Tuesday, March 19, 2024

रवीश कुमार

आर्थिक तबाही से गुज़रती दुनिया के बीच मस्त मौला बना हुआ है भारत

टर्की की मुद्रा लीरा जीरा हो गई है। डॉलर को सामने देखते ही कांपने लग जाती है। वहां की महंगाई ने छप्पर फाड़ने के बाद आसमान भी नहीं छोड़ा और अब अंतरिक्ष की तरफ निकल गई है। मुद्रा स्फीति...

आतंकी, जघन्य और बर्बर है उदयपुर में कन्हैया की हत्या की कार्रवाई

उदयपुर के कन्हैयालाल की हत्या आतंकी कार्रवाई है। जघन्य और बर्बर है। ऐसा करने वाले आस्था के नाम पर आहत की आड़ ले रहे हैं। उन्हें ठीक से पता है कि इससे हिंसा भड़क सकती है। ऐसा कर वे...

यह सीरिया नहीं, भारत की तस्वीर है! दृश्य ऐसा कि हैवानियत भी शर्मिंदा हो जाए

इसके पहले फ्रेम में सात पुलिस वाले दिख रहे हैं। सात से ज़्यादा भी हो सकते हैं। सभी पुलिसवालों के हाथ में बंदूकें हैं। सबने बुलेट प्रूफ जैकेट पहन रखे हैं। तरह-तरह की आवाज़ें आ रही हैं। तड़-तड़ गोलियों...

लखनऊ बन गया है लाशनऊ; धर्म का नशा बेचने वाले, लोगों को मरता छोड़ गए

भारत को विश्व गुरु बनाने के नाम पर भोली जनता को ठगने वालों ने उस जनता के साथ बहुत बेरहमी की है। विश्व गुरु भारत आज मणिकर्णिका घाट में बदल गया है, जिसकी पहचान बिना ऑक्सीजन से मरे लाशों...

धर्म की राजनीति का ध्वजारोहण देखती जनता, अस्पतालों के बाहर लाश में बदल रही है

अस्पताल और श्मशान में फ़र्क़ मिट गया है। दिल्ली और लखनऊ का फ़र्क़ मिट गया है।अहमदाबाद और मुंबई का फ़र्क मिट गया है। पटना और भोपाल का फ़र्क़ मिट गया है।  अस्पतालों के सारे बिस्तर कोविड के मरीज़ों के लिए...

मोदी जी गरीबों का खून निकाल कर बनाएंगे 5 ट्रिलियन की इकॉनमी!

बुजुर्ग लोगों को ब्याज बहुत तंग कर रहा है। बैंक में अब ब्याज मिल नहीं रहा जिसके भरोसे कोई जीवन काट ले। एक व्यक्ति ने अपने जीवन का मोटा मोटी हिसाब बताया कि हमने रिटायर होने पर 50 लाख...

रक्षित सिंह ने एक चैनल से नहीं गोदी मीडिया के वातावरण से दिया है इस्तीफ़ा

ABP न्यूज़ चैनल के रक्षित सिंह के इस्तीफ़े को लेकर कल से लगातार सोच रहा हूं। रक्षित मेरठ में हो रही किसान पंचायत को कवर करने गए थे। उसी के मंच पर जाकर उन्होंने अपना इस्तीफ़ा दे दिया। इस्तीफ़े...

अर्णब के व्हाट्स चैट की जवाबदेही प्रधानमंत्री की थी, बोल रहे हैं राहुल गांधी, क्यों?

16 जनवरी को व्हाट्सएप चैट की बातें वायरल होती हैं। किसी को पता नहीं कि चैट की तीन हज़ार पन्नों की फाइलें कहां से आई हैं। बताया जाता है कि मुंबई पुलिस TRP के फर्ज़ीवाड़े को लेकर जांच कर...

सार्वजनिक मजाक का पात्र बन चुकी कमेटी का भला क्या मतलब?

सुप्रीम कोर्ट के पास कमेटी के चारों सदस्य के नाम कहां से आए, आम जनता के पास यह जानने का कोई रास्ता नहीं लेकिन कमेटी के सदस्यों का नाम आते ही आम जनता ने तुरंत जान लिया कि कमेटी...

अलविदा शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी! दास्तानगोई को जिंदा कर खुद बन गए दास्तां

1995 के आस-पास का वक्त रहा होगा। किसी बातचीत में उनकी लाइब्रेरी का ज़िक्र सुना था। इलाहाबाद के घर में उनकी लाइब्रेरी के क़िस्से की छाप दिमाग़ में रह गई। हम अपनी निजी चर्चाओं में उन्हें लाइब्रेरी वाले फ़ारूक़ी...

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लोकतंत्र शक्ति के दंभ या दंभ की शक्ति पर नहीं, सहयोग की संभावना पर जिंदा रहता है

आज-कल भारत में शक्ति की बहुत चर्चा है। सामने आम चुनाव है। लोकतंत्र में चुनाव शक्ति संयोजन का अवसर...