजूदगी में...

तेल की राजनीति, तालिबान और इस्लामोफोबिया का भारत पर प्रभाव

अफगानिस्तान से अमरीकी सेना की वापसी के नतीजे में वहां तालिबान सत्ता में आ गए हैं। अफगानिस्तान का घटनाक्रम चिंता पैदा करने वाला है। वहां के अल्पसंख्यकों और मुसलमानों ने देश से किसी भी तरह भाग निकलने के जिस...

‘अगर हिन्दू धर्म हिन्दुत्व है तो कू क्लक्स क्लान ईसाई धर्म है’

गत 10 से 12 सितंबर तक एक ऑनलाइन वैश्विक संगोष्ठी आयोजित की गई जिसका विषय था "डिसमेंटलिंग ग्लोबल हिन्दुत्व" (वैश्विक हिन्दुत्व का विनिष्टीकरण) इस संगोष्ठी को दुनिया भर के ऐसे 15 कार्यकर्ताओं और अध्येताओं ने संबोधित किया जो अपने-अपने...

तालिबान आरएसएस के कितना करीब और कितना अलग?

अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता में वापसी ने उनके पिछले शासनकाल की यादें ताजा कर दी हैं। उस दौरान तालिबान ने शरिया का अपना संस्करण लागू किया था और महिलाओं का भयावह दमन किया था। उन्होंने पुरुषों को भी...

फासीवादी चंगुल में एक बहुलतावादी देश

भारत का विविधवर्णी चरित्र सचमुच अद्भुत है। भारतीय उपमहाद्वीप में विभिन्न संस्कृतियों, धर्मों और भाषायी व नस्लीय समूहों के लोग सदियों से एक साथ मिलजुल कर रहते आए हैं। भक्ति-सूफी संतों और स्वाधीनता संग्राम ने विभिन्न समुदायों के बीच...

कल्याण सिंह बने थे पिछड़ों में संघ-बीजेपी के घुसपैठ का दरवाजा

राजस्थान के पूर्व राज्यपाल और दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह का 21 अगस्त, 2021 को लखनऊ के एक अस्पताल में निधन हो गया। तब से भाजपा कुनबे के सभी सदस्य उन्हें अपनी श्रद्धांजलि देते हुए...

विभाजन की विभीषिका को क्यों याद करें हम?

भारत का बंटवारा 20 वीं सदी की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक था। बंटवारे के दौरान जितनी बड़ी संख्या में लोगों की जानें गईं और जिस बड़े पैमाने पर उन्हें अपने घर-गांव छोड़कर सैकड़ों मील दूर अनजान स्थानों...

स्वतंत्र भारतः अधूरे सपनों का ख्वाबगाह

औपनिवेशिक शासन से भारत की मुक्ति के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने स्वाधीनता आंदोलन के नेताओं के सपनों और आकांक्षाओं का अत्यंत सारगर्भित वर्णन अपने प्रसिद्ध भाषण 'ए ट्रिस्ट विथ डेस्टिनी' में किया था। उन्होंने कहा...

अधूरी है मिशनरियों के बारे में आरएसएस की समझ

आरएसएस चिंतक और राज्यसभा सदस्य राकेश सिन्हा ने 'दैनिक जागरण' को दिए एक साक्षात्कार (जुलाई 2021) में कहा कि अब समय आ गया है कि हम 'ईसाई मिशनरी भारत छोड़ो' अभियान शुरू करें। उनके अनुसार, ईसाई मिशनरियां आदिवासी संस्कृति...

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