Author: रवींद्र गोयल
जन प्रतिरोध की आवाज 67 साल से कैद अमेरिकी राजनीतिक बंदी रुचेल मागी की रिहाई के मायने
फैज़ साहब ने लिखा है यूं ही हमेशा उलझती रही है ज़ुल्म से ख़ल्क़ न उनकी रस्म नई है, न अपनी रीत नई यूं ही [more…]
मेहनती लोगों के दुःख दर्द से दूर धन्ना सेठों को खुश करता बजट
किसी भी देश का बजट आने वाले साल के सरकारी आमदनी और खर्चे का एक आकलन होता है और सरकारी मंशाओं का एक ब्यौरा। दिमागी [more…]
खाद्य पदार्थों पर जीएसटी मामले में केरल की सीपीएम सरकार ने खोली केंद्र की पोल
दुनिया में धन्ना सेठों के हितों से बंधी सरकारों का एक जैसा चलन होता है। वो मेहनती लोगों के लिए दी जाने वाली जरूरी सुविधाओं में लगातार [more…]
श्रीलंका प्रतिरोध आंदोलनों के उम्मीद का एक केंद्र बनेगा
दो करोड़ बीस लाख की आबादी वाला भारत का पड़ोसी देश, श्रीलंका, वित्तीय और राजनीतिक संकट से जूझ रहा है। प्रदर्शनकारी जनता सरकारी निकम्मेपन के [more…]
किसानों के साथ एक और धोखा है खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा
सरकार ने 14 खरीफ फसलों (तिलहन, दलहन, गल्ला और कपास) के लिए इस साल के समर्थन मूल्य की घोषणा कर दी है। सरकारी दावे की [more…]
पेट्रोल और डीजल की ऊंची कीमतों पर मोदी सरकार का एक और पैंतरा
महंगाई का भूत लगता है अब मोदी सरकार को डराने लगा है। श्रीलंका में जारी आर्थिक बर्बादी जनित उथल-पुथल मोदी सरकार को भयावह सपने दे [more…]
राजस्थान में पुरानी पेंशन बहाली से नवउदारवाद के पैरोकारों में क्यों है, बेचैनी
अगले साल राज्य में होने वाले चुनावों के मद्देनज़र ही सही, राजस्थान सरकार ने इस बजट में जनवरी 2004 से नियुक्त सरकारी कर्मचारियों के लिए [more…]
सुरक्षा परिषद कक्ष के बाहर लगा पिकासो का चित्र ‘गुवेर्निका’ दिलाता है युद्ध विभीषिका की याद
दुनिया के दस मशहूर चित्रों में से एक, पाब्लो पिकासो का चित्र ‘गुवेर्निका’ है। 1937 में युद्ध की विभीषिका का चित्रण करता यह चित्र अपनी [more…]
याराना पूंजीवाद और बैंकिंग घोटाला : किस्सा एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड के ऋषि अग्रवाल का
प्रधानमंत्री मोदी जी के वाइब्रेंट गुजरात की एक कंपनी देश के आज तक के सबसे बड़े बैंकिंग घोटाले की जिम्मेवार है। विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल [more…]
देश की आर्थिक तबाही के बीच ये कौन हैं जो महंगी कारें, भारी मात्रा में सोना और रिकार्ड दाम पर पेंटिंग की कर रहे हैं खरीद?
यह अटपटा लग सकता है कि आज के हत्यारे दौर में, जब देश में करोड़ों लोगों को रोटी के लाले पड़े हैं, रोज़गार बाज़ार में [more…]